शिक्षा
भारत के युवाओं के लिए उज्जवल और सशक्त भविष्य के निर्माण को लेकर मोदी सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास पर केन्द्रित महत्वकांक्षी पहल की एक श्रृंखला शुरू की है. इन प्रयासों के केंद्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन है जो एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है. इसका उद्देश्य शिक्षा के सभी स्तरों पर संरचनात्मक सुधार लाना है.
पीएम श्री (स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया)
जमीनी स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार ने 14 हजार 500 से अधिक पीएम श्री स्कूलों के स्थापना की शुरुआत की है. इनमें से 6 हजार से अधिक स्कूलों ने काम करना शुरू कर दिया है. इन स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करने और अपने क्षेत्रों में मॉडल स्कूल बनाने के लिए गुणात्मक रूप से मजबूत किया जाएगा.
उच्च शिक्षा संस्थानों में वृद्धि
पिछले दशक में उछ शिक्षा संस्थानों का उल्लेखनीय विस्तार देखा गया है. इसके तहत 7 आईआईटी, 8 आईआईएम और 385 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई. शैक्षिक बुनियादी ढांचे में यह उन्नति 21वीं सदी में भारत की समृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को आवश्यक कौशल और ज्ञान से सुसज्जित करने की दिशा में अहम पहल है.
इसी तरह का ही विस्तार चिकित्सा शिक्षा में भी देखा जा सकता है. युवाओं की आकांक्षाओं को बढ़ावा देते हुए पिछले दशक में 16 एम्स और 319 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की गई.
इससे पहले 2014 तक देश में 7 एम्स और 390 से कम ही मेडिकल कॉलेज थे. पिछले एक दशक में एमबीबीएस सीटों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है. इसके अलावा युवाओं के लिए अवसरों का विस्तार करने के लिए मौजूदा अस्पताल के बुनियादी ढांचे का उपयोग कर के अतिरिक्त मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना पर काम हो रहा है.
लैंगिक समावेशिता और सामाजिक सशक्तिकरण
उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 2014 में 3.4 करोड़ छात्रों से बढ़कर 2023 में 4.1 करोड़ हो गया है. उच्च शिक्षा में लड़कियों की बढ़ती भागीदारी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. सकल नामांकन अनुपात वित्त वर्ष 2010 में 12.7 प्रतिशत था जो 2020 में बढ़कर 27.9 प्रतिशत हो गया है. इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लिए गए नीतिगत निर्णयों से देशभर में ड्रॉपआउट की दर कम हुई है. इस तरह की पहल से विशेष रूप से हाशिये पर रहने वाले समाज को लाभ हुआ है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के नामांकन दरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
महत्वपूर्ण प्रगति
समग्र शिक्षा पहल ने 2018-19 से 2023-24 तक स्कूलों को अपग्रेड करने, नए आवसीय स्कूल खोलने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति की है.
- 3062 स्कूलों को प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अपग्रेड किया गया.
- 235 नए आवासीय विद्यालय एवं छात्रावास खोले गए.
- अतिरिक्त कक्षाओं सहित 97364 स्कूलों में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया.
- आईसीटी और डिजिटल पहल के तहत 1.2 लाख स्कूलों को शामिल किया गया.
- 8619 स्कूल व्यावसायिक शिक्षा के तहत कवर किए गए हैं.
- 28447 गर्ल्स स्टूडेंट्स के लिए अलग शौचालयों का निर्माण किया गया
शिक्षा में डिजिटल लर्निंग और नवाचार पर बल
स्वयं प्रभा और एमओओसी जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल शिक्षण का विस्तार किया जा रहा है. इसके तहत 200 चैनलों के साथ 31 भाषाओँ में प्रसारण के लिए 13 हजार से अधिक कंटेंट मोड्यूल तैयार किए गए हैं. इस तरह के प्रयास से अंतर को कम किया जा रहा है और शिक्षा तक सभी की पहुँच को आसान बनाया जा रहा है.
मातृभाषा और समावेशी भाषा पर जोर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू मातृभाषाओं और अन्य भारतीय भाषओं में शिक्षा पर जोर देना है. इंजीनियरिंग, चिकित्सा और क़ानून जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों तक यह समावेशी दृष्टिकोण फैला हुआ है.
