शिवगिरी मठ आना मेरे लिए हमेशा से बहुत ही आध्यात्मिक सुख देने वाला रहा है। आज शिवगिरी Pilgrimage के शुभारंभ का अवसर देकर आपने उस सुख को और बढ़ा दिया है। मैं श्री नारायण धर्म संघम ट्रस्ट और आप सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं।
परम पूज्य स्वामी नारायण गुरु जी जैसी पुण्य आत्मा ने भी जातिवाद, ऊंच-नीच, संप्रदायवाद के खिलाफ समाज को जगाया, समाज को एक किया। आज शिक्षा के क्षेत्र में सफलता की बात हो,सामाजिक बुराइयों से मुक्ति की बात हो, छुवाछूत के खिलाफ समाज में नफरत का भाव हो,ये ऐसे ही नहीं हुआ है। हम कल्पना कर सकते है कि श्री नारायण गुरु को उस दौर में कितना परिश्रम करना पड़ा होगा, कितनी मुसीबतें उठानी पड़ी होंगी।
समाज में सुधार के लिए, दलितों-पीड़ितों-शोषितों-वंचितों को सशक्त करने के लिए उन्होंने ये रास्ता सुझाया था। वो मानते थे कि गरीब-दलित और पिछड़े तभी आगे बढ़ पाएंगे, जब उनके पास शिक्षा की शक्ति होगी। वो जानते थे कि समाज जब शिक्षित होगा, तभी आत्म विश्वास से भरेगा और आत्म-निरीक्षण कर पाएगा। इसलिए उन्होंने सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि आसपास के कई राज्यों में शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने वाली संस्थाएं खड़ी कीं। आज देश-विदेश में श्री नारायण गुरु जी के विजन को आगे बढ़ाने में कितनी ही संस्थाएं जुटी हुई हैं।
श्री नारायण गुरु ने समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने का काम किया। चमत्कार और ढकोसलों से दूर उन्होंने मंदिरों में सच्चाई, स्वच्छता की बात कही। उन्होंने हर ऐसी पूजा पद्धति को सुधारा जो मंदिर में अस्वच्छता बढ़ाते थे।
पूजा-पद्धतियों में जो गैर-जरूरी चीजें शामिल हो गई थीं, उन्हें हटाकर श्री नारायण गुरु ने नई व्यवस्था का रास्ता दिखाया। उन्होंने मंदिरों में पूजा पर हर किसी का अधिकार कायम किया। शिवगिरी Pilgrimage भी एक तरह से समाज सुधार के उनके व्यापक विजन का विस्तार है।
मुझे खुशी है कि 85 वर्षों से लगातार शिवगिरी Pilgrimage के दौरान इन क्षेत्रों के विशेषज्ञ आमंत्रित किए जाते हैं, उनके अनुभव सुने जाते हैं। आज भी यहां इस कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्रों के दिग्गज जुटे हुए हैं। मैं आप सभी का स्वागत करता हूं, सत्कार भी करता हूं और ये उम्मीद भी करता हूं कि आपके विचारों से लोगों को कुछ नया सीखने-समझने को मिलेगा।
शिवगिरी Pilgrimage हो, कुंभ-महाकुंभ हो, समाज को दिशा दिखाने वाली, देश को उसकी आंतरिक बुराइयों से दूर करने वाली ऐसी परंपराएं आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में इस तरह की Pilgrimages देश को एकजुट करती है। अलग-अलग राज्यों से लोग आते हैं, अलग-अलग विचारधारा के लोग आते हैं, एक दूसरे की परंपराओं को देखते-समझते हैं और एकात्म की भावना के साथ संगठित होते हैं
भाइयों और बहनों, Shivagiri Pilgrimage शुरू होने से भी दस साल पहले, श्री नारायण गुरु जी के नेतृत्व में अद्वैत आश्रम में Religious Parliament का आयोजन किया गया था। दुनिया भर से अलग-अलग पंथों से जुड़े हुए लोग पहुंचे थे। इस Religious Parliament में पूरे विश्व को धर्म-पंथ के आधार पर होने वाले टकराव को छोड़कर शांति-सद्भावना और समृद्धि के पथ पर चलने का आह्वान किया गया था।
साथियों, आज देश के सामने एक बार फिर वैसा ही समय आया है। देश के लोग, देश को अपनी आंतरिक कमजोरियों से मुक्त देखना चाहते हैं। आप जैसे हजारों संगठन, संस्थाएं इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं। सिर्फ जातिवाद ही नहीं, जितनी भी बुराइयां देश को नुकसान पहुंचा रही हैं, उन्हें दूर करने में, उनके प्रति लोगों को जागृत करने में आपका योगदान और बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
15 अगस्त 1947 को हमने गुलामी की जंजीरें भले तोड़ दी थीं, लेकिन उन जंजीरों के निशान हमारी सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था पर अब भी पड़े हुए हैं। इन निशानों से मुक्ति आपके सहयोग से ही हो सकेगी।