Home » कोविड-19 के संबंध में गुटनिरपेक्ष आंदोलन सम्पर्क समूह की वीडियो कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री का सम्बोधन
- मैं इस वर्चुअल कॉन्फ्रेंस का आयोजन करने के लिए महामहिम राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव का आभार प्रकट करता हूं। सबसे पहले मैं उन सभी के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं, जिन्होंने दुनिया भर में फैली कोविड-19 महामारी के कारण अपने प्रियजनों को खो दिया है।
- आज, मानवता दशकों के सबसे गंभीर संकट का सामना कर रही है। ऐसे में गुटनिरपेक्ष आंदोलन वैश्विक एकजुटता को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकता है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन अक्सर दुनिया की नैतिक आवाज रहा है। इस भूमिका को बरकरार रखने के लिए, गुटनिरपेक्ष आंदोलन को आवश्यक रूप से समावेशी बने रहना होगा।
- मानव आबादी का छठा भाग भारत में निवास करता है। हम एक विकासशील देश और मुक्त समाज हैं। संकट की इस घड़ी में हमने दर्शाया है कि कैसे लोकतंत्र, अनुशासन और निश्चयात्मकता एक साथ मिलकर वास्तविक जनांदोलन का सूत्रपात कर सकते हैं।
- भारत की सभ्यता समूचे विश्व को एक परिवार के रूप में देखती है। जिस तरह हम अपने नागरिकों की परवाह करते हैं, उसी तरह हम अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं। कोविड-19 से निपटने के लिए हमने अपने निकटतम पड़ोसी देशों के साथ तालमेल को बढ़ावा दिया है।
- हम बहुत से अन्य देशों के साथ भारत की चिकित्सकीय विशेषज्ञता को साझा करने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित कर रहे हैं। भारत को विशेष तौर पर किफायती दवाओं के लिए दुनिया की फार्मेसी माना जाता है।
- अपनी आवश्यकताओं के बावजूद, हमने गुटनिरपेक्ष आंदोलन के 59 सदस्य देशों सहित अपने 123 साझेदार देशों को चिकित्सा आपूर्ति भेजना सुनिश्चित किया है।
- हम उपचार और वैक्सीन विकसित करने के वैश्विक प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। भारत में जड़ी-बूटियों पर आधारित दुनिया की प्राचीनतम परम्परागत औषधि प्रणाली विद्यमान है। हम लोगों की स्वाभाविक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने में उनकी सहायता करने के लिए सरल आयुर्वेदिक घरेलू उपचार मुक्त भाव से उनके साथ साझा करते हैं।
- अब जबकि विश्व कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहा है, ऐसे में कुछ लोग अन्य घातक वायरसों को फैलाने में व्यस्त हैं। जैसे आतंकवाद। जैसे फेक न्यूज और डॉक्टर्ड वीडियो, समाजों और देशों को बांटने के लिए। लेकिन आज, मैं केवल सकारात्मवक बातों पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं।
- हम एक आंदोलन के रूप में एकजुट होकर इस स्वास्थ्य संकट का मुकाबला करने में विश्व की मदद कर सकते हैं।
- कोविड-19 ने हमें मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की सीमाएं दर्शा दी हैं। कोविड-पश्चात विश्व में, हमें निष्पक्षता, समानता और मानवता पर आधारित एक नए स्वररूप के वैश्वीकरण की आवश्यकता होगी।
- हमें ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की आवश्यकता है, जो आज के विश्व का ज्यादा प्रतिनिधित्व करती हों। हमें सिर्फ आर्थिक प्रगति पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि मानव कल्याण को बढ़ावा देने की जरूरत है। भारत लम्बे अर्से से ऐसी पहलों का समर्थक रहा है।
- जिस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समस्त मानव जाति के शारीरिक और मानसिक कल्याण को बेहतर बनाता है। जिस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, हमारे ग्रह को जलवायु परिवर्तन की व्याधि से स्वस्थ होने में मदद करता है। जिस प्रकार आपदा रोधी अवसंरचना के लिए वैश्विक गठबंधन जलवायु और आपदा जोखिमों से हमारी रक्षा करता है।
- अनेक देश सैन्य अभ्यास आयोजित करते हैं। लेकिन भारत ने हमारे क्षेत्र और उससे परे आपदा प्रबंधन अभ्यास का आयोजन करने की दिशा में पहल की है।
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और विश्व स्वास्थ्य संगठन से विकासशील देशों में स्वास्थ्य–क्षमता विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान करना चाहिए। हमें स्वास्थ्य उत्पादों और प्रौद्योगिकियों तक सभी की समान, किफायती और समय पर पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए।
- हमें अपने अनुभवों, उत्कृष्ट पद्धतियों, संकट-प्रबंधन प्रोटोकॉल्सं, अनुसंधान एवं संसाधनों को एकत्र करने के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सभी सदस्य देशों के लिए एक मंच तैयार करना चाहिए।
- हमारे आंदोलन की स्थापना की भावना के अनुसार, आइए हम सभी एकजुट हों, अलग-थलग न हों। यदि हम सभी एकजुट होंगे, केवल तभी हममें से प्रत्येक देश इस महामारी से सुरक्षित रह सकता है। आइए हम सभी एक समावेशी और सहयोगपूर्ण वैश्विक प्रतिक्रिया के लिए साझेदारों की तरह कार्य करें।
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