Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम–II : सीमान्त गांवों के समग्र विकास की ओर अग्रसर भारत

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम – II (VVP-II) को वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक लागू करने की मंजूरी प्रदान की गई है। यह निर्णय ‘विकसित भारत @2047’ के लक्ष्य की दिशा में एक निर्णायक कदम है, जो न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे दुर्गम गांवों के समग्र विकास को सुनिश्चित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूत बनाएगा। यह योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना होगी, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्तीय सहयोग प्रदान किया जाएगा, जो यह दर्शाता है कि भारत सरकार सीमावर्ती गांवों को राष्ट्र निर्माण की धुरी मानते हुए उन्हें जीवंत, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम-II के अंतर्गत ₹6,839 करोड़ की राशि निर्धारित की गई है, जिसका उपयोग उन सीमावर्ती ब्लॉकों में बसे गांवों के विकास के लिए किया जाएगा, जो पहले चरण वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम-I में शामिल नहीं हो पाए थे। ये गांव भारत की उत्तर, उत्तर-पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं से लगे हुए हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। भारत की लगभग 15,000 किलोमीटर लंबी सीमा से सटे इन संवेदनशील क्षेत्रों में बसे गांवों की रणनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।

यह योजना पारंपरिक ग्रामीण विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य इन गांवों को जीवंत सामाजिक-आर्थिक इकाइयों में बदलना है। यह सीमावर्ती गांव केवल जनसंख्या के आंकड़े नहीं हैं, बल्कि भारत की संप्रभुता और एकता के प्रहरी हैं। योजना के अंतर्गत सीमा सुरक्षा बलों के साथ स्थानीय समुदायों का तालमेल बढ़ाया जाएगा, जिससे सीमाओं पर बसी आबादी भी सुरक्षा की भावना से जुड़कर राष्ट्र रक्षा में सक्रिय भागीदार बने। यह दृष्टिकोण केवल बुनियादी ढांचे के विकास तक सीमित नहीं, बल्कि एक सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक राष्ट्र निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।

कार्यक्रम के तहत गांवों में बुनियादी अवसंरचना जैसे पक्की सड़कों, नालियों, सामुदायिक भवनों, पेयजल आपूर्ति और जल प्रबंधन की सुविधा को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-IV (PMGSY-IV) के तहत सीमावर्ती गांवों को हर मौसम में संपर्क में रखने योग्य सड़कों से जोड़ा जाएगा। टेलीकॉम कनेक्टिविटी, टेलीविजन सेवाएं और संपूर्ण विद्युतीकरण जैसे आयामों को भी इसमें शामिल किया गया है, जिससे डिजिटल समावेशन को बल मिलेगा और दूर-दराज़ के इन गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी।

जीविका संवर्धन इस योजना का एक प्रमुख स्तंभ है। इसके अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (SHGs), सहकारी समितियों और स्थानीय उद्यमों को सशक्त बनाया जाएगा। इससे न केवल रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, बल्कि युवाओं का पलायन भी रुकेगा। कृषि, हस्तशिल्प, बांस उत्पाद, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, और स्थानीय परंपरागत उद्यमों को नवाचार और प्रशिक्षण के साथ जोड़ा जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार किए जाएंगे – स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र खोलकर बच्चों और युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल प्रदान किया जाएगा।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ईको-टूरिज्म सर्किट, होम-स्टे स्कीम्स और सांस्कृतिक गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे स्थानीय परंपराएं और संस्कृति सशक्त होंगी तथा आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी। मेले, त्योहार, सांस्कृतिक आयोजन और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से न केवल गांवों की सामाजिक ऊर्जा को उभारा जाएगा, बल्कि उनमें देशभक्ति की भावना को भी सुदृढ़ किया जाएगा। यह सांस्कृतिक सशक्तिकरण, सीमा की रक्षा के लिए मनोबल निर्माण का माध्यम भी बनेगा।

इस योजना की एक अनूठी विशेषता “ग्राम कार्य योजना” (Village Action Plan) है, जो स्थानीय पंचायतों, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के समन्वय से तैयार की जाएगी। यह योजना ‘वन साइज फिट्स ऑल’ दृष्टिकोण के विपरीत, प्रत्येक गांव की स्थानीय जरूरतों और सामर्थ्य के अनुरूप व्यक्तिगत कार्ययोजना सुनिश्चित करती है। यह कन्वर्जेंस आधारित मॉडल पर कार्य करेगी, जिसमें केंद्र व राज्य सरकार की मौजूदा योजनाओं का एकीकरण कर लाभार्थियों तक समग्र रूप से सेवाएं पहुंचाई जाएंगी। इसके लिए पीएम गति शक्ति प्लेटफॉर्म और डिजिटल डैशबोर्ड का उपयोग करके निगरानी और कार्यान्वयन को तेज, पारदर्शी और परिणामोन्मुख बनाया जाएगा।

इस योजना की प्रभावी निगरानी के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जो विशेष परिस्थितियों के अनुसार दिशा-निर्देशों में लचीलापन देने और जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगी। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी नियमित रूप से सीमावर्ती गांवों का दौरा करेंगे, और कई बार रात्रि प्रवास कर स्थानीय जनता से संवाद स्थापित करेंगे, जिससे प्रशासनिक जवाबदेही और नागरिक सहभागिता को मजबूती मिलेगी।

सरकार का लक्ष्य है कि 2028-29 तक ये गांव आर्थिक रूप से सशक्त, सभी संपर्क सुविधाओं से युक्त, सांस्कृतिक रूप से जीवंत और राष्ट्रीय भावना से परिपूर्ण बन जाएं। वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम-I और II मिलकर लगभग 2,967 गांवों को कवर करेंगे, जो भारत के सामरिक, सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाना मोदी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र का जीवंत उदाहरण है।

जैसे-जैसे भारत 2047 में अपनी आज़ादी के 100 वर्ष पूर्ण करने की ओर अग्रसर है, यह कार्यक्रम राष्ट्र के दूरस्थ कोनों तक विकास और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का जीवंत प्रमाण बन गया है। यह केवल सीमावर्ती गांवों के पुनरुत्थान की योजना नहीं है, बल्कि एक व्यापक रणनीति है, जो भारत की एकता, अखंडता, विकास और आत्मनिर्भरता की नींव को सुदृढ़ करती है।

Author

  • Dr. Pawnesh Kumar

    The author is a professor at the School of Management Studies, IGNOU, New Delhi. The views presented are the author's personal opinions.

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