- 1968 से लेकर चार दशक से भी ज्यादा तक उडुपी म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनसंघ ने संभाली है
- 1968 में उडुपी पहली ऐसी म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन बनी थी जिसने manual scavenging पर रोक लगाई थी
- ये हमारे समाज की विशेषता है कि जब भी बुराइयां आई हैं, तो सुधार का काम समाज के बीच में ही किसी ने शुरू किया है
- ये भारतीय समाज की अद्भुत क्षमता है कि समय-समय पर हमें ऐसे महापुरुष मिले, जिन्होंने इन बुराइयों को पहचाना, उनसे मुक्ति का रास्ता दिखाया
- हमारा इतिहास गवाह है कि हमारे संतों ने जो गलत रीतियां चली आ रही थीं, उन्हें सुधारने के लिए जनआंदोलन शुरू किया, इस जनआंदोलन को भक्ति से जोड़ा
- आदि शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों में जाकर लोगों को सांसारिकता से ऊपर उठकर ईश्वर में लीन होने का रास्ता दिखाया
- गुजरात के महान संत नरसिंह मेहता कहते थे: वाच-काछ-मन निश्चल राखे, परधन नव झाले हाथ रे
- श्री मध्वाचार्य जी ने हमेशा जोर दिया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, पूरी निष्ठा से किया गया कार्य ईश्वर की पूजा करने की तरह होता है
- वो कहते थे कि जैसे हम सरकार को टैक्स देते हैं, वैसे ही जब हम मानवता की सेवा करते हैं, तो वो ईश्वर को टैक्स देने की तरह होता है
- हिंदुस्तान के पास ऐसे महान संत-मुनि रहे हैं रहे हैं जिन्होंने अपनी तपस्या, ज्ञान का उपयोग राष्ट्र का निर्माण करने के लिए किया
- सामाजिक बुराइयों को खत्म करते रहने की महान संत परंपरा के कारण ही हम सदियों से अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेज पाए हैं
- विश्व के देशों में जीवन जीने के मार्ग में जब भी किसी प्रकार की बाधा आती है तब दुनिया की निगाहें भारत की संस्कृति टिक जाती हैं
- विविधता को हम केवल स्वीकार नहीं करते उसका उत्सव मनाते है
- अशिक्षा, अज्ञानता, कुपोषण, कालाधन, भष्टाचार जैसी बुराइयों ने भारतमाता को जकड़ रखा है, उससे मुक्त कराने के लिए संत समाज रास्ता दिखाए
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