आप सबको गुरु पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं।
शायद ये गुरुनानक देव जी का आशीर्वाद है, महान गुरु परंपरा का आशीर्वाद है कि जिसके कारण मेरे जैसे एक सामान्य व्यक्ति के हाथों से कुछ अच्छे पवित्र कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और इसलिए जो कुछ भी अच्छा हो रहा है वो ऐसे गुरुजनों का, संतजनों के आशीर्वाद के कारण है।
हम लोग कुछ नहीं हैं और इसलिए सम्मान का अधिकारी मैं नहीं हूं, सम्मान के अधिकारी ये सभी महापुरुष हैं, ये सभी गुरुजन हैं जिन्होंने सदियों से त्याग, तपस्या की महान परंपरा के साथ इस देश को बनाया है, इस देश को बचाया है।
मेरा सौभाग्य रहा नांदेड साहिब का मुझ पर आशीर्वाद बना रहे। मुझे कई वर्षों तक पंजाब में काम करने का मौका मिला और उसके कारण जो कुछ में गुजरात रहकर नहीं समझ पाता था, शायद नही जान पाता।
वो पंजाब में आप लोगों के बीच रहकर बादल साहब के परिवार के निकट रह करके बहुत कुछ जाना समझा और मैं हमेशा अनुभव करता था कि गुजरात का और पंजाब का विशेष नाता है क्योंकि जो पहले पंच प्यारे थे उसमें से एक गुजरात से द्वारिका का था और इसलिए द्वारिका जिस जिले में पड़ता है वो जामनगर में हमनें गुरु गोविंद सिंह जी के नाम से एक बहुत बड़ा अस्पताल बनाया है।
क्योंकि कल्पना यही रही है कि देश के हर कोने में महापुरुषों ने हमारे देश के लिए एकता के जो मंत्र दिए हैं और गुरुनानक देव जी के बातों में तो हमारे देश की पूरी सांस्कृतिक परंपराओं का निचोड़ हमें गुरुबाणी में महसूस होने को मिलता है।
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