Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

मोदी सरकार के 9 वर्ष: जनजागरूकता से लेकर आर्थिक सुधार और राष्‍ट्रीय सुरक्षा से लेकर युवा कल्‍याण, हर दिशा में मोदी सरकार ने छोड़ी छाप

आगामी 23 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल को 4 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी प्रचंड बहुमत से लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। इससे पहले वे 2014 में देश की जनता द्वारा पहली बार प्रधानमंत्री चुने गए थे। इस प्रकार उन्‍हें बतौर प्रधानमंत्री अब कुल 9 वर्ष पूरे होने वाले हैं। एक राष्‍ट्राध्‍यक्ष के रूप में उनकी करीब एक दशक की यह यात्रा बहुआयामी और बहुअर्थी रही है। भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसे बिरले नेता हुए हैं जिनके पास एक दूर दृष्टि की संपदा रही। अर्थात् ऐसे नेता जो केवल भाषणों तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्‍होंने नवाचार किया और नई लीक का निर्माण किया। कहा जा सकता है कि मोदी भी इसी क्रम में आते हैं। आरंभिक समय के पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय और डा.श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर वर्तमान दौर के योगी आदित्‍यनाथ तक नवाचार की शृंखला रही है। जहां तक मोदी की बात है, मोदी को हम एक युगपत नेता की संज्ञा दे सकते हैं। अर्थात् ऐसे नेता जिनके प्रधानमंत्री बनने से पहले और बाद के भारत में जमीन आसमान का अंतर आया है। सत्‍ता में तो वे और अधिक पहले से रहे हैं। सत्‍ता की ही बात करें तो उनको 22 वर्ष हो गए हैं। गुजरात के मुख्‍यमंत्री के रूप में उन्‍होंने 2001 में दायित्‍व संभाला था। इसके बाद वे लगातार तीन बार मुख्‍यमंत्री चुने गए और जब राष्‍ट्र प्रमुख बने तब भी उनके दो कार्यकाल लगातार हुए हैं। भारतीय राजनीति के इतिहास में यह गौरवपूर्ण उपलब्धि पाने वाले वे पहले व्‍यक्ति हैं। चूंकि अब केंद्र में उन्‍हें 9 साल पूरे हो रहे हैं, ऐसे में एक आम नागरिक के तौर पर मन में इस जिज्ञासा का उठना स्‍वाभाविक है कि आखिर राष्‍ट्र निर्माण में मोदी का क्‍या और कितना योगदान है। नरेंद्र मोदी ऐसी शख्सियत हैं जिनके हिस्‍से में सदा चुनौतियां ही आईं हैं। जब मुख्‍यमंत्री के तौर पर मोदी ने गुजरात संभाला था तब 2001 में राज्‍य विनाशकारी भूकंप की विभीषिका झेल रहा था। उजड़े हुए राज्‍य को संवारने का बीड़ा उठाकर मोदी ने अपनी अलग ही पहचान बना ली। इसके बाद आगामी दोनों कार्यकाल में उन्‍होंने गुजरात में निवेश सम्‍मेलन सफलतापूर्वक करवाए और गुजरात में व्‍यापक विकास कार्य करवाकर जल्‍द ही राज्‍य को देश के उन्‍नत, विकसित एवं प्रगतिशील राज्‍यों की कतार में ला खड़ा किया। ठीक ऐसा ही प्रधानमंत्रित्‍व कार्यकाल में भी हुआ। जब 2014 में उन्‍होंने पद संभाला था तब देश में संप्रग सरकार के कार्यकाल की कारगुजारियों के काले निशान साफ देखे जा सकते थे। जनता आतंकी हमलों की दहशत से त्रस्‍त थी। देश आर्थिक घोटालों से त्रस्‍त था। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के ठीक पहले तक मनमोहन सिंह की सरकार में घोटालों का अंबार लग गया था। कॉमनवेल्‍थ घोटाला, टेलीकॉम घोटाला जो कि टूजी स्‍पेकट्रम घोटाले के नाम से जाना जाता है, कोल घोटाला जैसे कई घोटालों ने देश को खोखला कर दिया था। जहां तहां आबादी भरे इलाकों में होने वाले आतंकी हमलों से देश सिहर गया था। कांग्रेस की सरकार के इस लचर कार्यकाल में देश की दुर्गति किसी से छुपी नहीं है। इस पर भी केंद्र सरकार का रिमोट कंट्रोल किसी एक परिवार के हाथ में होने से देश की तो पूरी कमर ही टूट गई थी। ऐसे में प्रधानमंत्री बनते ही मोदी के सामने देश को इस बदहाली से उबारने की चुनौती थी। शपथ ग्रहण करने के बाद तुरंत बाद ही मोदी अपने देश निर्माण व सुधार के मिशन में जुट गए। संसद में पहली बार प्रवेश करते ही उन्‍होंने जिस प्रकार झुककर, सांष्‍टांग लेटकर सदन को प्रणाम किया था, उससे ही देश को यह संकेत मिल गया कि देश अब सही हाथों में है। 2015 में मोदी ने नवाचार आरंभ किया। गांधी जयंती से उन्‍होंने देश में स्‍वच्‍छता मिशन के रूप में एक नए आंदोलन का सूत्रपात किया। बीते 9 वर्षों में यह एक विराट जन आंदोलन व जन जागरूकता की जीवन शैली बन चुका है। देश भर के शहर, गांव, कस्‍बे अब स्‍वयं को साफ रखने की होड़ में हैं और इसी बहाने देश स्‍वच्‍छ हो रहा है। हर साल स्‍वच्‍छता के पुरस्‍कार वितरित किए जाने का ध्‍येय भी इस क्रम को, इस लय को बनाए रखना है। मोदी ने उसी दौरान जन धन योजना लागू की और समाज के निम्‍न वर्ग के तबके को बैंकिंग सेक्‍टर की मुख्‍य धारा से जोड़ा। 

