- आज हलषष्टी है, भगवान बलराम की जयंती है। सभी देशवासियों को, विशेषतौर पर किसान साथियों को हलछठ की, दाऊ जन्मोत्सव की, बहुत-बहुत शुभकामनाएं !!
- इस बेहद पावन अवसर पर देश में कृषि से जुड़ी सुविधाएं तैयार करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए का विशेष फंड लॉन्च किया गया है। इससे गांवों-गांवों में बेहतर भंडारण, आधुनिक कोल्ड स्टोरेज की चेन तैयार करने में मदद मिलेगी और गांव में रोज़गार के अनेक अवसर तैयार होंगे।
- इसके साथ-साथ साढ़े 8 करोड़ किसान परिवारों के खाते में, पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में 17 हज़ार करोड़ रुपए ट्रांस्फर करते हुए भी मुझे बहुत संतोष हो रहा है। संतोष इस बात का है कि इस योजना का जो लक्ष्य था, वो हासिल हो रहा है।
- हर किसान परिवारतक सीधी मदद पहुंचे और ज़रूरत के समय पहुंचे, इस उदेश्य में ये योजना सफल रही है.बीते डेढ़ साल में इस योजना के माध्यम से 75 हज़ार करोड़ रुपए सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा हो चुके हैं। इसमें से 22 हज़ार करोड़ रुपए तो कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान किसानों तक पहुंचाए गए हैं।
- साथियों, दशकों से ये मांग और मंथन चल रहा था, कि गांव में उद्योग क्यों नहीं लगते? जैसे उद्योगों को अपने उत्पाद का दाम तय करने में और उसको देश में कहीं भी बेचने की आज़ादी रहती है, वैसी सुविधा किसानों को क्यों नहीं मिलती?
- अब ऐसा तो नहीं होता कि अगर साबुन का उद्योग किसी शहर में लगा है, तो उसकी बिक्री सिर्फ उसी शहर में होगी। लेकिन खेती में अब तक ऐसा ही होता था।
- जहां अनाज पैदा होता है, तो किसान को स्थानीय मंडियों में ही उसको बेचना पड़ता था।इसी तरह ये भी मांग उठती थी कि अगर बाकी उद्योगों में कोई बिचौलिए नहीं हैं, तो फसलों के व्यापार में क्यों होने चाहिए?
- अगर उद्योगों के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होता है, तो वैसा ही आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर कृषि के लिए भी मिलना चाहिए।
- साथियों, अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसान और खेती से जुड़े इन सारे सवालों के समाधान ढूंढे जा रहे हैं। एक देश, एक मंडी के जिस मिशन को लेकर बीते 7 साल से काम चल रहा था, वो अब पूरा हो रहा है।
- पहले e-NAM के ज़रिए, एक टेक्नॉलॉजी आधारित एक बड़ी व्यवस्था बनाई गई।अब कानून बनाकर किसान को मंडी के दायरे से और मंडी टैक्स के दायरे से मुक्त कर दिया गया।
- अब किसान के पास अनेक विकल्प हैं। अगर वो अपने खेत में ही अपनी उपज का सौदा करना चाहे, तो वो कर सकता है। या फिर सीधे वेयरहाउस से, e-NAM से जुड़े व्यापारियों और संस्थानों को, जो भी उसको ज्यादा दाम देता है, उसके साथ फसल का सौदा किसान कर सकता है।
- इसी तरह एक और नया कानून जो बना है, उससे किसान अब उद्योगों से सीधी साझेदारी भी कर सकता है। अब जैसे आलू का किसान चिप्स बनाने वालों से, फल उत्पादक यानी बागबान जूस, मुरब्बा, चटनी जैसे उत्पाद बनाने वाले उद्योगों से साझेदारी कर सकते हैं।
