21 वींसदीके तीसरेदशक में समाहित, वर्ष 2022 में भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण करेगा।आज देश केअंदरहीनहीं बल्कि देश के बाहर भी अंतरराष्ट्रीय स्तरपर लगातार कई वर्गों, अर्थशास्त्रियों, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में यह धारणा प्रबल होती जारही है कि न केवल अगला दशक बल्कि अगली सदीभी भारत के प्रभुत्ववाली होने की प्रबल सम्भाव ना बनती जा रही है।इसकी नीं व पिछले 7 वर्षों केदौरान माननीय श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कें द्रसरकारद्वारा लिए गए कई निर्णयों के चलते रखी जा चुकी है।
भारत इस समय विश्व के सबसे मजबूत देशों में से एक बन गया है। आज भारत की आवाज पूरे विश्व में गम्भीर तासे सुनी जारही है। कोई भी देश भारतको आज हल्के में नहीं लेता है। राजनैतिक तौर पर भारत की ताकत विश्व में बढ़ी है। वैश्विकस्तरपर सभी बड़ी ताकतेंय थाअमेरिका, रूस, जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रान्स, ब्रिटेन आदिदेश भारत के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं। वे आज भारत को गम्भीर ता से लेते हैं। यह सबएका एक नहीं हु आहै बल्कि इस सबके पीछे छिपी है भारत के प्रधान मंत्री मान नीय श्री नरेन्द्र मोदी की देश के प्रति अगाध श्रद्धा, प्रेम, लग्न एवं दिनरात की लगातार मेहनत। वे जिसकि सी देश अथवा अंतर राष्ट्रीय सम्मेलन में जाते हैं वहां भारत के आर्थिक विकास की बात करना नहीं भूलते हैं। अपने पक्ष को कुछ इस प्रकार रखते हैं कि जैसे कोई व्यक्ति अपने स्वयं के लिए विदेशी निवेश कों से सहायता मांग रहा हो ।
विदेशी निवेशकों को निमंत्रण
आप को याद होगा, दिनांक 25 सितम्बर 2019 को न्यूयॉर्क में ब्लूम्बर्गवैश्विक व्यापार फोरम 2019 में श्री नरेन्द्र मोदी ने विदेशी निवेश कों को निमंत्रण देते हुए कहा था कि वे भारत में अपने निवेश को बढ़ाएं क्योंकि विकास ही आज भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।आज भारत की जनता उस सरकार के साथ खड़ी है जो व्यवसाय का माहौल सुधार ने केलिए बड़े से बड़े और कढ़े से कढ़े फैसले लेने में पीछे नहीं रहती है। आज भारत में एक ऐसी सरकार है जो व्यापार जगत का सम्मान करती है सम्पत्तिनिर्माण का सम्मान करती है। आज भारत एक अद्विती य स्थिति में आकर खड़ा हो गया है। देश में तेज गति से विकास हो रहा है, गरीबी में कमी आ रही है, लोगों की क्रय शक्ति बढ़ रही है जिससे विभिन्न वस्तुओं की मांग में वृद्धिदृष्टिगोचर है।
माननीय प्रधान मंत्रीने विदेशी निवेशकों का आह्वान करते हुए यह भीक हाथा कि भारत में बुनियादीढांचे के विकास पर विशेषध्यान दिया जा रहा है। देश में तेज गतिसे चालित परिवहन व्यवस्था विकसित करने के लिए नए-नए राज मार्गों का निर्माण किया जा रहा है ।बड़े-बड़े शहरों में मेट्रोरेल्वे का जालबिछाया जा रहा है। बंदरगाहों एवंहवाई अड्डों को आधुनिक बनाया जा रहा है। इन सभी क्षेत्रों में भारी मात्रा में निवेश किया जा रहा है ।भारत में बुनियादीढांचे के विकासपरआज जितना निवेश भारत सरकार कर रही है उतना निवेश देश में पहिले कभी नहीं किया गया है।देश में आगे आने वाले कुछ वर्षों में 100 लाख करोड़ रुपए का खर्च आधुनिक बुनिया दीढांचे को खड़ा करने पर किया जाएगा।
भारत के सामाजिक बुनियादीढांचे पर भी लाखों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। भारत के विकास की कहानी में अब गुणात्मक एवं परिमाणात्मक दोनोंही स्थितियों में छलांग लगाने को तैयार है। अब भारत ने अपने विकास के लिए एक बड़ा लक्ष्य तय कर लिया है। वर्ष 2024-25 तक देशको 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का। जब 2014 में वर्तमान सरकार सत्ता में आई थी, तो देश की अर्थ व्यवस्था करीब-करीब 2 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की थी। इस बड़े लक्ष्यको प्राप्त करने के लिए देश के पास योग्यता भी है , साहस भी है और परिस्थितियां भी अनुकूलहैं।
