Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

महिलाओं के सशक्तिकरण के दस वर्ष

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 2047 तक विकसित भारत का संकल्प पूरा करने के लिए देश का हर नागरिक अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है. किसान से लेकर नौजवान, श्रमिक से लेकर व्यापारी, देश का हर वर्ग उत्साहित है. प्रधानमंत्री स्वयं कहते हैं कि देश के लिए यह शुभ संकेत है कि देश का नागरिक भी खुद को इन लक्ष्यों से जोड़कर अगले 25 वर्ष की ओर देख रहा है.

पिछले दस वर्षों में देश महिलाओं के नेतृत्व में विकास की परिकल्पना के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत इन प्रयासों को वैश्विक मंच तक ले जा रहा है, पिछले वर्ष भारत जी-20 की बैठक की अध्यक्षता करते हुए विश्व में अपनी स्थिति को प्रमुखता से दर्ज करा रहा है.

नारी शक्ति दृढ़ता, इच्छा-शक्ति, परिकल्पना, लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काम करने की क्षमता और कठोर परिश्रम का परिचायक है, जैसा कि ‘मातृ शक्ति’ में परिलक्षित होता है. आज महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के परिणाम स्पष्ट नजर आते हैं और हम देश के सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन का अनुभव कर रहे हैं.

पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या बढ़ रही है, तथा हाई स्कूल और उसके बाद की पढ़ाई में लड़कियों की संख्या भी पिछले नौ-10 वर्षों में तिगुनी हो गई है. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित में लड़कियों का नामांकन आज 43 प्रतिशत है, जो अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों से अधिक है. चिकित्सा, खेल, व्यापार या राजनीति जैसे क्षेत्रों में, न केवल महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, बल्कि वे आगे बढ़कर नेतृत्व भी कर रही हैं.

मुद्रा ऋण की 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं. इसी तरह, महिलाएं स्वानिधि के तहत बिना किसी जमानत के ऋण योजनाओं, पशुपालन, मत्स्यपालन, ग्रामीण उद्योग, एफपीओ की संवर्धन योजनाओं तथा खेल योजनाओं से भी लाभ उठा रही हैं.

पीएम आवास योजना के लिए 80 हजार करोड़ रुपये महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम है, क्योंकि तीन करोड़ से अधिक आवास महिलाओं के नाम पर हैं. महिला सशक्तिकरण वाले पक्ष पर जोर दिया, क्योंकि यह सर्वविदित है कि पारंपरिक रूप से महिलाओं के नाम पर कोई सम्पत्ति नहीं होती. पीएम आवास ने घरों के आर्थिक निर्णयों में महिलाओं को नई आवाज दी है.

आज पांच गैर-खेतिहर व्यापारों में से एक व्यापार किसी न किसी महिला द्वारा चलाया जा रहा है. पिछले दस वर्षों में सात करोड़ से भी अधिक महिलाएं स्व-सहायता समूहों में शामिल हुई हैं. उनकी मूल्य-श्रृंखला को उनकी पूंजी आवश्यकता से समझा जा सकता है, क्योंकि इन स्व-सहायता समूहों ने 6.25 लाख करोड़ रुपये के ऋण लिए हैं.

श्री अन्न को प्रोत्साहित करने में महिला स्व-सहायता समूहों की भूमिका उल्लेखनीय है. श्री अन्न के विषय में पारंपरिक अनुभव रखने वाली एक करोड़ से अधिक जनजातीय महिलाएं इन स्व-सहायता समूहों का हिस्सा हैं.

आज देश सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है. देश की बेटियों को देश की सुरक्षा करते और राफेल विमान उड़ाते देखा जा सकता है, और जब उन्हें उद्यमी बनते, निर्णय लेते व जोखिम उठाते देखा जाता है, तो उनके बारे में विचार बदल जाते हैं.

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि, “यह हम पर निर्भर करता है, हम सब पर, कि प्रगति को तेज करें। इसलिये, आज, मैं आप सबसे यह आग्रह करना चाहती हूं कि आप खुद में, अपने परिवार में, पड़ोस या काम करने के स्थान पर कम से कम एक बदलाव लाने का संकल्प करें – कोई भी बदलाव जो किसी लड़की के चेहरे पर मुस्कान ला दे, कोई भी बदलाव जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए उस लड़की का अवसर निखार दे। एक यही अनुरोध है, जैसा कि मैंने पहले कहा था, सीधे हृदय की गहराइयों से”

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