Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

अंतरिम बजट से विकसित भारत के लिए चुनाव में मोदी सरकार

अंतरिम बजट में भी एक बार सारे अनुमान ध्वस्त हुए। महिलाओं के लिए लाडली बहना जैसी योजना और किसान सम्मान निधि को दोगुना करने जैसी लोक लुभावन योजनाएँ अंतरिम बजट में आने का अनुमान एकदम गलत निकला। अच्छी बात यह रही कि, नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनावी वर्ष में भी लोक लुभावन योजनाओं का एलान नहीं किया। बजट के बाद दूरदर्शन से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, नरेंद्र मोदी सरकार अंतरिम बजट में किसी तरह की लोक लुभावन योजनाओं का एलान नहीं कर रही है, हम जानते हैं कि, हमारी सरकार का काम लोगों को सब कुछ बता देता है। वित्त मंत्री ने कहा कि, वित्तीय अनुशासन का मतलब सिर्फ खर्च में कटौती करना नहीं है बल्कि, राजस्व बढ़ाने के साथ पैसे की बर्बादी को रोकना है। करदाताओं की चुकाई रकम का उपयोग सम्मान के साथ होना चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बयान पूरे बजट का सार दे रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट को देश के लिए निरंतरता के विश्वास का बजट बताया और कहा कि, गरीब, युवा, किसान और महिला, इन चारों वर्गों को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार की सारी योजनाएँ चल रही हैं और बजट भी उसी को आगे बढ़ाने वाला है। राहुल गांधी की जातीय गणना और पिछड़ी जाति के लोगों की भागीदारी के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि, देश में सिर्फ चार जातियाँ हैं और गरीब, युवा, किसान और महिला, चार जातियाँ बताकर प्रधानमंत्री ने जातीय राजनीति को ध्वस्त करने का अभियान शुरू किया था जो बजट में भी दिख रहा था। रघुराज राजन और कौशिक बसु जैसे यूपीए सरकार पोषित अर्थशास्त्रियों को छोड़कर हर कोई अंतरिम बजट में बुनियादी ढाँचे पर निवेश बढ़ाने के बावजूद वित्तीय अनुशासन कायम रखने के लिए अंतरिम बजट की प्रशंसा कर रहा था। अर्थशास्त्री इसे ड्रीम बजट बता रहे थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2014 से नरेंद्र मोदी सरकार के दस वर्षों और 2014 से पहले के डॉक्टर मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दस वर्षों पर श्वेत पत्र लाने की बात भी अंतरिम बजट करते हुए अपने भाषण में कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर श्वेत पत्र लाने की बात कह चुके थे। मोदी सरकार की नीतियों को अंतरिम बजट में बताए गए 5 दिशा निर्देशक तत्वों से भी आसानी से समझा जा सकता था। वित्त मंत्री ने पाँचों दिशा निर्देशक तत्वों का वर्णन किया। पहला- प्रभावी सुशासन के लिए सामाजिक न्याय, गरीब, दूसरा- गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी, तीसरा- बुनियादी ढाँचे पर विशेष ध्यान, चौथा- तकनीक के उपयोग से उत्पादकता बढ़ाना और पाँचवां- जनसंख्या की चुनौतियों से निपटने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन। 

