- दिल्ली और शिलॉन्ग के बीच लगभग 2 हजार किलोमीटर की दूरी है लेकिन तकनीक ने इस दूरी को मिटा दिया है। पिछले वर्ष मई के महीने में ही मैं शिलॉन्ग गया था।
- गुजरात में मुझे भारत सेवाश्रम संघ के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय स्वामी अक्षयानंद जी महाराज के साथ काम करने का अवसर मिला था।
- सेवा और श्रम को भारत निर्माण के लिए साथ लेकर चलने वाले संघ के सभी सदस्यों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
- बाढ़ हो या सूखा, या फिर भूकंप भारत सेवाश्रम संघ के सदस्य पूरी तन्मयता से पीड़ितों को राहत पहुंचाते नजर आते हैं।
- संकट के समय जब इंसान को मदद की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है, तो स्वामी प्रणबानंद के शिष्य सब कुछ भूलकर सिर्फ और सिर्फ मानव सेवा में जुट जाते हैं।
- 1917 में स्थापना के बाद जिस सेवाभाव के साथ इस संस्था ने काम शुरू किया था, उससे बडौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ भी बहुत प्रभावित हुए थे।
- जनसंघ के संस्थापक, श्रद्धेय डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी तो स्वामी प्रणबानंद जी को अपने गुरु की तरह मानते थे। डॉक्टर मुखर्जी के विचारों में स्वामी प्रणबानंद जी के विचारों की झलक भी मिलती है।
- दुनिया के कई देशों में ये मॉडल सफलतापूर्वक चल रहा है। संयुक्त राष्ट्र तक में भारत सेवाश्रम संघ के कल्याणकारी कार्यों की प्रशंसा हुई है।
- निर्वाण की अवस्था से बहुत पहले, जब वो स्वामी प्रणबानंद नहीं हुए थे, सिर्फ “बिनोद” थे, अपने गांव के घर-घर जाकर चावल और सब्जियां जमा करते थे और फिर उन्हें गरीबों में बांट देते थे। जब उन्होंने देखा कि गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है तो सभी को प्रेरित करके उन्होंने गांव तक एक सड़क का निर्माण भी करवाया।
- आज से सौ वर्ष पहले देश जिस मनोस्थिति से गुजर रहा था, गुलामी की बेड़ियों से, अपनी कमजोरियों से मुक्ति पाना चाहता था, उसमें देश अलग-अलग भूभागों पर जनशक्ति को संगठित करने के प्रयास अनवरत चल रहे थे।
- स्वामी प्रणयानंद जी जैसी महान आत्माओं की प्रेरणा से देश में आप जैसे करोड़ों निस्वार्थ कर्मयोगी हैं। बस हम सभी को मिलकर अपनी ऊर्जा स्वच्छाग्रह के इस आंदोलन को सफल बनाने में लगा देनी है।
- स्वामी प्रणबानंद जी कहते थे कि देश की युवाशक्ति जागृत नहीं हुई, तो सारे प्रयास विफल हो जाएंगे। अब एक बार फिर अवसर आया है, सुदूर उत्तर-पूर्व में छिपी इस युवाशक्ति को, खेल की प्रतिभाओं को मुख्यधारा में लाने का। इसमें आपकी संस्था की बड़ी भूमिका हो सकती है।
- 40 हजार करोड़ के निवेश से उत्तर-पूर्व में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। रेलवे से जुड़े 19 बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं, बिजली की व्यवस्था सुधारी जा रही है, पूरे इलाके को पर्यटन के लिहाज से भी मजबूत किया जा रहा है।
- साउथ-ईस्ट एशिया का ये खूबसूरत गेटवे अगर अस्वच्छ होगा, अस्वस्थ होगा, अशिक्षित होगा, असंतुलित होगा तो देश विकास के गेटवे को पार करने में पिछड़ जाएगा। साधनों और संसाधनों से भरपूर हमारे देश में कोई ऐसी वजह नहीं जो हम पिछड़े रहें, गरीब रहें।
- सबका साथ- सबका विकास के मंत्र के साथ हमें सभी को सशक्त करते हुए आगे बढ़ना है।