युवा पीढ़ी के साथ किसी भी तरह का संवाद हो, उनसे हमेशा कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है
इसलिए मैं यथासंभव प्रयास करता हूं कि युवाओं से ज्यादा से ज्यादा मिलूं, उनसे बात करूं, उनके अनुभव सुनूं। उनकी आशाएं, उनकी आकांक्षाएं जानकर, उनके मुताबिक कार्य कर सकूं, इसका मैं निरंतर प्रयत्न करता हूं
भगवान वसवेश्वर और स्वामी विवेकानंद जी के आशीर्वाद से श्री शिवकुमार स्वामी जी राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में जुटे हुए हैं। मैं उनके बेहतर स्वास्थ्य और उनकी दीर्घायु की प्रार्थना करता हूं
आज के तीनों आयोजनों के केंद्र बिंदु स्वामी विवेकानंद हैं। कर्नाटक पर तो स्वामी विवेकानंद जी का विशेष स्नेह रहा है। अमेरिका जाने से पहले, कन्याकुमारी जाने से पहले वो कर्नाटक में कुछ दिन रुके थे
यहां तीर्थों की बात हो रही है, तो Technology की भी चर्चा है। यहां, ईश्वर की भी बात हो रही है और नए Innovations की भी चर्चा है
कर्नाटक में Spiritual Festival और Youth Festival का एक नया मॉडल विकसित हो रहा है। मुझे आशा है कि ये आयोजन देशभर में दूसरों को प्रेरणा देगा। भविष्य की तैयारियों के लिए हमारी ऐतिहासिक परंपराओं और वर्तमान युवा शक्ति का ये समागम अद्भुत है
अगर हम अपने देश के स्वतंत्रता आंदोलन पर ध्यान दें, उन्नीसवी और बीसवी शताब्दी के उस कालखंड पर गौर करें, तो पाएंगे कि उस समय भी अलग-अलग स्तर पर एक संयुक्त संकल्प देखने को मिला था
ये संयुक्त संकल्प था देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करने के लिए। तब संत समाज – भक्त समाज, आस्तिक – नास्तिक, गुरु- शिष्य, श्रमिक वर्ग – प्रोफेशनल वर्ग, जैसे समाज के विभिन्न अंग इस संकल्प से जुड़ गए थे
उस समय हमारा संत ये स्पष्ट देख रहा था कि अलग-अलग जातियों में बंटा हुआ समाज, अलग-अलग वर्ग में विभाजित समाज अंग्रेजों का मुकाबला नहीं कर सकता
इसी कमजोरी को दूर करने के लिए उस दौरान देश में अलग-अलग हिस्सों में सामाजिक आंदोलन चले। इन आंदोलनों के माध्यम से देश को एकजुट किया गया, देश को उसकी आंतरिक बुराइयों से मुक्त करने का प्रयास किया गया
पहली बार ऐसा हुआ जब देश के अन्य राज्यों के लोग भी ये देखने के लिए सुबह से टीवी खोलकर बैठ गए कि मेरे उत्तर-पूर्व के भाइयों-बहनों ने क्या जनादेश दिया है। ये एक बहुत बड़ा बदलाव है