- संगीत देश की सामूहिक ताकत का स्रोत बन चुका है.
- इतनी कष्टकारी परिस्थितियों में, संगीतकारों का मिजाज़ नहीं बदला और सम्मेलन की विषय वस्तु इस बात पर केन्द्रित है कि कोविड-19 महामारी के कारण युवाओं के बीच उत्पन्न तनाव को कैसे कम किया जा सकता है।
- संगीत ने प्रेरणा प्रदान करने और लोगों को आपस में जोड़ने की भूमिका निभाई।
- कवियों, गायकों और कलाकारों ने हमेशा ऐसे समय में लोगों की बहादुरी को बाहर लाने के लिए गीत और संगीत की रचना की।
- अब भी, ऐसे कष्टकारी समय में जब दुनिया एक अदृश्य शत्रु से लड़ रही है, गायक, गीतकार, और कलाकार पंक्तियों की रचना कर रहे हैं और गाने गा रहे हैं जिससे लोगों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- इस देश के 130 करोड़ लोग महामारी से मुकाबला करने के लिए पूरे देश में जोश भरने के लिए ताली बजाने, घंटियां और शंख बजाने के लिए एकजुट हो गए।
- जब समान सोच और भावना के साथ 130 करोड़ लोग एकजुट हो जाते हैं तो यह संगीत बन जाता है।
- जिस प्रकार संगीत में सामंजस्य और अनुशासन की जरूरत होती है, वैसे ही कोरोना से लड़ाई में हर नागरिक में सामंजस्य, संयम और अनुशासन की जरूरत है।
- भारत में नाद को संगीत की बुनियाद और आत्म ऊर्जा के आधार के रूप में देखा जाता है।
- जब हम योग और संगीत के माध्यम से अपनी आंतरिक ऊर्जा का नियंत्रित करते हैं तो यह नाद अपने स्वरोत्कर्ष या ब्रह्मनाद की स्थिति में पहुंच जाती है।
- यही वजह है कि संगीत और योग दोनों में ध्यान और प्रेरणा देने की शक्ति है, दोनों ही ऊर्जा के बड़े स्रोत हैं।
- संगीत न सिर्फ आनंद का स्रोत है, बल्कि वह सेवा का एक माध्यम और तपस्या का एक रूप है।
- हमारे देश में कई महान संगीतज्ञ रहे हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में बिता दिया।
- तकनीक के साथ प्राचीन कला और संगीत का सम्मिश्रण भी समय की मांग है।
- राज्यों और भाषाओं की सीमाएं से ऊपर आज संगीत ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के आदर्श को भी मजबूत बना रहा है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।
- लोग अपनी रचनात्मकता के माध्यम से सोशल मीडिया पर नए संदेश दे रहे हैं, साथ ही कोरोना के खिलाफ देश के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।
- यह सम्मेलन कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई को नई दिशा भी देगा।
(The views expressed are the author's own and do not necessarily reflect the position of the organisation)