Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

एकात्म मानव दर्शन से विकसित भारत की ओर

पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानव दर्शन न केवल एक दार्शनिक विचार है, बल्कि यह एक व्यावहारिक मार्गदर्शन भी है, जो भारतीय समाज और राष्ट्र के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। मैं स्वयं भारतीय जनता पार्टी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ा रहा हूं, इसलिए स्वाभाविक रूप से मेरा जुड़ाव पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से रहा है। उनका दर्शन केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि हमारे जीवन और देश की उन्नति के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रभावशाली है। आज के युग में, जब भारत एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के भाषणों, पुस्तकों और विचारों का पुनः अध्ययन करना समय की आवश्यकता है।

स्वतंत्रता के बाद भारत को अनेक राजनीतिक दलों और नेताओं ने दिशा देने का प्रयास किया, किंतु एक प्रश्न आज भी प्रासंगिक है-1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बावजूद भारत समृद्ध राष्ट्र क्यों नहीं बन सका? विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हमें ‘विकासशील देश’ की श्रेणी में रखती रहीं। परंतु, भारतीय नागरिकों में प्रतिभा, बु‌द्धिमत्ता, और जिजीविषा की कोई कमी नहीं है। चाहे वह किसी भी देश के नागरिक से मुकाबला हो, भारतीय हमेशा आगे निकलने की क्षमता रखते हैं। इसके बावजूद, हमारा देश गरीब क्यों रह गया?

इसका उत्तर हमारे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और बौ‌द्धिक विरासत में छिपा है। भारत की प्राचीन सभ्यता, ज्ञान और अनुभव को विश्वभर में मान्यता प्राप्त है। चीन, जापान, कोरिया जैसे देश भी भारत को आध्यात्मिक गुरु मानते रहे हैं। यूरोप की तुलना में हमारी सभ्यता कहीं अधिक उन्नत थी। लेकिन, स्वतंत्रता के बाद हमने अपनी दिशा स्पष्ट नहीं की। पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में देश ने पश्चिमी मॉडल, अंग्रेजी जीवनशैली और सोवियत संघ की आर्थिक नीतियों को अपनाया, जिससे भारत की मौलिकता और आत्मनिर्भरता को धक्का पहुंचा। पंचवर्षीय योजनाएं तो बर्नी, लेकिन यह कभी स्पष्ट नहीं किया गया कि भारत कब विकसित राष्ट्र बनेगा।

2014 में नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पहली बार देश को स्पष्ट लक्ष्य और दिशा मिली। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब वह एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरेगा। यही वह लक्ष्य है, जिसकी ओर आज भारत अग्रसर है। जब तक लक्ष्य और दिशा स्पष्ट नहीं होती, तब तक कोई भी राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता।

गरीबी हटाओ का नारा तो दशकों से सुनते आ रहे थे, लेकिन वास्तविक परिवर्तन पिछले कुछ वर्षों में ही दिखाई देने लगा है। मेरे अपने अनुभव में, जहां कभी पांच दिन पैदल चलने के बाद बिजली की रोशनी दिखाई देती थी, आज वहां हर गाँव में बिजली, पानी और विकास की सुविधाएं पहुंच चुकी हैं। यह सब संभव हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री की नीतियां पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन से प्रेरित हैं। इस दर्शन के केंद्र में मानव है। हर नीति, हर योजना का उ‌द्देश्य सबसे कमजोर और वंचित वर्ग को मुख्यधारा में लाना है। एकात्म मानव दर्शन की खूबी इसकी सरलता और व्यावहारिकता में है। कोई भी आम नागरिक इसे पढ़कर समझ सकता है और अपने जीवन में उतार सकता है।

आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। कभी हमें ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ कहकर उपहास किया जाता था, आज वही भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली जीडीपी है। यह परिवर्तन भारतीय सोच, भारतीय विचारधारा और भारतीय पहचान के साथ आगे बढ़ने का परिणाम है। पूर्ववर्ती सरकारें जहां विदेशी विचारों से प्रभावित थीं, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने जनसंघ से लेकर आज तक शुद्ध भारतीय दृष्टिकोण के साथ देश को आगे बढ़ाया है।

भारत एक विशाल और विविधता से भरा राष्ट्र है। मुंबई से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक, हर क्षेत्र की अपनी विशिष्टता है। पूर्वोतर भारत, जिसे कभी विकास की मुख्यधारा से अलग-थलग माना जाता था, आज ‘अष्टलक्ष्मी’ के रूप में देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक विकास का यह समावेशी दृष्टिकोण ही भारत को महान बनाता है। अरुणाचल प्रदेश का परशुराम कुंड, विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग और वहां की सांस्कृतिक विरासत इस बात का प्रमाण हैं कि भारत केवल विशाल नहीं, बल्कि महान भी है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे महान चिंतक का जन्म भारत में हुआ, यह हमारे लिए गर्व की बात है। उनके विचारों से प्रेरणा लेकर भारतीय जनता पार्टी ने देश को एकजुट रखने और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का कार्य किया है। जब मैंने विश्ववि‌द्यालय से निकलकर भाजपा जॉइन की, तो लोगों ने कहा कि पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा का कोई भविष्य नहीं है। लेकिन मैंने विश्वास किया कि यही एकमात्र राष्ट्रवादी पार्टी है, जो पूरे देश को एकजुट रख सकती है। आज मेहनत और समर्पण के बल पर भाजपा हर क्षेत्र में मजबूत हुई है।

हमें अपनी संस्कृति, अपने विचारों और अपने आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन हमें यही सिखाता है कि मानव को केंद्र में रखकर, समावेशी और व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ, भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है।

Author

(The views expressed are the author's own and do not necessarily reflect the position of the organisation)