युवाओं को सशक्त बनाने की मोदी सरकार की दृढ प्रतिबद्धता के कारण भारत का शिक्षण परिदृश्य मूलभूत बदलाव के दौर से गुजर रहा है. समावेशी भाषा, संस्थागत विकास, जेंडर सशक्तिकरण और तकनीकी प्रगति को शामिल करते हुए बहुआयामी दृष्टिकोण भारत को वैश्विक ज्ञान केंद्र बनने की राह पर ले जा रहा है जो भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में हमारे युवाओं को सक्षम बनाता है.
कौशल भारत मिशन
कौशल भारत मिशन प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का कार्यान्वयन है, जिसे जॉब मार्केट की मांगों को पूरा करने के लिए युवाओं को कौशल प्रदान करने और उन्हें नए कौशल से प्रशिक्षित करने के लिए 2015 में शुरू किया गया था. इस मिशन के माध्यम से 1.4 करोड़ युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया है. इनमें से 24 लाख व्यक्तियों को नौकरी मिल चुकी है और 54 लाख व्यक्तियों को कौशल प्रदान करने और उन्हें नए कौशल से प्रशिक्षित किया गया.
सितंबर 2023 में स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत भारत की कौशल विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इसका लक्ष्य भारत में कौशल प्राप्त करने में आसानी है. इसके अतिरिक्त 3000 नए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना ने देश के कौशल विकास बुनियादी ढांचे को और मजबूत किया है.
नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना
युवाओं में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना अटल इनोवेशन मिशन का लक्ष्य है. देश भर में 10 हजार अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना की गई. यहाँ एक करोड़ से अधिक छात्र सक्रिय रूप से नवाचार आधारित गतिविधियों में लगे हुए हैं जो रचनात्मकता और समस्या समाधान के संस्कृति की नींव रख रहे हैं.
शिल्पकार प्रशिक्षण योजना के जरिए 2014 से 2022 के बीच आईटीआई में 1.1 करोड़ व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया. अप्रैल 2018 से मार्च 2023 के बीच 2 लाख लाभार्थियों के लिए उद्यमिता प्रशिक्षण दिया गया. यह योजना युवाओं में प्रतिभा को निखारने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में सहायक है. 33 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान और 3 विस्तार केंद्र ने काम करना शुरू कर दिया है. इनमें से 19 विशेष रूप से महिलाओं के लिए है.
शिक्षा और उद्योग जगत के बीच अंतर को कम करना
व्यवहारिक प्रशिक्षण के महत्व को पहचानते हुए राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना के तहत दिसंबर 2023 तक 28 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को शामिल किया गया. यह पहल सैधांतिक ज्ञान और व्यवहारिक कौशल के बीच के अंतर को कम करती है. युवाओं को उनके चुने हुए क्षेत्रों में वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार करती है. सितंबर 2023 में शुरू की गई पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को व्यापक सहायता प्रदान करना है जिसमें कौशल उन्नयन और बिना गारंटी के रियायती ऋण तक शामिल है. योजना के तहत अब तक 1.39 करोड़ तक आवेदन आए, इनमें से 6.51 लाख पंजीकरण हो चुके हैं.
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
कौशल विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता विश्व कौशल प्रतियोगिताओं में इसकी बढ़ती स्थिति से और अधिक रेखांकित होती है जो 2011 में 39वें स्थान से 2022 में 11वें स्थान पर पहुँच गई. यह तेजी विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभाओं में क्षमता विकसित करने और कौशल को निखारने में मोदी सरकार के ठोस प्रयासों के चलते प्राप्त हुए परिणामों को दिखाता है.
इसका निष्कर्ष यह निकला कि भारत में कौशल विकास पहल युवा सशक्तिकरण और आर्थिक विकास की आधारशिला बनकर उभरी है. ठोस प्रयासों और नवीन कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्र अपने युवाओं को प्रतिस्पर्धी वैश्विक परिदृश्य में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से सुसज्जित कर रहा है. जैसे जैसे भारत कौशल विकास में निवेश जारी रखता है यह न केवल अपने युवाओं की क्षमता को दर्शाता है बल्कि देश को समावेशी विकास और समृद्धि की ओर भी प्रेरित करता है.
रोजगार और उद्यमिता को सशक्त बनाना
सरकार ने रोजगार और उद्यमिता के अवसरों के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू की है. हाल के वर्षों में सरकार की बहुआयामी रणनीतियों और अवसरों के साथ साथ आर्थिक नीतियों से युवा रोजगार और उद्यमिता में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.
