Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

सहकार से समृद्धि का स्वप्न हो रहा साकार

मोदी सरकार एफपीओ के माध्‍यम से ऐसे क्षेत्रों को कृषि निर्यात हब के रूप में विकसित कर रही है जहां इसकी भरपूर संभावनाएं हैं जैसे वाराणसी। उल्लेखनीय है कि मूलभूत बुनियादी ढांचे के अभाव में वाराणसी क्षेत्र से पहले

मामूली रूप से कृषि संबंधित उत्पादों का निर्यात किया जाता था लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों में वाराणसी कृषि उपज के निर्यात का हब बनकर उभरा है। 2022 में वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट से 541 मीट्रिक टन कृषि उपज का निर्यात किया था जो कि 2023 के 11 महीनों में बढ़कर 655 मीट्रिक टन तक पहुंच गया। आज पूर्वांचल के 20,000 किसान 50 एफपीओ से जुड़कर निर्यात कर रहे हैं जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है। स्पष्ट है सरकार बिचौलियों को हटाकर सीधे किसानों को निर्यातक बना रही है।

अब उत्‍तर प्रदेश सरकार कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के साथ मिलकर पूर्वांचल के गोरखपुर क्षेत्र में भी वाराणसी मॉडल की पुनरावृत्ति करने पर विचार कर रही है क्योंकि दोनों ही स्थानों की परिस्थितियां कमोबेश एक जैसी हैं।

कृषि निर्यात में हो रही अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी को देखते हुए एपीडा किसानों को अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप मोटे अनाजों, फल-फूल व सब्जी उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दे रही है। स्पष्ट है आने वाले समय में एफपीओ किसानों को सशक्त बनाने के कारगर हथियार बनकर उभरेगें।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)