यह था भारत के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी का वैश्विक समुदाय को सम्बोधन, ऐसा लग रहा है जैसे किस कम्पनी का मुख्य कार्यपालन अधिकारी अपनी बात रख रहा हो। यह सब देश के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा एवं देश में गरीबी समाप्त करने की चिंता को झलकाता है।
विदेशी निवेशकों को दिए गए निमंत्रण का असर
भारत के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी द्वारा विदेशी निवेश कों को दिए गए उक्तवर्णित निमंत्रण का असर बहुत ही प्रभावशाली रहा है। जिसके चलते , दिनांक 04 सितंबर 2021 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। भारतीय इतिहास में पहली बार देश में विदेशी मुद्रा भंडारने 64,245 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छु आहै। भारत के इतिहास में विदेशी मुद्रा भंडार ने कभीभी इस स्तर को नहीं छुआहै।
वित्तीय समावेशन
केवल विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि श्री नरेन्द्र मोदी के कार्य काल में वित्तीय समावेश न के क्षेत्र में भीअकल्पनीय सुधार हुआ है। भारत में वर्ष 1947 में 70 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापनकर रहे थे। जब कि अब वर्ष 2020 में देश की कुल आबादी का लगभग 22 प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है। जब कि 1947 में देश की आबादी 35 करोड़ थी जो आज बढ़कर 136 करोड़ हो गई है। देश में वित्तीय समावेश नको सफलतापूर्व कला गू किए जाने के कारण ही गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर ने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी देखने में आई है। केंद्र में वर्तमान मोदी सरकारके कार्य भार ग्रहण करने के बाद से तो वित्तीयसमावेशन के कार्यान्वयन में बहुत अधिक सुधार देखने में आया है ।उसके पीछे मुख्य कारण देश में विभिन्न वित्तीय योजनाओं को डिजिटल प्लेटफार्म पर ले जाना है। आज भारत के करी बकरीब प्रत्येक नागरिक के पास यूनिक आई डी है, मोबाइल फोनहै, बैंकअकाउंट है, जिसके कारण लक्षयित सेवाओं को प्रदान करने में ते जी आई है।केंद्र सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई जन-धन योजना ने इस संदर्भ में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। जन-धन योजना के अंतर्गत कुल 42 करोड़ से अधिक देश वासियों के खाते विभिन्न बैंकों में खोले गए हैं, जिनके खातों में आज सीधे ही सब्सिडी का पैसा कें द्रएवं राज्यसरकारोंद्वारा हस्तांतरित किया जा रहा है। मन रे गा योजना की बात हो अथवा केंद्र सरकार की अन्य योजना ओंकी बात हो , पहिले ऐसा कहा जाता था कि केंद्र से चले 100 रुपए में सेशाय द केवल 8 रुपए से 16 रुपए तक हीअंतिम हित ग्राही तक पहुंच पाते हैं, परंत आज हित ग्राहियों के खातों में सीधे ही राशिके जमा करने के कारण बिचोलियों की भूमिका एकदम समाप्त हो गहै एवं हित ग्राहियोंको पूराकापूरा 100 प्रतिशत पैसा उनके खातों में सीधे ही जमा हो रहा है। यह वित्तीय समावेश न की दृष्टि से एक क्रांति का रीकद मसि द्धहुआहै।
गरीब तब के हेतु विशेष योजनाएं
