Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

चंद्र पर शिव-शक्ति संकल्प

नए भारत की विकास यात्रा में चन्द्रयान का सफल अभियान भी शामिल हुआ| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्र के उस स्थल का शिव-शक्ति नामकरण किया| यह विश्वगुरु का उद्घोष है| जिसे दुनिया ने स्वीकार किया है| आत्मनिर्भर भारत का यह अभूतपूर्व अध्याय है| नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों से संकल्प सिद्ध हो रहे हैं| इसके पहले करोना की दो वैक्सीन बना कर भारत ने अपनी प्रतिभा का दुनिया को प्रमाण दिया था| सैकड़ों देशों तक भारतीय वैक्सीन पहुंची थी| पिछले दिनों अमृत रेलवे-स्टेशन निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ था| डिजिटल अभियान में भारत की प्रगति शानदार है| यह सब अमृत काल की गरिमा बढ़ा रहे हैं| इसी अवधि में भारत जी ट्वेंटी का अध्यक्ष बना| दुनिया भारत के विचारों से परिचित हो रही है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय दक्षिण एशिया में है| उन्होंने चन्द्रयान की चन्द्र यात्रा का सजीव प्रसारण दक्षिण अफ्रीका से देखा| वहीं से राष्ट्र को संबोधित किया| कहा कि भारत की इस उपलब्धि से दुनिया भी लाभान्वित होगी| पहले अभियान की विफलता पर मोदी ने ही वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया था|

उन्होंने कहा था कि हमारे संस्कार, हमारा चिंतन, हमारी सोच, इस बात से भरी पड़ी है, जो हमें कहते हैं- वयं अमृतस्य पुत्राः। हम अमृत की संतान हैं जिसके साथ अमरत्व जुड़ा हुआ रहता है। अमृत के संतान के लिए न कोई रुकावट है, ना हो कोई निराशा। हमें पीछे मुड़कर निराशा की तरफ नहीं देखना है, हमें सबक लेना है, सीखना है, आगे ही बढ़ते जाना है और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुकना नहीं है। हम निश्चित रूप से सफल होंगे। मिशन के अगले प्रयास में भी और उसके बाद के हर प्रयास में कामयाबी हमारे साथ होगी। 21वीं सदी में भारत के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने से पहले हमें कोई भी क्षणिक बाधा रोक नहीं सकती| उनका कथन सत्य साबित हुआ| सफ़लता पर मोदी ने देश के वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की है। चंद्रयान-3 की चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग होते ही प्रधानमंत्री मोदी ने तिरंगा लहराया| कहा कि जब हम ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखते हैं तो हमें बहुत गर्व होता है। ये नए भारत का सूर्योदय है। हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया। भारत अब चंद्रमा पर है। ये क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने जैसा है। ये क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है। ये क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। ये भारत में नई ऊर्जा, नई चेतना का है। अमृतकाल की प्रथम प्रभा में सफलता की ये अमृतवर्षा हुई है। पीएम मोदी ने कहा कि हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। अब हम चांद पर हैं। जब हम अपनी आंखों के सामने इतिहास बनते देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है। यह पल विकसित भारत के शंखनाद का है। इससे पहले कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक नहीं पहुंचा है। हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत से हम वहां तक पहुंचे हैं। भारत का सफल चंद्रमा मिशन अकेले भारत का नहीं है|यह सफलता पूरी मानवता की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए भारत का रोडमैप बनाया था। जिसमें भारत को विकसित देशों की श्रेणी में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था|अंतरिक्ष क्षेत्र में क्षमता का वाणिज्यिक रूप से उपयोग के लिये न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड नाम से नए सार्वजनिक उपक्रम का गठन किया गया है, इसका मकसद इसरो के लाभ का पूरा उपयोग करना है|यह संकल्प सिद्ध हुआ| भारतीय चन्द्रयान सफ़लता के साथ चंद्रमा की सतह पर पहुँचा| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के न्यू इंडिया विजन में विकास और लोक कल्याण का समावेश है। भारत को विकसित बनाने का संकल्प है। संकल्प को सिद्ध करने की इच्छाशक्ति है। उनकी नौ वर्ष की यह यात्रा यही प्रमाणित करती है। भारत के वैज्ञानिकों ने दो-दो वैक्सीन का निर्माण करके दुनिया को चौका दिया था। दुनिया में भारत की प्रशंसा हो रही थी। ब्राजील के राष्ट्रपति ने तो हनुमान जी द्वारा संजीवनी लाने के प्रसंग से इसकी तुलना की थी। सैकड़ों देश भारत से कोरोना लेने की लाइन में लग गए। लेकिन भारत का विपक्ष इस राष्ट्रीय गौरव से अलग रहा। उसके लिए यह भी मोदी विरोध का अवसर था। दूसरी तरफ विपक्ष के गठबंधन ने शब्दों के जुगाड़ से अपने लिए इंडिया नाम गढ़ लिया है। लेकिन उनकी कल्पना के इस इंडिया में विकास की कोई बात नहीं होती। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत विकसित बनने की दिशा में अग्रसर है। इसकी कार्ययोजना पर कार्य प्रगति पर है। इस नये भारत का रेलवे भी नया है, क्योंकि रेलवे में विकास की दृष्टि से भी नौ साल बेमिसाल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी कि भारत विकसित होने के लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ा रहा है। इसमें रेलवे का विकास का शामिल है। सरकार ने स्टेशनों को शहर और राज्यों की पहचान से जोड़ने के लिए वन स्टेशन,वन प्रॉडक्ट योजना भी शुरू की है। इससे पूरे इलाके के लोगों, कामगारों और कारीगरों को लाभ होगा। जिले की ब्रांडिंग भी अमृत रेलवे स्टेशन विरासत के प्रति गर्व की अनुभूति कराने वाले होंगे। इन स्टेशनों में देश की संस्कृति और स्थानीय विरासत की झलक दिखेगी। देश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों और तीर्थ स्थानों को जोड़ने के लिए इन दिनों देश में भारत गौरव यात्रा ट्रेन और भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन भी चल रही है। रेलवे का कायाकल्प हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व कल्याण के द्रष्टिगत दुनिया को भारतीय विरासत से परिचित करा रहे है। उनके प्रयासों से अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। योग प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हेतु बहुत उपयोगी है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ऐसे हो मानवीय तथ्यों को दुनिया में स्थापित कर रहा है। दुनिया में शांति और सौहार्द की अभिलाषा रखने वालों को भारतीय विरासत में ही समाधान दिखाई दे रहा है। अन्य कोई विकल्प है भी नहीं। यह विषय दुनिया को युद्द मुक्त करने तक ही सीमित नहीं है। भारत ने पृथ्वी सूक्त के माध्यम से मानवता को पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति संवर्धन का भी संदेश दिया। कोरोना काल में भारतीय जीवन-शैली और आयुर्वेदिक को दुनिया में पुनः प्रतिष्ठित किया है। उस समय अपने को विकसित समझने वाले देश भी लाचार हो गए थे।

