Home » Salient Points of PM Narendra Modi keynote address at Ramnath Goenka Awards in New Delhi on 2 Nov, 2016
- आज जिन लोगों को Award प्राप्त हुआ है, उन सबको मेरी तरफ से बहुत – बहुत बधाई। और बहुत से लोग होंगे जो शायद Award तक नहीं पहुंचे होंगे लेकिन बहुत करीब होंगे। मैं उनको भी बधाई देता हूं। ताकि ये सिलसिला चलता रहे। हर किसी की कलम, हर किसी की सोच और उसकी मेहनत देश को आगे बढ़ाने में किसी न किसी प्रकार से योगदान देती रहे।
- बहुत लोग होते हैं जो अपने जीवनकाल में अपने क्षेत्र में जगह बनाते हैं। कुछ लोग होते हैं, जो अपने जीवनकाल में अपने कार्य क्षेत्र से भी बाहर अपनी जगह बनाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग होते हैं, जो अपने जीवनकाल के बाद भी अपने क्षेत्र में, अपने क्षेत्र की परिधी में अपना स्थान बनाते हैं अमरत्व को प्राप्त करते हैं। और वो नाम है रामनाथ गोयनका जी का।
- ये मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे रामनाथ जी के दर्शन करने का अवसर मिला था। वे गुजरात आए थे। अब वो जिस स्थान पर थे, तो
- स्वाभाविक है कि उनके मिलने का दायरा किसी पोलिटिकल पार्टी के अध्यक्ष हो सकते हैं या मुख्यमंत्री हो सकते हैं या मीडिया को लगा हो कि भविष्य में ये बड़े एडिटर हो सकते हैं। मैं कुछ भी नहीं था। शायद वो शहर के किसी एडिटर से मैं टाइम मांगता वो भी महीने भर नहीं देता। लेकिन रामनाथ जी के दर्शन का मुझे सौभाग्य मिला था। जयप्रकाश जी के आंदोलन का वो काल था। और रामनाथ जी के भीतर जो आग थी। वो आग अनुभव कर सकते थे। और वो इंडियन एक्सप्रेस एक अखबार और उसके लिए थी ऐसा नहीं था। उनको जो अखबार के माध्यम से अभिव्यक्त होता था, उससे भी संतोष नहीं होता था। उनकी भावनाओं के लिए अखबार भी छोटा पड़ता था।
- देश आजाद हुआ। आजादी के बाद भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने में, लोकतंत्र सही दिशा में चले उसके लिए भारत की पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है। किसी की आलोचना के लिए नहीं। किसी को बुरा भला कहने के लिए नहीं। लेकिन हम जानते हैं कि मान लीजिये कोई बड़ा epidemic आ गया। बीमारी आ गई कोई, तो हर कोई पहले वाली बड़ी बीमारी को याद करता है कोई उस समय ऐसा हुआ था। क्योंकि From Known to Unknown जाना सरल होता है। और इसीलिये लोकतंत्र पर क्या खतरे हो सकते हैं और कैसे महत्व रखते हैं। इसको समझने के लिए भारत में Emergency का काल बहुत उपयोगी है। अगर Emergency की बात कहते हैं तो लोगों को बुरा लगता है। उसको राजनीतिक तराजू से देखा जाता है। मैं समझता हूं राजनीतिक का खेल समाप्त हो चुका है। आज निष्पक्ष भाव से उसकी विमानसा मैं आलोचना शब्द उपयोग नहीं कर रहा विमानसा शब्द का उपयोग कर रहा हूं। ये हर पीढ़ी में होते रहने चाहिए ताकि इस देश में ऐसा राजपुरुष पैदा न हो कि जिसको इस प्रकार का पाप करने की इच्छा तक पैदा हो।
