Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

विकसित और नए भारत की नींव

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में नौ वर्ष पूरे किए। सन्योग है कि नौंवी वर्षगांठ के ठीक पहले पापुआ न्यू गिनी ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है। गवर्नर जनरल सर बाब दबाई ने पीएम मोदी को ग्रैंड कैम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहु दिया। फिजी के प्रधानमंत्री सितीवेनी राबुका ने कम्पैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजीसे नरेंद्र मोदी को सम्मानित किया। चुनिंदा  गैर फिजी नागरिकों को यह सम्मान दिया गया है। नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगभग एक दर्जन सम्मान मिल चुके है। देश विदेश में मोदी मोदी की गूंज होती है। जबकि इस अवधि में दो वर्ष वैश्विक कोरोना महामारी का प्रकोप रहा। इसने दुनिया के विकसित देशों को भी हिला कर रख दिया। सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव हुआ। इससे अभी संभलने का प्रयास चल रहा था तभी रूस यूक्रेन संकट सामने आ गया। इन सभी कारणों से पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ी है। अमेरिका व यूरोप के विकसित देशों में कई दशक कर बाद ऐसी मंहगाई देखी जा रही है। नरेंद्र मोदी सरकार ने तो इस अवधि में दुनिया की सबसे बड़ी नि:शुल्क राहत वितरण योजना का संचालन किया। दुनिया का सबसे बड़ा नि:शुल्क टीकाकरण अभियान चलाया। इसके अलावा राहत के अनेक कार्य किये गए। जाहिर है कि परिस्थितियां प्रतिकूल रही है। दुनिया का कोई देश इससे बचा नहीं है। किंतु भारत का विपक्ष नकारात्मक राजनीति से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। निष्पक्षता के नाम पर नकारात्मक प्रचार करने वाले पत्रकार भी इसमें शामिल है। वह बता रहे है कि नौ वर्षो में महंगाई की दर सर्वाधिक है किंतु उनके विश्लेषण में दुनिया की परिस्थिति शामिल नहीं है। यूपीए सरकार तेल उत्पादक देशों व कम्पनियों का कई लाख करोड़ रुपये का कर्ज छोड़ गई थी। इसकी भरपाई भी वर्तमान सरकार को करनी पड़ रही है। इन नौ वर्षों में अनेक संवेदनशील समस्याओं का समाधान हुआ। यह सभी नरेंद्र मोदी सरकार के कारण ही संभव हुआ। यदि कोई अन्य सरकार होती तो इन मसलों पर चर्चा तक मुनासिब ना होती। कांग्रेस के अनेक दिग्गज नेता श्री रामजन्म भूमि सुनवाई को टालने के लिए जमीन आसमान एक कर रहे थे। श्री रामजन्म भूमि का विवाद पांच शताब्दी पुराना था। कहा जा रहा था कि दोनों पक्ष सहमति से इसका समाधान निकालें या कोर्ट का फैसला माने। सहमति से समाधान असंभव था। मंदिर के विरोध में बाकायदा एक्शन कमेटी बनी थी। अपने को सेक्युलर घोषित करने वाले भी मंदिर निर्माण के विरोधी थे। नरेंद्र मोदी सरकार ने कोर्ट में शीघ्र सुनवाई का मार्ग प्रशस्त किया। इससे सदियों से लंबित समस्या का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से हुआ। 26 मई को मंदिर का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। तीन तलाक पर प्रतिबंध भी नरेंद्र मोदी सरकार के कारण संभव हुआ। अनेक मुस्लिम देश इस पर रोक लगा चुके है लेकिन भारत में रोक की बात को ही साम्प्रदायिक करार दिया जाता था लेकिन मोदी सरकार ने इसकी कोई चिंता नहीं की। उसने पहल की, अंततः तीन तलाक  की कुप्रथा समाप्त हुई। मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला। अनुच्छेद 370 और 35 A का विरोध करना भी साम्प्रदायिकता माना जाता था। सेक्युलर दिखने के लिए इन अलगाववादी प्रावधानों का समर्थन जरूरी था। संसद में इस पर चली बहस से यह प्रमाणित भी हुआ। इसके हटने पर गम्भीर परिणाम की चेतावनी तक दी गई लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने इसको हटा कर ही दम लिया। देश में सत्तर वर्ष बाद एक विधान एक निशान लागू हुआ।  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी है। इसलिए देश विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। मोदी ने अपनी दूरदर्शी नीतियों, समर्पण और टीम इंडिया की भावना के साथ देश के लोकतंत्र को एक नई दिशा दी है।