कुछ वर्ष पहले तक यह कल्पना भी मुश्किल थी कि भारत इस संगठन का अध्यक्ष होगा। आज यह सहज रूप में सम्भव हुआ है। नरेन्द्र मोदी ने इसे भारत के लिए एक बड़ा अवसर माना है।

इसके माध्यम से वह विश्व कल्याण के तथ्यों लोगों को अवगत करा रहे हैं। शिखर सम्मेलन का लोगो अपने में एक विचार को अभिव्यक्त करने वाला है। नरेन्द्र मोदी ने भारत की मेजबानी में अगले वर्ष आयोजित होने वाली शिखर वार्ता का प्रतीक चिन्ह, मुख्य वाक्य और वेबसाइट का अनावरण किया। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों के मंच की शिखर वार्ता भारत में पहली बार आयोजित होगी। इसके प्रतीक चिन्ह में सात पंखुड़ियों वाले कमल के फूल पर गोलाकार विश्व स्थित है। इसके नीचे भारतीय संस्कृति का प्रसिद्ध ध्येय वाक्य ‘वसुधैवअंकित है। साथ ही वन अर्थ,वन फैमिली और वन फ्यूचर को स्थान दिया गया है। मोदी ने कहा कि इस लोगो और थीम के माध्यम से एक संदेश दिया गया है। हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। इस के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है।

नरेन्द्र मोदी ने संयुक्तराष्ट्र महासभा में भी कहा था कि भारत युद्ध नहीं बुद्ध का देश है। प्रतीक चिन्ह में कमल का फूल भारत की पौराणिक धरोहर, हमारी आस्था और हमारी बौद्धिकता को चित्रित करता है। प्रतीक चिन्ह के कमल की सात पंखुड़ियां दुनिया के सात महाद्वीपों और संगीत के सात स्वरों का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रतीक चिन्ह इस आशा को जगाता है कि दुनिया एक साथ आगे बढ़ेगी।

ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश है। ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है, जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इसमें वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र की भावना हैं। इसमें पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के मुख्य वाक्य में प्रतिबिंबित हो रहा है। प्रतीक चिन्ह में कमल इन विपरीत परिस्थितयों में आशा जगाता है। चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियां हों कमल खिलता रहता है।आजादी के अमृतकाल में देश के सामने इसकी अध्यक्षता का बड़ा अवसर है। यह भारत के लिए गर्व और गौरव की बात है। यह ऐसे देशों का समूह है जो विश्व के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में पच्चासी प्रतिशत की भागीदारी रखता है।

इन देशों में दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या रहती है। विश्व व्यापार में इसकी पचहत्तर प्रतिशत की भागीदारी है। भारती का प्रयास रहेगा कि विश्व में दुनिया में कोई ‘पहली दुनिया’ या ‘तीसरी दुनिया’ न हो, बल्कि एक दुनिया’ हो। कांग्रेस ने इस विषय को भी अपनी राजनीति का अवसर मान लिया है। लोगो के माध्यम से भारतीय विरासत का दुनिया को संदेश दिया गया। यह पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।

(लेखक हिन्दू कॉलेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं| प्रस्तुत विचार निजी हैं)

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