- मुझे बराबर याद है । मैं गुजरात का सीएम था, तो कभी – कभी नेता लोगों की बात तो अखबार में छपते रहते थे। हर किसी की छपती है साल एक बार किसी एक बार तो किसी की दो बार ये छपती है। ये VIP Culture इतना गाड़ियां लेकर के जाते हैं, ढिकना-फलाना बहुत बड़ा interesting विषय रहता है और कुछ खबर नहीं हो तो ready-made तो मिली ही जाती है। हम भी पढ़ते थे। मैं भी हमारे अफसरों से कहता था कि क्या यार, ये क्या चीज लेकर के चलते हो। बोले नहीं साहब ये Blue Book में लिखा हुआ है, हम भी उसको Compromise नहीं कर सकते। हम भी उनको समझा नहीं पा रहे थे। लेकिन एक बार मैं जब अहमदाबाद से, मेरा convoy गुजर रहा था शाम का समय था। किसी नौजवान ने अपने मोबाईल में recording शुरू किया। और जैसे गाड़ियां जा रही थी, एक दो तीन गिनता रहता था गाड़ियां जा रही थी। और उसको upload किया। मैं खुद सोशल मीडिया में बड़ा active था तो मुझे दो तीन घंटो में मेरे पास गया वो। अखबारों में आलोचना होकर के जितना प्रभाव हुआ था उससे ज्यादा मुझे हुआ था। एक नौजवान ने जो upload किया था उसका प्रभाव हुआ था। मैं अपनी बात इसलिये बताता हूं कि कितनी ताकत हो गई है इसकी। Empowerment of people अच्छी चीज है। और ऐसे समय Credibility इसको बनाए रखना ये मैं समझता हूं समय की बड़ी मांग है।
- आज पूरी दुनिया को Global Warming और Environment की चर्चा करती है। भारत की रगों में प्राकृति के साथ जीना कैसे, प्राकृति का महत्वमय क्या है, प्राकृति के सामर्थय को स्वीकार करना ये हमारी रगों में है। अगर हमारे पास इस लेवल को कोई मीडिया होता तो विश्व को समझा देते कि बर्बादी का कारण आप हैं बचाने के लिए हमने अपने आपको बर्बाद किया है।
- दूसरा सरकारों की आलोचना जितनी हो उतनी ज्यादा अच्छी है, तो उसमें मुझे कोई problem नहीं है। तो कोई reporting में गलती मत करना। लेकिन भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। विशेषताओं से भरा हुआ देश है। देश की एकता आपके लिए खबर है और छपने के तुरंत बाद आप दूसरी खबर की खोज में लगे हो। लेकिन कभी-कभी वो ऐसे गहरे घाव देती है। इसका मतलब ये नहीं है कि ये पाप और लोग नहीं करते हो सकता है कि आप लोगों से ज्यादा हम करते हैं, हमारे बिरादरी वाले। लेकिन ये चिंता का विषय है कि हम देश की एकता को बढ़ाने वाले चीजों पर बल कैसे दें। मैं उदाहरण देता हूं। और मैं गलत हूं तो यहां पर काफी लोग ऐसे बैठे हैं कि अभी तो नहीं कहेंगे, लेकिन महीने के बाद कहेंगे। पहले कोई accident होता था तो खबर आती थी कि फलाने गांव में accident हुआ एक truck और साइकल में, साइकल वाला injure हो गया, expire हो गया। धीरे –धीरे बदलाव आया। बदलाव ये आया फलाने गांव में दिन में rash driving के द्वारा, शराब पिया हुआ ड्राइवर, निर्दोष आदमी को कुचल दिया। धीरे – धीरे रिपोर्टिंग बदला। बीएमडब्ल्यू कार ने एक दलित को कुचल दिया। सर मुझे क्षमा करना वो बीएमडब्ल्यू वाले कार को मालूम नहीं था कि वो दलित थे जी। लेकिन हम आग लगा देते थे। Accidental reporting होना चाहिए होना चाहिए? होना चाहिए। अगर हैडलाइन बनाने जैसा है तो हैडलाइन बना दो।
- बजट आता है बजट का reporting क्या करना है कि भई सरकार का बजट आया deficit है या नहीं है। दो हजार करोड़ का टैक्स लगाया, हजार करोड़ का लगाया। ये न्यूज है। लेकिन हमें न्यूज नहीं पढ़ने को मिला। न्यूज मिलता है मोदी सरकार का कमरतोड़ बजट! मोदी सरकार का उत्तर प्रदेश चुनाव को ध्यान में रखकर के बजट! खैर ये बातें तो आप भी समझते हैं मैं भी समता हूं। लेकिन ये कोई आलोचना के लिए नहीं है। हमारे लिये बहुत आवश्यक है।
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