- मेरे जीवन में राजकोट का विशेष महत्व है। अगर राजकोट ने मुझे चुन करके गांधीनगर न भेजा होता तो आज देश ने मुझे दिल्ली में न पहुंचाया होता।
- मेरी राजनीतिक यात्रा का प्रारंभ राजकोट के आशीर्वाद से हुआ, राजकोट के भरपूर प्यार से हुआ, और मैं राजकोट के इस प्यार को कभी भी नहीं भूल सकता। मैं फिर एक बार राजकोट के जनता-जनार्दन को सिर झुका करके नमन करता हूं, प्रणाम करता हूं, वंदन करता हूं, और बार-बार आपसे आशीर्वाद की कामना करता हूं।
- जिस समय NDA के सभी सांसदों ने मुझे नेता के रूप में चुना, प्रधानमंत्री पद का दायित्व निश्चित हुआ, और उस दिन मैंने भाषण में कहा था कि मेरी सरकार इस देश के गरीबों को समर्पित है।
- ये मेरे दिव्यांगजन, देश में करोड़ों की तादाद में दिव्यांगजन हैं। और दुर्भाग्य से अधिकतम मात्रा में जिस परिवार में ये संतान जन्म लेता है, ज्यादातर उस परिवार के जिम्मे ही उसका लालन-पालन होता है।
- मैंने ऐसे कई परिवार देखे हैं, मैंने कई ऐसी माताएं देखी हैं। 25 साल, 27 साल, 30 साल की उम्र है, जीवन के सारे सपने बाकी हैं, शादी के बाद पहला संतान हुआ, और वो भी दिव्यांग हुआ। और मैंने देखा है उस पति-पत्नी ने, उन मां-बाप ने अपने जीवन के सारे सपने उस बालक को न्यौच्छावर कर देते हैं। जीवन में एक ही सपना रहता है कि परिवार में पैदा हुआ ये दिव्यांगजन, ईश्वर ने हमें दायित्व दिया है और इस दायित्व को ईश्वर-भक्ति की तरह हमें निभाना है। ऐसे लाखों परिवार हमारे देश में हैं।
- लेकिन मेरे प्यारे देशवासियो, ईश्वर ने शायद एक परिवार पसंद किया होगा, उसके घर में किसी दिव्यांगजन का आगमन हुआ होगा। परमात्मा को शायद भरोसा होगा कि यह परिवार है, उसकी संवेदनशीलता है, उसके संस्कार हैं, वही शायद इस दिव्यांग बच्चे को पालन करेगा।
- सलिए शायद परमात्मा ने उस परिवार को पसंद किया होगा। लेकिन भले वो किसी एक परिवार में पैदा हो, लेकिन दिव्यांग इस समग्र समाज की जिम्मेवारी होती है, पूरे देश का दायित्व होता है और इस दायित्व को हमें निभाना चाहिए। हमारे भीतर वो संवेदनशीलता होनी चाहिए।
- आप यहां देख रहे हैं, एक बहन जो सुन नहीं सकते, बोल नहीं सकते, उनको निशानी से मेरा भाषण सुना रही है। उनको समझा रही है कि मैं क्या बोल रहा हूं। आपको जान करके हैरानी होगी, आजादी के 70 साल बाद भी ये जो निशान की जाती है, signing की जाती है अलग-अलग भाषा समझाने के लिए, हिन्दुस्तान के हर राज्य में वो अलग-अलग थी।
- भाषाएं अलग थीं वो तो मैं समझता था, लेकिन दिव्यांगजनों के लिए एक्शन जो थी उसमें भी बदलाव था। इसके कारण अगर तमिलनाडू का दिव्यांगजन है और गुजरात की कोई टीचर है तो दोनों के बीच में संवाद संभव नहीं था। ये भी जानती थी कि दिव्यांग के साथ कैसे बात करना, वो भी जानता था कौन सी निशानियां। लेकिन तमिल भाषा में जो पढ़ाई गईं वो निशानियां अलग थीं, गुजराती में पढ़ाई गई निशानियां अलग थीं, और इसलिए पूरे देश में, मेरा दिव्यांगजन कहीं जाता था, और कुछ कहता था तो समझने के लिए interpreter नहीं मिलता था।
- हमने सरकार में आने के बाद काम बड़ा है या छोटा, वो बाद का विषय है, लेकिन सरकार संवेदनशील होती है, वो कैसे सोचती है। हमने कानून बनाया और देश के सभी बालकों को एक ही प्रकार की निशानी सिखाई जाए, एक ही प्रकार के टीचर तैयार किए जाएं। ताकि हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में, इतना ही नहीं हमने उस signing system को स्वीकार किया है कि अब हिन्दुस्तान का बालक दुनिया के किसी देश में जाएगा, तो भी निशानी से अगर उसको सीखना है तो वो language उसको available हो गई है। काम भले छोटा लगता हो लेकिन एक संवेदनशील सरकार किस प्रकार से काम करती है, इसका ये जीता-जागता उदाहरण है।
- अभी मैं कुछ साधन यहां token स्वरूप दिव्यांगजनों से दे रहा था। मैं उनसे बात करने का प्रयास करता था। उनके चेहरे पर जो आत्मविश्वास दिखता था, जो खुशी नजर आती थी, इससे बड़ा जीवन का संतोष क्या हो सकता है दोस्तों! और हमारे गहलोत जी जब भी कोई कार्यक्रम बनाते हैं और कभी मुझे आग्रह करते हैं, तो मेरे और कार्यक्रम को आगे-पीछे करके भी दिव्यांगजनों के कार्यक्रम में मैं जाना पसंद करता हूं। मैं इसे प्राथमिकता देता हूं। क्योंकि एक समाज के अंदर ये चेतना जगना बहुत आवश्यक है।
- मैं देश के startup की दुनिया में काम करने वाले नौजवानों से आग्रह करता हूं कि आप थोड़़ा सा study कीजिए। दुनिया में दिव्यांगजनों के लिए किस-किस प्रकार के नए आविष्कार हुए हैं, कौन सी नई चीजें develop हुई हैं, कौन से नए innovation हुए हैं, दिव्यांगजन सरलता से अपनी जिंदगी का गुजारा उस एक extra साधन से कर सकता है, वो कौन सा है? अगर आप study करेंगे मेरे नौजवान तो आपका भी मन करेगा कि आप भी innovation करें, आप इंजिनियर हैं तो आप भी सोचेंगे, आपके पास कौशल्य है आप भी सोचेंगे, और आप startup के द्वारा, innovation के द्वारा उन नई चीजों को product कर सकते हैं, जिसका हिन्दुस्तान में आज बहुत बड़ा मार्केट है। करोड़ों की तादाद में हमारे दिव्यांगजन हैं, उनके लिए अलग-अलग प्रकार के साधनों के संशोधनों की जरूरत है। रोजगार के लिए ऐसे नए अवसर हैं।
- मैं startup की दुनिया के नौजवानों को निमंत्रण देता हूं कि आप दिव्यांगजनों के लिए इस प्रकार की चीजें बनाने के लिए प्रयोग ले करके आइए, सरकार जितनी मदद कर सकती है, उतनी मदद करने का भरपूर प्रयास करेगी, ताकि दिव्यांगजनों की जिंदगी में बदल लाने में ये नए आविष्कार काम आ सकें।
(The views expressed are the author's own and do not necessarily reflect the position of the organisation)