अंतरिम बजट में कैपिटल खर्च 11 प्रतिशत से अधिक बढ़ाया गया था। 11 लाख 11 हजार करोड़ रुपये का आवंटन देश में बुनियादी सुविधाओं को तैयार करने के लिए किया गया था। राज्य सरकारों को अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए 50 वर्षों के लिए ब्याज मुक्त कर्ज देने की योजना को केंद्र सरकार ने एक वर्ष के लिए और बढ़ा दिया था। तीन बड़े रेलवे आर्थिक गलियारे का एलान विकसित भारत के लिहाज से गति बढ़ाने और परिवहन खर्च घटाने के लिए किया गया था। 2047 तक विकसित भारत के संकल्प के लिहाज से बजट का यह सबसे महत्वपूर्ण एलान दिख रहा था। ट्रेनों की  40 हजार सामान्य डिब्बों को फंदे भारत डिब्बों में परिवर्तित करने का एलान जनसामान्य की परिवहन सुविधा को नये स्तर तक ले जाने का प्रयास दिख रहा था। एफडीआई को अभी तक बाहर से आने वाले निवेश यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तौर पर ही लोग जानते थे। अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने इसके लिए एक नई शब्दावली बना दी। एफडीआई यानि फर्स्ट डेवलप इंडिया, एक तरह से यह आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का समानार्थी ही था। वित्तीय वर्ष 2025 के लिए 5.1 प्रतिशत तक वित्तीय घाटे को ले आने का लक्ष्य दिखा रहा था कि, सरकार का वित्तीय अनुशासन पर कितना जोर है और कोविड से पहले और कोविड के बावजूद, जिस तरह से नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्तीय अनुशासन दिखाया है, उसकी प्रशंसा विश्व के हर मंच पर होती रही है। इससे विश्व की कंपनियों का भारत में विश्वास भी बढ़ा था। आईएमएफ की एक रिपोर्ट में भारत के बढ़ते कर्ज पर चिंता जताई गई थी हालाँकि, भारत सरकार ने रिपोर्ट में जताई जा रही उस आशंका को सिरे से खारिज कर दिया था कि, हम विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं, ऐसे में कर्ज हमारे लिए उत्पादक है और उसके डूबने का कोई खतरा नहीं है। इसके बावजूद अंतरिम बजट में सरकार ने कम कर्ज लेने की बात कही है। सरकार के कम कर्ज लेने का सीधा सा मतलब हुआ कि, सरकार का बहीखाता दुरुस्त रहेगा और इसके साथ ही बैंकों के पास लोगों को कर्ज देने के लिए अधिक रकम रहेगी, जिससे रिजर्व बैंक ब्याज दरें घटा सकता है और इसका लाभ आम लोगों को भी मिलेगा। नरेंद्र मोदी सरकार ने भले ही इस अंतरिम बजट में करदाताओं को सीधे कोई छूट नहीं दी और पिछले बजट में नई कर प्रणाली के तहत दी गई 7 लाख रुपये तक कर मुक्त करने को ही दोबारा प्रचारित किया, लेकिन करदाताओं पर आयकर विभाग की तरफ से 25 हजार रुपये तक की माँग को समाप्त करके लगभग एक करोड़ दस लाख आयकर दाताओं को राहत दे दी। मध्य वर्ग के लिए अपनी छत पर सौर ऊर्जा यंत्र लगाकर 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली का एलान बहुत बड़े निर्णय के तौर पर देखा गया। इसकी वजह से एक सामान्य परिवार का सालाना 15 से 18 हजार रुपये बचना उनके जीवनस्तर में बेहतरी की वजह बनेगा, ऐसा दावा सरकार की तरफ से किया जा रहा था। आयातित पेट्रोल-डीजल की महंगाई से राहत दिलाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ाने पर सरकार लगातार कार्य कर रही है। अंतरिम बजट में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माण और चार्जिंग इकोसिस्टम पर सरकार ने जोर देने की बात कही। मध्य वर्ग के लिए नई हाउसिंग योजना लाने की बात भी बजट में कही गई है। इसका लक्ष्य किराए पर रह रहे लोगों को उनका मकान देना है। नरेंद्र मोदी सरकार निम्न आय वर्ग के लोगों को प्रधानमंत्री शहरी और ग्रामीण आवास योजना के जरिये छत देने की योजना को तेजी से लागू कर रही है। अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना को अगले 5 वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। सरकार इस दौरान 2 करोड़ अतिरिक्त घर बनाकर देगी। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इनमें से अधिकांश घर बनने वाले हैं। इन्हीं राज्यों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग सबसे अधिक हैं। जिस बजट को चुनावी लोक लुभावन एलानों से एकदम से मुक्त माना जा रहा है, उस बजट में भी नरेंद्र मोदी अपने लाभार्थियों को दायरा और बड़ा करने में अधिक मजबूती से आगे बढ़ते दिख रहे हैं। अंतरिम बजट का सार अगर कहना है तो कहा जा सकता है कि, नरेंद्र मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारपण ने वित्तीय अनुशासन और नीतियों की निरंतरता रखते हुए देश के बुनियादी ढाँचे को विश्वस्तरीय बनाकर विश्व के वैकल्पिक निर्माण केंद्र के रूप विश्व की कंपनियों का फर्स्ट डेवलप इंडिया के लिए आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की है, जिससे भारत 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ चला है और इस बजट के साथ ही नरेंद्र मोदी ने जुलाई में पूर्ण बजट प्रस्तुत करने का विश्वास जताते हुए देश की जनता से अपने तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। विश्व मंचों पर भारत की बढ़ती भूमिका और अर्थव्यवस्था की मजबूती को देखते हुए देश की जनता 2024 के लोकसभा चुनावों में इसी निरंतरता को बनाए रखने के लिए नरेंद्र मोदी को तीसरी बार चुनने का मन बनाती दिख रही है।

(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार  एवं  डॉ. श्यामा  प्रसाद मुखर्जी  रिसर्च फाउंडेशन में  सीनियर फेलो है। लेख में व्यक्त उनके विचार निजी हैं।)