- आज श्री श्री हॉरिचान्द ठाकुर जी की कृपा से मुझे ओराकान्डी ठाकुरबाड़ी की इस पुण्यभूमि को प्रणाम करने का सौभाग्य मिला है। मैं श्री श्री हॉरिचान्द ठाकुर जी, श्री श्री गुरुचान्द ठाकुर जी के चरणों में शीश झुकाकर नमन करता हूँ।
- अभी मेरी यहां कुछ महानुभावो से बात हो रही थी तो उन्होंने कहा – किसने सोचा था कि भारत का प्रधानमंत्री कभी ओराकान्दी आएगा।
- मैं आज वैसा ही महसूस कर रहा हूं, जो भारत में रहने वाले ‘मॉतुवा शॉम्प्रोदाई’ के मेरे हजारों-लाखों भाई-बहन ओराकान्दी आकर जो महसूस करते हैं ।
- मैं आज यहां आया तो मैंने उनकी तरफ से भी इस पुण्य भूमि को चरण स्पर्श किया है। इस दिन की, इस पवित्र अवसर की प्रतीक्षा मुझे कई वर्षों से थी।
- साल 2015 में जब मैं प्रधानमन्त्री के तौर पर पहली बार बांग्लादेश आया था, तभी मैंने यहां आने की इच्छा प्रकट की थी। वो मेरी इच्छा, वो मेरी कामना आज पूरी हुई है।
- मुझे लगातार श्री श्री हॉरिचान्द ठाकुर जी के अनुयायियों से प्रेम और स्नेह हमेशा मिलता रहा है, उनके परिवार का अपनापन मुझे मिलता रहा है।
- मैं आज ठाकूरबाड़ी के दर्शन-लाभ के पीछे उनके आशीर्वाद का प्रभाव भी मानता हूँ। मुझे याद है, पश्चिम बंगाल में ठाकुरनगर में जब मैं गया था, तो वहाँ मेरे मॉतुवा भाइयों-बहनों ने मुझे परिवार के सदस्य की तरह बहुत प्यार दिया था।
- विशेष तौर पर ‘बॉरो-माँ’ का अपनत्व, माँ की तरह उनका आशीर्वाद, मेरे जीवन के अनमोल पल रहे हैं। पश्चिम बंगाल में ठाकूरनगर से बांग्लादेश में ठाकूरबाड़ी तक, वैसी ही श्रद्धा है, वैसी ही आस्था है, और वैसा ही अनुभव है।
- मैं बांग्लादेश के राष्ट्रीय पर्व पर भारत के 130 करोड़ भाइयों-बहनों की तरफ से आपके लिए प्रेम और शुभकामनाएं लाया हूँ। आप सभी को बांग्लादेश की आज़ादी के 50 साल पूरे होने पर ढेरों बधाई, हार्दिक शुभकामनाएँ।
- कल ढाका में National Day कार्यक्रम के दौरान मैंने बांग्लादेश के शौर्य- पराक्रम की, उस संस्कृति की अद्भुत झांकी देखी, जिसे इस अद्भुत देश ने सहेजकर रखा है और जिसका आप बहुत प्रमुख हिस्सा हैं।
- यहाँ आने के पहले मैं जातिर पीता बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान की ‘शमाधि शौधौ’ पर गया, वहाँ श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
- शेख मुजिबूर रॉहमान जी का नेतृत्व, उनका Vision और बांग्लादेश के लोगों पर उनका विश्वास एक मिसाल है।
- आज जिस तरह भारत-बांग्लादेश की सरकारें दोनों देशों के स्वाभाविक सम्बन्धों को मजबूत कर रही हैं, सांस्कृतिक रूप से यही काम ठाकूरबाड़ी और श्री श्री हॉरिचान्द ठाकुर जी के संदेश दशकों से करते आ रहे हैं।
(The views expressed are the author's own and do not necessarily reflect the position of the organisation)