सरकार के प्रत्येक निर्णय लोक कल्याण व राष्ट्रीय  हित के अनुरूप है। मोदी ने दशकों से लंबित फैसलों को लागू किया। कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। भारत में दुनिया को चकित और प्रेरित करने का साम‌र्थ्य है। लेकिन इसके लिए पहले देश को आत्मनिर्भर बनाना होगा। बीस लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के सहारे भारत आयात पर निर्भरता कम होगी। भारत आत्मनिर्भर बनेगा। इससे भारत की विकास यात्रा को नई गति मिली है। सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के गठन किया गया। आपदा के इस दौर में उत्पीड़ित लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसके विरोध में जम कर हंगामा हुआ था। हंगामे के समर्थन करने वाले दलों व इसे लागू ना करने वाली राज्य सरकारों को शर्मिंदा होना चाहिए। 

आजादी के बाद सात दशकों में देश के केवल साढ़े तीन करोड़ ग्रामीण घरों में ही पानी के कनेक्शन थे। लेकिन पिछले पिछले महीनों में ही साढ़े चार करोड़ घरों को साफ पानी कनेक्शन दिए गए हैं। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान लागू की गई। इसके दायरे में पचास करोड़ लोग है। नौ सालों में भारत ने डिजिटल लेनदेन में दुनिया को नई दिशा दिखाने का काम किया है। रिकॉर्ड सैटेलाइट प्रक्षेपित किये जा रहे हैं। रिकॉर्ड सड़कें बनाई जा हैं। दशकों से लंबित अनेक योजनाएं पूरी की गई। अनेक पुराने विवाद भी पूरी शांति और सौहार्द से सुलझाए गए हैं। 

पूर्वोत्तर से लेकर कश्मीर तक शांति और विकास का एक नया भरोसा जगा है। स्वरोजगार के लिए मुद्रा बैंक ने बड़ी संख्या में लोगों को लाभान्वित किया। स्वनिधि योजना से भी गरीब व्यवसायियों को लाभ मिल रहा है। अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक पैकेज दिया गया। कोरोना काल में अस्सी करोड़ लोगों को नि:शुल्क राशन की व्यवस्था की गई। जन औषधी दवा केन्द्र की संख्या अस्सी से बढ़कर पांच हजार हो गई। करीब सवा सौ नये मेडिकल कालेज खुले है। यूपीए के दस वर्ष में भारतीय रेल ने मात्र चार सौ तेरह रेल रोड ब्रिज और अंडर ब्रिज का निर्माण किया। मोदी सरकार ने इससे तीन गुना अधिक निर्मांण किया। 

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के पन्द्रह करोड़ से ज्यादा लाभार्थी है। यह दुनिया की सबसे सस्ती योजना है। बिजली उत्पादन चालीस प्रतिशत वृद्धि हुई। सोलर ऊर्जा में आठ गुना वृद्धि हुई। फसल बीमा योजना का लाभ पहले पचास प्रतिशत नुकसान पर मिलता था। अब किसान को तैतीस प्रतिशत पर भी मिल जाता है। युरिया को नीम कोटेड किया कलाबाजारी खत्म हुई। देश मे युरिया की कोई कमी नहीं है। बारह करोड़ लोगों को मुद्रा योजना से ऋण मिला। इतने ही किसानों को सम्मान निधि दी जा रही है। पिछली सरकारों के समय बावन सेटेलाईट लाँच किये थे। मोदी सरकार ने अब तक देशी विदेशी करीब तीन सौ सेटेलाईट लाँच कर चुकी हैं। यूपीए के समय ग्रामीण सडक से जुडी बस्ती मात्र पचपन प्रतिशत थी। अब करीब 95 प्रतिशत हैं.

नरेंद्र मोदी सरकार ने चालीस करोड़ लोगों के जनधन खाते खुलवाए। पहले ये लोग बैंकिंग सेवा से वंचित थे। आयुष्मान, उज्ज्वला और निर्धन आवास योजनाएं संचालित की गई। देश खुले में शौच से मुक्त हो गया। भाजपा सरकार ने घर घर बिजली पहुंचाई। आठ करोड़ गैस कनेक्शन दिए। राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि योजनाओं के एक रुपये में पन्द्रह पैसा गरीबों तक पहुंचता था। लेकिन वे बस कहकर ही रह गए, समाधान की दिशा में कुछ नहीं किया। समाधान नरेंद्र मोदी ने किया है। आज पूरा पैसा सीधे लोगों के खातों में पहुंच रहा है।

लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं | प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं |