प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी विदेश यात्राओं के माध्यम से राष्ट्रीय हितों का संरक्षण व संरक्षण करते है। इसके साथ ही वह भारतीय संस्कृति के मनवतावादी विचार से दुनिया को परिचित कराते है। रूस यूक्रेन संघर्ष ने दुनिया में भारतीय चिंतन की प्रासंगिकता बढा दी है। इसके अलावा आतंकवाद व सभ्यताओं के संघर्ष भी चलता रहता है। अन्य सभ्यताओं के पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। जबकि भारत ने सदैव मानव कल्याण की कामना की है। नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के बाद स्वीडन में भी भारतीय चिंतन के अनुरूप विचार व्यक्त किये। उन्होंने महोपनिषद की सूक्ति का उल्लेख किया-
बन्धुरयं नेति गणना लघुचेतसाम् उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
अर्थात यह मेरा है और यह नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों की तो धरती ही परिवार है।
भारत द्वारा कोरोना वैक्सीन का निर्माण इसका उदाहरण है। नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त रूप से डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन और डेनमार्क के क्राउन प्रिंस फ्रेडरिक डेनमार्क उद्योग परिसंघ में भारत डेनमार्क व्यापार मंच में भागीदारी की। दोनों अर्थव्यवस्थाओं के पूरक कौशल पर जोर दिया और डेनिश कंपनियों को हरित प्रौद्योगिकियों, कोल्ड चेन,कचरे से धन, शिपिंग और बंदरगाहों जैसे क्षेत्रों में भारत में उपलब्ध विशाल अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। हरित प्रौद्योगिकी, नवाचार और डिजिटलीकरण, ऊर्जा स्वतंत्रता और नवीकरणीय ऊर्जा,जल, पर्यावरण और कृषि, बुनियादी ढांचा,परिवहन और सेवाएं क्षेत्र सहयोग बढ़ाया जाएगा। दोनों देशों के बीच हुए करारों से जुड़े दस्तावेजों का आदान प्रदान किया गया। दोनों देशों के बीच स्वच्छ जल,शिपिंग, पशुपालन व डेयरी, संस्कृति,कौशल विकास, तकनीकी निवेश और वाणिज्य से जुड़े क्षेत्रों में करार हुए हैं। भारत और यूरोपीय संघ के रिश्तों, हिन्द प्रशांत और यूक्रेन सहित क्षेत्रीय तथा वैश्विक विषयों पर विचार विमर्श किया गया। दोनों देशों ने मुक्त,खुले, समावेशी एवं नियम आधारित हिन्द-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। दो सौ से अधिक डेनिश कंपनियां भारत में पवन ऊर्जा, शिपिंग,कंसलटेंसी, खाद्य प्रसंस्करण और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काम कर रही हैं। भारत में बढ़ते ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और व्यापक आर्थिक रिफॉर्म का इन कंपनियों को लाभ मिल रहा है। भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन उद्योग क्षेत्र में डेनिश कंपनियों और डेनिश पेंशन फंड के लिए निवेश के अवसर हैं। दोनों देशों की एक मजबूत हरित रणनीतिक साझेदारी के नतीजे सामने आने लगे हैं। डेनमार्क भारत को फॉसिल फ्यूल का विकल्प हासिल करने में सहायता कर रहा है। दोनों देशों के बीच इसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यूरोप यात्रा के दौरान राष्ट्रीय हितों का संरक्षण संवर्धन करने में सफल रहे। उनकी यह यात्रा संवेदनशील परिस्थितियों में हुई। यूक्रेन रूस के बीच युद्ध चल रहा है। नाटो के सदस्य देश रूस के खिलाफ है। इनमें अमेरिका व यूरोप के देश शामिल है। दूसरी तरफ भारत व रूस के बीच आपसी सहयोग जारी है। इस समय नरेंद्र मोदी यूरोप की यात्रा पर रहे। यह स्थिति उनके लिए चुनौतीपूर्ण थी। रूस से संबन्ध ठीक रखते हुए यूरोपीय देशों से साझेदारी बढ़ाने का मुश्किल कार्य करना था। नरेंद्र मोदी ने अपनी कुशलता का परिचय दिया। बहुत संतुलित तरीके से स्थिति को संभाले रखा। पूरी यात्रा में वह सहज रहे। मोदी ने सभी समस्याओं के समाधान हेतु वार्ता के महत्व को रेखांकित किया, कहा कि युद्ध से किसी समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता। मोदी की कूटनीतिक कुशलता कामयाब रही। डेनमार्क में मोदी की कई अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व क्षेत्रीय मसलों पर वार्ता हुई। नरेन्द्र मोदी भारत नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में सहभागी हुए। उनकी आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकोब्स्दोतिर, नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर, स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन और फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी हुई।
नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर से मुलाकात के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों में चल रही गतिविधियों की समीक्षा की गई। दोनों नेताओं ने ब्लू इकोनॉमी, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, सौर और पवन परियोजनाओं हरित शिपिंग, मत्स्य पालन, जल प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, अंतरिक्ष सहयोग, दीर्घकालिक अवसंरचना निवेश, स्वास्थ्य और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में जुड़ाव को मजूबत करने की क्षमता पर चर्चा की। इस दौरान क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम पर भी चर्चा हुई। यूएनएससी के सदस्य के रूप में भारत और नॉर्वे संयुक्त राष्ट्र में पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ जुड़ते रहे हैं। स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन से मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय साझेदारी में हुई प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं ने नवाचार, जलवायु प्रौद्योगिकी, जलवायु कार्रवाई, हरित हाइड्रोजन,अंतरिक्ष, रक्षा,नागरिक उड्डयन, आर्कटिक, ध्रुवीय अनुसंधान,सतत खनन और व्यापार और आर्थिक संबंधों जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने की संभावनाओं पर भी चर्चा की। आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकोब्स्दोतिर से मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने विशेष रूप से भूतापीय ऊर्जा,नीली अर्थव्यवस्था, आर्कटिक, नवीकरणीय ऊर्जा, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, डिजिटल विश्वविद्यालयों सहित शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री जैकोब्स्दोतिर के व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना की और उन्हें इस संबंध में भारत की प्रगति के बारे में जानकारी दी। क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर भी चर्चा हुई। फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन के साथ बातचीत में दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और ऐसे अन्य क्षेत्रों में इस साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।
नरेंद्र मोदी का करिश्मा विलक्षण है। यह भारत तक ही सीमित नहीं है। कुछ समय पहले उन्हें विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता प्रमाणित किया गया। भारत में उनकी लोकप्रियता 2014 से लगातार जनादेश के रूप में अभिव्यक्त हो रही है। उनकी विदेश यात्रा का अंदाज अलग होता है। वह भारतीय मूल के लोगों का मनोबल बढाते है। संबंधित देश के लोग भी उनके प्रति आकर्षित होते है। इन सबका सकारात्मक प्रभाव विदेश नीति पर पड़ता है।
इसमें भी क्षेत्रीय व द्विपक्षीय विषयों पर चर्चा होगी। इसके पहले प्रधानमंत्री के साथ जर्मनी गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी समकक्ष एनालेना बेरबॉक से मुलाकात की। इनके बीच यूक्रेन संघर्ष और हिंद प्रशांत पर विचार विमर्श किया गया। दोनों विदेश कार्यालयों के बीच सीधे एन्क्रिप्टेड कनेक्शन को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। अंतर-सरकारी परामर्श में इसकी पूर्ण रिपोर्टिंग करेंगे। विदेश मंत्री ने अपने जर्मनी की आर्थिक सहयोग एवं विकास मंत्री स्वेंजा शुल्ज़ से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने जलवायु एक्शन, लचीली एवं विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला, तीसरे देश की भागीदारी और यूक्रेन संघर्ष के आर्थिक प्रभाव पर चर्चा की। भारत और जर्मनी के बीच जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा पर सहयोग संबन्धी समझौता हुआ। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और जर्मनी के आर्थिक सहयोग एवं विकास मंत्री वेंजा शुल्ज के बीच वर्चुअल मीटिंग में कृषि क्षेत्र को लेकर अहम समझौता हुआ। यह समझौता कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन पर केंद्रित है। इसके तहत दोनों देश इस क्षेत्र में साझा शोध को बढ़ावा देंगे। कृषि क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल विकास के लिए जर्मनी भारत को तीस करोड़ यूरो का कम दरों वाला लोन देगा। ऊर्जा के स्वच्छ एवं अक्षय साधनों में ग्रीन हाइड्रोजन बेहतर विकल्प है। भारत और जर्मनी ने इंडो-जर्मनी ग्रीन हाइड्रोजन टास्क फोर्स गठित करेंगे। इसके माध्यम से दोनों देश साझा प्रयास करेंगे। वर्चुअल माध्यम से संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। भारत में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत संभावना है। इसके दृष्टिगत भारत ने जर्मनी की कंपनियों को आमंत्रित किया है।
इसके अलावा छठी भारत जर्मनी अंतर सरकारी परामर्श बैठक में विश्व व्यापार संगठन डब्ल्यूटीओ में सुधार का आह्वान किया गया। नियमों पर आधारित स्वतंत्र,निष्पक्ष एवं समावेशी व्यापार के महत्व को रेखंकित किया गया। यूरोपीय संघ और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते,निवेश प्रोटोकाल समझौते और जियोग्राफिकल इंडिकेशंस समझौते को समर्थन पर सहमति व्यक्त की गई।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)