इसी दौरान सरकार ने देश में डिजिटल क्रांति का सूत्रपात किया। स्‍टार्ट अप इंडिया के तहत देश में स्‍वरोजगार के अवसर खुले और मुद्रा योजना के तहत लोन मिलना शुरू हुआ। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों लोग स्‍वयं के घर का सपना साकार कर सके जिसमें उन्‍हें ढाई लाख रुपए की सब्सिडी भी मिली। अब आत्‍मनिर्भर भारत योजना के तहत भी देश का युवा स्‍व रोजगार के आयाम छू रहा है। वर्ष 2016 में जब उरी आतंकी हमला हुआ तब देश भर में इसे लेकर गुस्‍सा था। मोदी सरकार की कुशल व त्‍वरित कार्यशैली के चलते भारतीय सेना ने सर्जिकल स्‍ट्राइक जैसे साहसिक व गौरवशाली ऑपरेशन को साकार किया। इस घटना के बाद देश ही नहीं, दुनिया में भी मोदी की छबि की स्‍वीकार्यता बढ़ी। इसी साल उन्‍होंने नोटबंदी जैसा बड़ा आर्थिक सुधार करके सबको चौंका दिया और काले धन के माफियाओं की कमर तोड़ दी। 2017 में जीएसटी को लागू करके एक बड़ा व्‍यापारिक सुधार किया। इसी समय अमेरिका में उन्‍हें तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने उन्‍हें अमेरिका  आमंत्रित किया। मोदी व ट्रंप की गले मिलने वाली तस्‍वीर पर पूरी दुनिया की नज़रें जम गईं। चूंकि मोदी एक दशक बाद अमेरिका की यात्रा पर थे और इसे उनकी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा गया क्‍योंकि अमेरिका ने ही उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था और स्‍वयं ही आमंत्रित किया। इससे मोदी की छबि ग्‍लोबल लीडर के रूप में मजबूत हुई। 2018 में मोदी ने तीन तलाक जैसी इस्‍लामिक कुप्रथा के खिलाफ कानून बनाया और संसद के दोनों सदनों यह पारित होकर कानून बना। मोदी सरकार ने ही देश में आधार कार्ड व पैन कार्ड को लिंक करने का अभियान शुरू जिससे हर नागरिक की पहचान सुनिश्चित हो गई। मोबाइल की फर्जी सिम,फर्जी बैंक खातों पर इससे अंकुश लगाने में सफलता मिली। वर्ष 2019 में मोदी सरकार ने ऐतिहासिक सफलता पाई। इसमें कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 का उन्‍मूलन और अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर निर्माण का अदालती फैसला शामिल है। इसी साल पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद देश में 45 जवानों के बलिदान को लेकर आक्रोश था और प्रतिशोध की प्रबल उत्‍कंठा थी। सरकार के नेतृत्‍व में भारतीय वायुसेना ने 12 दिन बाद ही बालाकोट एयर स्‍ट्राइक कर आतंकी ठिकाने तबाह कर दिये और जवानों की शहादत का बदला ले लिया। 

