Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Salient points of PM Modi’s speech at the inauguration of Pravasi Bharatiya Kendra

• सालों तक हम देखते आए हैं एक ही शब्द सुनते आए हैं। के हमारे लोग पढ़ लिखकर के तैयार होते हैं विदेशों में चले जाते हैं। Brain Drain, Brain Drain ये शब्द हम सुनते आए हैं। लेकिन विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय को सिर्फ संख्या के रूप में नहीं, अगर शक्ति के रूप में देखें तो ये Brain Drain की हमारी जो चिंता थी इसको Brain Gain में Convert किया जा सकता है।

• नदी में पानी बहुत बहता रहता है। लेकिन कोई डेम बना दे, ऊर्जा उत्पादन कर दे, तो वही पानी एक नई शक्ति का स्रोत बन जाता है। विश्व में फैले हुए भारतीय समुदाय में भी सार्थकता तो है। कोई ऐसी स्थापना की जरूरत है, जो उस ऊर्जा को Convert करके राष्ट्र में उजाला फैलाने के लिए काम ला सके। जब नीति आयोग की रचना हुई तो उस नीति आयोग ने अपने प्रमुख काम को लिखा है उसने उसमें एक स्थान पर और शायद भारत के Document में ये पहला ऐसा Document होगा, जिसमें प्रवासी भारतीयों के सामर्थ्य को स्वीकारा गया है। और प्रवासी भारतीय को विश्व भर में करीब पौने तीन करोड़ लोग या तो मूल भारतीय हैं या तो प्रवासी भारतीय हैं। और दुनिया के करीब डेढ़ सौ से ज्यादा देशों मे कभी – कभी तो हमारा मिशन पहुंचा हो या न पहुंचा हो कोई न कोई प्रवासी भारतीय जरूर पहुंचा है।

• कई देश ऐसे हैं कि जहां, मिशन की शक्ति से अनेक गुना शक्ति प्रवासी भारतीयों की है। कई मिशन ऐसे हैं, जो बड़ी कुशलता से अपना कारोबार चलाते हैं। उस मिशन के मुखिया प्रवासी भारतीयों की ताकत पहचानते हैं और वे लगातार साल भर उस देश में प्रवासी भारतीयों को जोड़ कर के भारत की बात पहुंचाने के लिए बहुत कुशलता से काम करते हैं। ऐसे छुटपुट-छुटपुट प्रयास निरंतर चलते रहते हैं। लेकिन अब एक प्रयास है इसको एक संगठित शक्ति के रूप में हम कैसे प्रयोग करेंगे।

• भारत के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है, विश्व का भारत के प्रति आकर्षण बढ़ा है। ऐसे समय Fear of Unknown बहुत बड़ा Obstacle होता है। और ये Fear of Unknown जो है उसको मिटाने की अगर किसी की ताकत है तो विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय में है। वो उस देश के व्यक्ति को अरे भई चिंता मत करो मैं वहीं का हूं। एक बार अगर वो कह दे हां मैं वहीं का हूं, तो फिर भई Confidence level इतना बढ़ जाता है कि जो Fear of Unknown है वो फिर खत्म हो जाता है। अच्छा-अच्छा आप हिन्दुस्तान के हैं। अगर वो पूछ ले कि आप कब गए थे तो वो थोड़ा मुश्किल में आ जाएगा। लेकिन अगर नहीं पूछता है तो उसको विश्वास कर लेगा कि हां भई ये सज्जन मुझे मिले हैं ये तो हिन्दुस्तान के हैं, तो चलो मैं भी जा सकता हूं।

• विश्व में फैला हुआ भारतीय समुदाय विश्व में जो जिज्ञासा पैदा हुई है। विश्व में जो आकर्षण पैदा हुआ है। इसके लिए कोई बहुत बड़ा बीज अगर कोई बन सकता है। मिशन से भी ज्यादा अगर उसके शब्दों पर कोई विश्वास करेगा, तो फैला हुआ हमारा भारतीय समुदाय। और इसलिए हमारे लिये आवश्यक है के हम पहले विश्व भर में फैले हुए हमारे भारतीय समुदाय से अपने आप को कनेक्ट करें। जुड़ना जरूरी है।

• अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बहुत उत्तम शुरुआत की थी। प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। बाकी सरकारों ने भी इसको Continue रखा और प्रवासी भारतीय दिवस के माध्यम से मिशन का भी एक ध्यान केन्द्रित हुआ कि मेरे अनेक कामों में ये भी एक महत्वपूर्ण काम है और उसके कारण प्रवासी भारतीय ये अनुभूति करने लगे कि भई अब दुनिया के किसी भी छोर पर क्यूं न हो। लेकिन हमारे लिये कहीं जगह है कि हां भई कोई हमारा ख्याल करने वाला है।

• पिछले दो वर्ष में आपने देखा होगा कि मानवता के मुद्दों पर भारत ने विशेष कर के भारत के विदेश विभाग ने एक अपनी एक प्रतिष्ठा अर्जित की है। किसी देश में बीस-पच्चीस देश के लोग फंसे हों, उसमें भारतीय समुदाय के लोग होंगे। दुनिया के बड़े से बड़े देश सबसे पहले भारतीय एम्बेसी को सम्पर्क करते हैं कि भई हमारे लोग वहां फंसे हैं। आपका देश तो जरूर कुछ करता होगा। हमारे लोगों को भी जरा बचा लेना। और विश्व के 80 से ज्यादा देश ऐसे होंगे, जिनको पिछले दो साल में भारतीयों के साथ-साथ संकट से बचाने का बड़ा काम विदेश विभाग के नेतृत्व में भारत ने किया है।

• नेपाल में भूकम्प आया। उस भूकम्प के बाद हम अपने भारतीय भाइयों की चिंता कर सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हमने मानवता के आधार पर जिस-जिस की मदद कर सकते हैं, उन सब को मदद पहुंचाई। संकट चाहे यमन को हो, संकट चाहे मालदीव का हो मानवता, ये हमारा Central Inspiration स्वभाव है। और उसी के आधार पर जिन बातों के लिए दुनिया के कुछ देशों की जागीर मानी जाती थी आज भारत को भी मानवता के मुद्दों पर एक प्रमुख Contributor के रूप में विश्व को स्वीकार करना पड़ा है। और वो हमारे शब्दों से नहीं सिर्फ हमारे महान सांस्कृतिक विरासत से नहीं, सिर्फ हमारे भव्य इतिहास से नहीं, हमारी वर्तमान की घटनाओं से ये संभव हुआ है। वो तो था ही था। लेकिन घटनाओं ने भारत सरकार के वर्तमान व्यहवार के कारण ये बात लोगों के गले उतरती नहीं।

• हम कल्पना कर सकते हैं प्रथम विश्व युद्ध की, द्वितीय विश्व युद्ध की। ये देश कभी जमीन का भूखा नहीं रहा है। इस देश ने कभी भी दुनिया में कहीं भी आक्रमण नहीं किया है। लेकिन इसके बावजूद भी किसी और के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा हमारे जवान प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हो गए। डेढ़ लाख संख्या कम नहीं होती। लेकिन हम भारतीय हैं। उन शहीदों के साथ जुड़ कर के विश्व को हमारे इतने बड़े बलिदान का एहसास नहीं करा पाएगी। और इन दिनों जब मैं भी दुनिया में जाता हूं तो मैं यह बात अगर वहां कहीं छोटा सा भी स्मारक है तो बड़े आग्रह से चला जाता हूं। विश्व इस बात को स्वीकार करे कि हम वो लोग हैं जो किसी के लिए मरते हैं। हम वो लोग हैं जो किसी के लिए बलिदान देते हैं। हमारी ये महान परम्परा है ये हमारी उज्ज्वल गाथा है। और ये हमारी जो ताकत है। इसका एहसास दुनिया को मानवता से लेकर सामर्थ तक कराते रहना ये हम लोगों की जिम्मेवारी है।