वर्ष 2014 में, केंद्र में माननीय श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद सेही गरीब तब के के लोगों में प्रसन्नता की भावना विकसित करने के उद्देश्य से कई योजना ओं का सफलता पूर्व क किर्यान्वयन किया गया है। इन में मुख्य रूप से शामिल हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना – जिसके अंतर्गत 2 करोड़ से अधिक आवासों का निर्माण किया जा चुका है। सौभाग्य योजना – जिसके अंतर्गत 100 प्रतिशत गांवों में बिजली उपलब्ध करवा दी गई है। स्वच्छ भारत अभियान – जिसके अंतर्गत 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। उज्जवला योजना – जिसके अंतर्गत 9 करोड़ से अधिक एलपीजी के कनेक्शन दिलवाए गए हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और शहरी गैसवितरण नेटवर्क के जरिये रसोई घरों तक पाइपसे सीधे गैस पहुंचाने जैसे कदमों से भारत में 28 करोड़ से अधिक परिवार इसके दायरे में आग ये हैं। वर्ष 2024 तक ग्रामीण इलाकों के हर घर में जल पंहुचाने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए अलगसे “जलशक्तिमंत्रालय” बनाया गया है।प्रधान मंत्री ग्रामसड़कयोजनाके अंतर्गत देश के 97 प्रतिशत गांवों को समस्त मौसम में उपलब्ध सड़कों के साथ जोड़ दिया गया है। अब इन सड़कों को अप ग्रेड किया जा रहा है । प्रधान मंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान भी चलाया जा रहा है, इस अभियान के अंतर्गत 2 करोड़ से अधिक ग्रामीणों को डिजिट लक्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा चुका है। इससे ग्रामीणोंकी उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धिदर्ज हो रही है। प्रधान मंत्री वाणी योजना को भी पूरे देश में लागू किया जा रहा है जिसके अंतर्गत वाइफाई हाटस्पाट्स की स्थापना की जा रही है ताकि देश में इंटरनेट का जाल बिछाया जा सके । इससे ग्रामीण इलाकों में भी ई-कामर्स सुविधाएवं वाइफाई हाटस्पाट्स बढ़ेंगे तथा ग्रामीण इलाकों में भी कार्यक्षमता के स्तर में सुधार होगा ।ग्रामीण इलाकों में भी लोग अपना व्यवसाय शुरू कर सकेंगे।आजके जमाने में युवा वर्गको तकनीक के साथ जोड़ना जरूरी हो गया है।
भारत की आत्म निर्भरता में पूरे विश्व को लाभ
देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने “अमेरिका-भारत स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम के तीसरे लीडरशिप समिट”, को सम्बोधित करते हुए कहा है कि 130 करोड़ भारतीय अब देश को आत्म निर्भर बनाने के मिशन पर निकल पड़े हैं। भारत के आत्म निर्भर बनने की परिभाषा में पूरे विश्व का कल्याण निहित है। भारत ने यह बार बार दोहराया भी है कि हमारा अंतिम उद्देश्य पूरे विश्व में बंधुत्व की भावना का संचार करना एवं समस्त प्राणियों के सुखी होने से है। इसीलिए भारत अब लोकल (स्थानीय) को ग्लोबल (वैश्विक) रूप देना चाहता है।
पूरे विश्व का भारत पर विश्वास
अब तो विश्व के अधिकतर देशों को प्रबल विश्वास होता जा रहा है कि भारत आने वाले समय में पूरे विश्व में सबसे अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने वाला स्थल बनने जा रहा है। क्योंकि, यहां पिछले 70 वर्षों से लगातार लोकतंत्र बहाल रहा है, राजनैतिक स्थिरता का माहौल है, ईज आफ डूइंग बिजिनेस में लम्बी छलांग लगाई है, आर्थिक क्षेत्र में हाल ही में कई सुधार कार्यक्रम लागू किए गए हैं, पॉलिसी में स्थिरता है। साथ ही, वर्तमान में केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी की विकराल समस्या का जिस समझ बूझ से मुकाबला किया है उसके कारण मौतों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी कम रही है। कोरोना की जांच के लिए केवल एक टेस्टिंग लेबोरेटरी से शुरुआत कर अल्प समय में ही देश में हजारों की संख्या में टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थापित की गई हैं। कोरोना महामारी के दौरान देश के करीब 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अनाज एवं आर्थिक सहायता की व्यवस्था सफलतापूर्वक की गई। अल्प समय में ही 75 करोड़ से अधिक कोरोना टीकाकरण के डोज नागरिकों को लगा दिए गए हैं। अतः भारत की साख एक जिम्मेदार एवं योग्य देश के रूप में पूरे विश्व में स्थापित हुई है।
(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। आर्थिक विषयों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)