वर्ष 2020 फिर से बड़ी चुनौती लेकर आया जब कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा दिया। खतरे को भांपते हुए मोदी ने देशव्‍यापी लॉकडाउन लगाया और एक बड़ी आबादी को घातक वायरस की चपेट में आने से बचा लिया। हालांकि विपक्षी दलों ने इस दौरान भी उन्‍हें बहुत परेशान करने की कोशिश की, लेकिन उन्‍होंने अपनी एकाग्रता बनाए रखी। संक्रमण का असर कम होने पर पाबंदियों के साथ देश में चरणबद्ध रूप से अनलॉक की शुरुआत हुई और अर्थव्‍यवस्‍था पटरी पर आई। जब लॉकडाउन लगा था तब केंद्र सरकार ने जनता के लिए कई कल्‍याण कारी योजनाएं चलाईं। जन धन खातों में हर माह पैसे जमा करवाना, पीएम किसान योजना के तहत किसानों के खातों में 2 हजार रुपए की किश्‍त जमा करवाना, स्‍कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई एवं जनरल प्रमोशन देना, ईपीएफओ द्वारा कर्मचारियों को 75 फीसदी अग्रिम राशि का भुगतान किया जाना व आयकर सहित अन्‍य मामलों में समय-सीमा बढ़ाई जाना इनमें मुख्‍य रूप से उल्‍लेखनीय हैं। सरकार ने एक से अधिक बार आर्थिक पैकेज की घोषणा की और गरीब लोगों के लिए अन्‍नपूर्णा योजना के तहत मुफ्त राशन, उज्‍ज्‍वला योजना के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर प्रदान किए गए। इसी साल सरकार ने अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर के निमार्ण कार्य का भूमिपूजन करके यह साबित कर दिया कि उनके लिए जन जन के आराध्‍य प्रभु श्री राम का नाम महज चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि उनकी आराधना मुख्‍य ध्‍येय है। जनवरी 2021 में देश ने स्‍वदेशी वैक्‍सीन के रूप में बड़ी सफलता हासिल की और कोरोना महामारी से निपटने की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि कोरोना की दूसरी प्रलंयकारी लहर में देश में बहुत जनहानि हुई लेकिन लहर के बाद देश में टीकाकरण अभियान ने गति पकड़ी और अब हमारा देश 100 करोड़ से अधिक डोज देने वाला दुनिया का अनोखा राष्‍ट्र बन चुका है। 2022 से 2023 के बीच मोदी सरकार ने पद्म पुरस्‍कारों को लेकर भी नवाचार किया है। अब पूर्ववर्ती सरकार की तरह अयोग्‍य एवं असंगत लोगों को गलत पुरस्‍कार नहीं दिए जाते बल्कि समाज के जमीन से जुड़े उन लोगों को सम्‍मानित किया जाता है जिन्‍होंने कई क्षेत्रों में जन जागरूकता की मिसाल कायम की है। कहा जा सकता है कि यह सरकार आम आदमी की सरकार है और आम आदमी का पूरा ध्‍यान रख रही है। यह बात अलग है कि विपक्षी दलों ने कोरोना काल के पहले और बाद भी सरकार के अच्‍छे कार्यों से दुर्भावनावश दुष्‍प्रचार किया और जनता को गुमराह करने की कोशिश की। नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर देश भर में विपक्षी दलों ने हिंसा व नफरत का माहौल बनाया। शाहीन बाग जैसे कुत्सित उदाहरण सामने आए। दिलली के दंगे और बंगाल की हिंसा को कौन भूल सकता है। 26 जनवरी, 2021 का दिन देश के लिए काला दिन था जब तथाकथित किसान आंदेालन के नाम पर प्रदर्शनकारियों व असामाजिक तत्‍वों ने लाल किले पर बेजा कब्‍जा कर लिया। इन सब घटनाओं ये यह तो स्‍पष्‍ट संकेत मिलता है कि देश में सब कुछ अच्‍छा चल रहा है, इससे शहरी नक्‍सलियों के पेट में दर्द हो रहा है। अब तो भारत के खिलाफ सारी साजिशें विदेशों से तय होने लगी हैं। टूलकिट एक बड़ा हथकंडा बनकर सामने आया है। विपक्षी दलों के नेता, देश विरोधी मानसिकता वाले पत्रकार और फिल्‍म अभिनेता भी इस दुष्‍चक्र का हिस्‍सा बने हुए हैं। 

कोरोना की वैक्‍सीन को लेकर भी भ्रम का माहौल बनाया गया लेकिन केंद्र सरकार ने व्‍यर्थ के विवादों पर ध्‍यान न देते हुए अपना विकास रथ जारी रखा। नतीजा आज सामने है कि आज भारत दुनिया के प्रगतिशील व उन्‍नत राष्‍ट्रों में शुमार है। निश्चित ही 2014 से लेकर 2023 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्ग में कई चुनौतियां आईं लेकिन केंद्र की मोदी सरकार अपने लक्ष्‍य, मिशन, विजन, कर्म और विकास यज्ञ से डिगी नहीं है। उम्‍मीद है अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा सरकार को जनता का पूरा साथ मिलेगा। 

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)