कांग्रेस के रष्ट्रीय अध्यक्ष और विपक्ष के कई नेता बार-बार यह कह रहे कि भाजपा 2024 में सत्ता में आ गई तो देश से लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। अपने 55 साल के शासन में कांग्रेस ने 132 बार राष्ट्रपति शासन लगाया, राज्य सरकारें गिराईं, सीएम फ्रिक्वेंटली बदले, और नहीं तो इमर्जेंसी थोपी। फिर भी लोकतंत्र खत्म नहीं हुआ तो भाजपा से इतना भय क्यों दिखा रही?
केंद्र की सत्ता में लगातार दूसरी बार काबिज भारतीय जनता पार्टी को 2024 में उखाड़ फेंकने के लिए कांग्रेस बेचैन है। इसके लिए आधी-अधूरी कोशिशें भी उसकी ओर से हो रही है। दो बार कांग्रेस के पीएम फेस के रूप में आजमाए जा चुके राहुल गांधी कभी भारत जोड़ो तो भारत जोड़ो न्याय यात्रा के नाम पर साल भर से रुक-रुक कर देश भर में घूम रहे हैं। कांग्रेस ने विपक्षी दलों को एकजुट भी किया। पर इस एकजुटता का हासिल यह है कि यूपी में समाजवादी पार्टी द्वारा कुल 80 में 17 सीटें देने पर ही कांग्रेस को संतुष्ट होना पड़ा। ममता बनर्जी ने बंगाल की 42 में दो सीटें ही अभी तक देने की बात कही है। अब लालू यादव और अखिलेश यादव से कांग्रेस को आस है कि वे ममता से बात कर उसकी सीटों में थोड़ी और बढ़ोतरी करा देंगे। महाराष्ट्र में बात बन नहीं पा रही है। पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग ताल ठोकेंगी। दिल्ली में भी कांग्रेस को अदब से सात में तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। बिहार में 40 सीटें हैं, जिनमें सात से 10 सीटें और झारखंड में 14 में सात से नौ सीटें कांग्रेस को मिलने वाली हैं।
कांग्रेस का राज 55 साल रहा
देश आजाद होने के बाद से लेकर 2014 तक कांग्रेस केंद्र की सत्ता में काबिज रही। इस दौरान हुए 16 आम चुनावों में कांग्रेस को छह में पूर्ण बहुमत हासिल किया। चार बार उसे गठबंधन सरकार का नेतृत्व का करने का अवसर मिला। आजाद भारत के पहले आम तुनाव में कांग्रेस को 364 सीटें मिली थीं। 16वीं लोकसभा में कांग्रेस 44 सीटों पर आ गई। 17वीं लोकसभा में उसकी स्थिति थोड़ी सुधरी, पर गाड़ी 51 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई। कांग्रेस ने गांधी परिवार का वर्चस्व बनाए रखने के लिए सोनिया के बाद राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाया, लेकिन वे भी कारगर साबित नहीं हुए। राहुल और सोनिया गांधी से पहले जवाहर नेहरू, कामराज, नीलम संजीव रेड्डी, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी, राजीव गांधी जैसे दिग्गज कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
कांग्रेस को लोकतंत्र की चिंता
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चिंता है कि कि 2024 में अगर भाजपा तीसरी बार सत्ता में आ गई तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। वे लोकतंत्र बचाने का 2024 के चुनाव को आखिरी मौका मानते हैं। वे कहते हैं कि लोकतंत्र को बचाने का यह आखिरी मौका है। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो आने वाली पीढ़ियां पछताएंगी। ऐसा कहते समय वे भूल जाते हैं कि 55 साल तक बहुमत की सरकार चलाने और बाद के वर्षों में गठबंधन सरकार चलाने के बाद वे लोकतंत्र खत्म नहीं कर पाए तो महज 10 साल सत्ता में रहने वाली भाजपा कैसे लोकतंत्र के लिए उन्हें खतरा नजर आने लगी है। आजाद भारत में आरंभ से लगातार पांच बार कांग्रेस ने लोकसभा का चुनाव जीता। तब किसी को यह भय नहीं हुआ कि कांग्रेस देश से लोकतंत्र को खत्म कर देगी। हालांकि कांग्रेस ने ऐसी कोशिशें की भी, लेकिन उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। साल 1975 में इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए देश में इमरजेंसी लगाई। जनता को उनका यह आचरण पसंद नहीं आया तो 1977 में कांग्रेस का सफाया ही कर दिया।
कांग्रेस ने इसकी कोशिश जरूर की
सच कहें तो कांग्रेस ने अपने शासन काल में इसकी कोशिश जरूर की। देश को बेवजह इमर्जेंसी का दंश झेलना पड़ा। कपड़ों की तरह मुख्यमंत्री बदले। विपक्ष शासित की कई राज्य सरकारें गिराईं। राष्ट्रपति शासन तो कांग्रेस के लिए साधारण बात थी। कांग्रेस बता सकती है कि पिछले 10 साल के भाजपा के शासन में कितनी बार और कहां-कहां राष्ट्रपति शासन लगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे ठीक से समझाते हैं। राज्यसभा में उन्होंने हाल ही में कहा कि ‘वो कौन लोग हैं, जिन्होंने आर्टिकल 356 का दुरुपयोग किया? एक प्रधानमंत्री ने आर्टिकल 356 का 50 बार दुरुपयोग किया और वो नाम है श्रीमती इंदिरा गांधी का। विपक्षी और क्षेत्रीय दलों की सरकारों को गिरा दिया गया। केरल में वामपंथी सरकार चुनी गई, जिसे नेहरू पसंद नहीं करते थे, तो उसे गिरा दिया गया। करुणानिधि जैसे दिग्गजों की सरकारें गिरा दी गईं। एनटीआर के साथ कांग्रेस ने ऐसा ही सलूक किया।’
90 बार चुनी सरकारें गिराईं
पीएम मोदी यह भी बताते हैं कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय नेताओं को परेशान करने में कोताही नहीं की। 90 बार चुनी हुई सरकारों को गिराया गया। कांग्रेस ने डीएमके और वामपंथी सरकारों को खत्म किया। सच तो यह है कि देश में अब तक 132 बार अलग-अलग राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। इनमें 90 बार राष्ट्रपति शासन तब लगा, जब केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी। पहली बार रष्ट्रपति शासन के लिए आर्टिकल 356 का प्रयोग पंजाब में 20 जून 1951 को हुआ था। पंजाब में 302 दिनों तक राष्ट्रपति शासन रहा। साल 1959 में केरल की चुनी हुई सरकार को भी आर्टिकल 356 का इस्तेमाल कर बर्खास्त कर दिया गया। 70 और 80 के दशक में विपक्ष की सरकारों को गिराने के लिए केंद्र सरकार ने संविधान के आर्टिकल 356 का दुरुपयोग खूब किया। इसके लिए सबसे ज्यादा आरोप पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर लगे।
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