उद्यमिता सशक्तिकरण पर जोर
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना इच्छुक उद्यमियों के लिए आशा की किरण बनकर उभरी है. इस योजना ने हमारे युवाओं की उद्यमशीलता आकांक्षाओं के लिए 22.5 लाख करोड़ रूपए मूल्य के 43 करोड़ ऋण स्वीकृत किए गए हैं. छोटे पैमाने के उद्योगों से लेकर नवोन्मेषी स्टार्ट अप तक पीएम मुद्रा योजना पूरे देश में उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने में सहायक रही है. इसके अलावा स्टार्ट अप इंडिया, फंड ऑफ़ फंड्स और स्टार्ट अप क्रेडिट गारंटी योजनाएं हमारे युवाओं की सहायता कर रही हैं. इससे हमारे युवा अब रोजगारदाता बन रहे हैं. सरकार के निरंतर प्रयासों से आज की तारीख में स्टार्टअप्स की संख्या बढ़कर 121013 हो गई है. इन मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स ने 12.42 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन किया है.
युवा रोजगार में सकारात्मक रुझान
पिछले कुछ वर्षों में युवा आबादी के साथ साथ युवाओं में रोजगार का अवसर भी बढ़ रहा है. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार युवा बेरोजगारी की दर जो 2017-18 में 17.8 प्रतिशत थी वह घटकर 2022-23 में 10 प्रतिशत हो गई है. इन छ वर्षों में नियोजित युवाओं का अनुपात 31 प्रतिशत से बढ़कर 40.1 प्रतिशत हो गया है. इसके अतिरिक्त वित्तीय वर्ष 2022-23 में ईपीएफओ में 1.38 करोड़ से अधिक सदस्य जुड़े हैं. इनका जुड़ना भारत के युवाओं के लिए रोजगार के बढ़ते अवसरों को दर्शाता है जो देश के विजन के अनुरूप है. इसके अलावा रोजगार मेले के माध्यम से 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया. इसमें 12 संस्करणों में 8 लाख से अधिक भर्ती पहले ही हो चुकी है. अटल इन्क्यूबेशन सेंटर ने भी 32 हजार से अधिक नौकरियां सृजित करने में योगदान दिया है.
खेलों में सशक्त होते युवा
हाल के वर्षों में अभूतपूर्व उपलब्धियां, बुनियादी ढांचे का विकास और बढ़ती खेल अर्थव्यवस्था के कारण भारत के खेल परिदृश्य में बेहतर परिवर्तन देखने को मिला है. खेलों के प्रति देश के युवाओं के जूनून और समर्पण से प्रेरित यह नवजागरण भारत के दृष्टिकोण में आदर्श बदलाव को दिखाता है.
देश को अपने युवाओं पर गर्व है जो खेल स्पर्धाओं में नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. 2023 में एशियाई और एशियाई पैरा खेलों में अब तक जीते गए सबसे अधिक पदक आत्मविश्वास के स्तर को दिखाते हैं. प्रतिष्ठित अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों में ऐतिहासिक पदक जीतने से लेकर शतरंज जैसे व्यक्तिगत खेलों में असाधारण प्रतिभा दिखाने तक भारतीय एथलीटों ने लगातार बाधाओं को पार किया है. प्रगनानन्द जैसी युवा प्रतिभाओं का उद्भव और शतरंज ग्रैंडमास्टरों की संख्या में तेजी से वृद्धि सामरिक खेलों में भारत के बढ़ते प्रभुत्व को दर्शाती है.
सरकारी सहायता और नीतिगत पहल
भारत के पहले राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय का निर्माण, खेलो इंडिया अभियान के तहत देश में 300 से अधिक प्रतिष्ठित अकादमियों का निर्माण, 1000 खेलो इंडिया केंद्र और 30 से अधिक उत्कृष्टता केंद्र खेल संस्कृति को बदल रहे हैं. देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में खेलों को मुख्य पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है, जिससे बचपन में ही खेल को करियर के रूप में चुनने के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी.
सरकारी सहायता और नीतिगत पहल
भारत के पहले राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय का निर्माण, खेलो इंडिया अभियान के तहत देश में 300 से अधिक प्रतिष्ठित अकादमियों का निर्माण, 1000 खेलो इंडिया केंद्र और 30 से अधिक उत्कृष्टता केंद्र खेल संस्कृति को बदल रहे हैं. देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में खेलों को मुख्य पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है, जिससे बचपन में ही खेल को करियर के रूप में चुनने के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी.
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