• आने वाले दिनों में भी विश्व जिस रूप में भारत को अब देख रहा है भारत से अपेक्षा कर रहा है। उसमें बहुत बड़ी भूमिका विश्व भर में फैले हुए हमारा भारतीय समुदाय कर सकता है। हमारा भारतीय समुदाय दुनिया के देशों में जाकर के राजनीति नहीं करता है। वो सत्ता हथियाने के खेल में नहीं जुड़ता है। वे वहां रहकर के समाज की भलाई के लिए क्या काम हो सकता है उसकी चिंता करता है। दुनिया के किसी भी देश में जाइए अगर सौ साल से भारतीय समुदाय रह रहा है अगर पचास साल से रह रहा है, अगर बीस साल से उनके पड़ोस में रह रहा है, कहीं से भी भारतीय समुदाय का वहां रहने से वहां के समुदाय को कभी भी कोई दिक्कत नहीं होती। कितनी आसानी से उनमें घुल मिल जाता है। अपने उसूलों को बनाए रखता है लेकिन सबको अपना पन महसूस होता है। और यही तो हमारे संस्कारों का परिणाम है हमारी सांस्कृतिक विरासत है। हमारा व्यक्ति कहीं जाकर के ‘पानी रे पानी तेरा रंग कैसा’ जैसे मिल जाते हैं वैसे ही हमारे लोग मिल जाते हैं। और उसको वो उस अपने पन के कारण हमारी एक ताकत बन जाती है। ये भारतीय समुदाय की विशेषता है। हिन्दुस्तान के पास Tourism के Development के लिये बहुत संभानाएं हैं। विश्व में सबसे तेज गति से Grow करने वाला व्यवसाय है।

• आप दुनिया के कुछ देशों में जाएंगे आपको Entertainment के लिये बहुत कुछ मिलेगा। लेकिन मानव इतिहास की महान विरासत देखनी है तो हिन्दुस्तान जैसे ही कुछ देश हैं जहां लोगों को आकर्षण हो सकता है। हम उनको इतनी बढ़िया होटल देंगे। हम उसको हमारा कितना बढ़िया आर्किटैक्चर दिखाएंगे। विश्व के सामने अगर हम भारत के पास विश्व को परोसने के लिए Tourism के क्षेत्र से जो विरासत है। दुनिया के कई देशों में जाइए पूछिए कि भई पुरानी चीज तो कोई 200 साल पुरानी बताएगा कोई 400 साल पुरानी बताएगा। हमारे यहां कोई आएगा तो हम पांच हजार साल से शुरू करेंगे। दुनिया को देने के लिए हमारे पास क्या कुछ नहीं है। प्रवासी भारतीय दिवस के भारत इस Confidence के साथ हम इस काम को कर सकते हैं। हम करना चाहते हैं।

• प्रवासी भारतीय दिवस केन्द्र जो सौ साल पहले हिन्दुस्तान से बाहर गया है। उसको इतना पता है कि मेरा रंग, मेरा ब्लड इस देश से जुड़ा हुआ है। लेकिन यहां आने के बाद उसको पूछने वाला कोई नहीं है। कौन हो तुम। न घर का पता है न गांव का पता है। ये उसको लगेगा कि हां चलो मुझको एक घर मिल गया। वे चाहकर के मेरा बिस्तर लेकर के पूछताछ करके अपनी जगह बना पाऊंगा। ये पौने तीन करोड़ विश्व में फैले हुए लोगों का एक ऐसा केन्द्र बना है, जो वो जो निकल पड़े सिर्फ वेबसाइट पर देखा होगा। वो आकर के उसे कोई तो मिल जाएगा अपनेपन से बात करेगा। आइए भइया अच्छा बिहार के स्टेशन जाना है। ठीक है देखिए ऐसे-ऐसे जाया जाता है। अच्छा आपका ये गांव था। देखिए कोशिश करते हैं देखें मिल जाता है आपका कोई रिश्तेदार। ये एक बहुत बड़ी Dedicated व्यवस्था है। मुझे विश्वास है विश्व भर में फैले हुए प्रवासी भारतीयों के लिए बहुत ही मुबारक हो।

