Home » Salient points of PM’s speech at Jagran Forum
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ऱोकतंत्र की सबसे ऩहऱी अननवाययता है जागरूकता और उस जागरूकता के लऱए हर प्रकार के प्रयास ननरन्तर आवश्यक होते हैं। अब जजतनी मात्रा में जागरूकता बढ़ती है, उतनी मात्रा में समस्याओं के समाधान के रास्ते अधधक स्ऩष्ट और ननखरते हैं, जन भागीदारी सहज बनती है और जहां जन-भागीदारी का तत्व बढ़ता है, उतनी ही ऱोकतांत्रत्रक व्यवस्थाएं मजबूत होती हैं, ववकास की यात्रा को गनत आती है और ऱऺ्य प्राजतत ननजचित हो जाती है। Mann-tantra and Money-tantra are dangerous for Lok-tantra हमारे देश में ऱोकतंत्र के सामने दो खतरे भी है। एक खतरा है मनतंत्र का, दूसरा खतरा है मनीतंत्र का। आऩने देखा होगा इन ददनों जरा ज्यादा देखने को लमऱता है, मेरी मर्ज़ी, मेरा मन करता है, मैं ऐसा करूंगा। क्या देश ऐसे िऱता है क्या? मनतंत्र से देश नहीं िऱता है, जनतंत्र से देश िऱता है। आऩके मन में आऩके वविार कुछ भी हो, ऱेककन इससे व्यवस्थाएं नहीं िऱती है। अगर लसतार में एक तार ज्यादा खींिा होता है तो भी सुर नहीं आता है और एक तार ढीऱा होता है तो भी सुर नहीं आता है। लसतार के सभी तार सामान रूऩ से उसकी खखंिाई होती है, तब जा करके आता है और इसलऱए मनतंत्र से ऱोकतंत्र नहीं िऱता है… मनतंत्र से जनतंत्र नहीं िऱता है। जनतंत्र की ऩहऱी शतय होती है मेरे मन में जो भी है जन व्यवस्था के साथ मुझे उसे जोड़ना ऩड़ता है। मुझे assimilate करना ऩड़ता है, मुझे अऩने आऩ को dilute करना ऩड़े तो dilute करना ऩड़ता है। और अगर मुझमें रूतबा है तो मेरे वविारों से convince कर करके उसे बढ़ाते-बढ़ाते ऱोगों को साथ ऱे करके िऱना होता है। हम इस तरीके से नहीं िऱ सकते। दूसरा का धिंता ववषय होता है – मनीतंत्र। भारत जैसे गरीब देश में मनीतंत्र ऱोकतंत्र ऩर बहुत बड़ा कुठाराघात कर सकता है। हम उससे ऱोकतंत्र को कैसे बिाएं। उस ऩर हमारा ककतना बऱ होगा। मैं समझता हूं कक उसके आधार ऩर हम प्रयास करते हैं।हमारे यहां मूऱत: ऱोकतंत्र के लसद्ांतों में माना गया है ‘वादे-वादे जायते तत्व गोधा’ यह हमारे यहां माना गया है कक जजतने लभन्न-लभन्न वविारों का मंथन होता रहता है उतनी ऱोकतांत्रत्रक ताकत मजबूत होती है। यह हमारे यहां मूऱभूत
धिंतन रहा है। इसलऱए जब हम ऱोकतंत्र की बात करते हैं तो हम उन मूऱभूत बातों को ऱे करके कैसे िऱें उस ऩर हमारा बऱ रहना िादहए। Importance of Personal Sector apart from public and private sector: आधथयक ववकास की दृष्दट से हमारे देश में दो ऺेत्रों की ििाय हमेशा िऱी है और सारी आधथयक नींव उन्हीं दो िीजों के आस-ऩास िऱाई गई है। एक private sector, दूसरा public sector अगर हमें ववकास को जन आंदोऱन बनाना है तो private sector public sector की सीमा में रहना हमारी गनत को कम करता है और इसलऱए मैंने एक ववषय जोड़ा है उसमें – public sector, private sector and personal sector. यह जो personal sector है यह अऩने आऩ में एक बहुत बड़ी ताकत है। हम में से बहुत कम ऱोगों को माऱूम होगा कक हमारे देश की economy को कौन drive करता है। कभी-कभी ऱगता है कक यह जो 12-15 बहुत बड़े-बड़े कोरऩोरेट हाऊस हैं, अरबों-खरबों रुऩये की बातें आती हैं। जी नहीं, देश की economy को या देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने का काम यदद कहीं हुआ है तो हमारे छोटे-छोटे ऱोगों का है। क्या ऐसी हमारी व्यवस्था न हो जो हमारे इस personal sector को हम empower करे। कानूनी ददक्कतों से उसको मुजतत ददऱाए। आधथयक प्रबंधन में उसकी मदद करें। आज वे ऱोग ऐसे हैं जो ज्यादातर करीब 70% ऱोग इसमें से scheduled caste, scheduled tribe और OBC हैं। गरीब हैं, वऩछड़े तबके से हैं। अब वे ऱोग देश में करीब-करीब 12-14 करोड़ ऱोगों को रोजगार देते हैं। इतनी ताकत हैं इन ऱोगों में । हर कोई एक को रोजगार देता है, कोई दो को देता है, कोई part-time देता हैं। ऱेककन 12 से 14 करोड़ ऱोगों को रोजगार देते हैं। अगर उनको थोड़ा बऱ ददया जाए, थोड़ी मदद दी जाए उनको थोड़ा आधुननक करने का प्रयास ककया जाए तो इनकी ताकत हैं कक 15-20 करोड़ ऱोगों को रोजगार देने का सामथ्यय है। और इसके लऱए हमने एक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना को बऱ ददया है। यानी हम personal sector को ककतना बऱ दे। personal sector का एक और आज हमने ऩहऱू उठाया है जजस प्रकार से समाज का यह तबका है जो अभी मध्यम वगय में ऩहुंिा नहीं है, गरीबी में रहता नहीं है ऐसी अवस्था है उसकी कक वो सबसे ज्यादा कदठन होती है। ऱेककन एक और वगय है जो highly intellectual है-जो भारत का youth power है। उसके ऩास कऱ्ऩकता है, नया करने की ताकत है और वो देश को आधुननक बनाने में बहुत बड़ा contribute कर सकता है। वो globally कम्ऩीट कर सकता है।
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