• मुझे बताया गया कि करीब 60-70 देशों में प्रवासी भारतीय नागरिक इस कार्यक्रम को देख रहे हैं, सुन रहे हैं। Technology के माध्यम से। आज यहां एक और प्रस्ताव का भी आयोजन हुआ। भारत के प्रति जिज्ञासा कितनी बड़ी है उसका सबसे बड़ा कारण योग है। पूरा विश्व योग के उत्सव को मनाने के लिए जिस प्रकार से initiative दे रहा है। दुनिया की सरकारें, दुनिया के राष्ट्र नेता सब लोग जुड़ रहे हैं। योग के प्रति एक श्रद्धा का भाव बन चुका है। मानसिक तनाव से गुजर रहे आपाधापी से गुजर रहे समाज को अगर भीतर से शांति देने की ताकत किसी में है, तो भारत में विकसित हुई एक व्यवस्था है। जिसमें शरीर, मन, बुद्धि सबको जोड़ने का सामर्थ्य है। 21 जून को जब अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस मनाया गया। उस समय मैंने देश भर में योग के साथ जुड़े हुए लोगों से आह्वान किया था। खासकर के भारत के नागरिकों के लिए। कि योग प्रचारित हो अच्छी बात है। योग के आभामंडल का विस्तार होता जाए खुशी की बात है। लेकिन योग अगर रोग मिटाता है, तो सामान्य मानवी के लिए बहुत उपकारक होता है। और मैंने योग के जो जानकार लोग हैं उनसे आग्रह किया था कि भारत में तेज गति से डायबिटीज़ बढ़ रहा है। और हर उम्र में डायबिटीज़ नजर आ रहा है। और डायबिटीज़ एक ऐसी व्यवस्था है, जो बाकी सब बीमारियों को निमंत्रण देती है। वो सबसे बड़ा होस्ट है। हर एक को वो स्वीकार नहीं। और इसलिए क्या योग के माध्यम से हम डायबिटीज़ से बच सकते हैं क्या ? क्या योग के माध्यम से डायबिटीज़ है तो उसको कंट्रोल कर सकते हैं क्या? या Relatively योग को Follow करें तो डेडिकेटली हम डायबिटीज़ से मुक्त हो सकते हैं क्या?

• इस विषय के ज्ञाता लोगों से लगातार हमने प्रयास किया। और मुझे बताया गया कि एक प्रोटोकॉल तैयार किया है की इतनी चीजें करने से इस इस प्रकार से करने से डायबिटीज़ से राहत मिल सकती है। उसका जो उन्होंने प्रोटोकॉल का जो बुक था मुझे आज रिलीज़ किया है। डॉ. नागेन्द्र जी योग के Expert हैं वो यहां मौजूद हैं। आयुष मंत्रालय इस काम को देखता है वो भी मौजूद है।

• और ये भी बहुत ही योग्य हैं कि स्वयं महात्मा गांधी प्राकृतिक पद्धति से ही स्वास्थ्य की चिंता करने की पक्षधार रहे हैं। नेचरोपैथी में उनकी बड़ी श्रद्धा थी। आज उसी 2 अक्तूबर को जिनकी हम अंतर्राष्ट्रीय भारतीय समुदाय का केन्द्र का शुभारंभ कर रहे हैं। और यही तो हैं जो विश्व में योग फैला है। सुसंगत है कि आज इसी समारोह के साथ-साथ इस बुकलेट को भी लॉन्च किया गया है। वो कौन है जो आने वाले दिनों में काम करेगा। आज ही के विषय जब पिछली बार प्रवासी भारतीय दिवस शुरू हुआ था। तब एक विषय मैंने रखा था।