- 150 वर्ष के समारोह का एक प्रकार से आज समापन हो रहा है लेकिन साल भर चला ये समारोह समापन के साथ नई ऊर्जा, नई प्रेरणा, नए संकल्प और नए भारत के सपने को पूरा करने में एक बहुत बड़ी ताकत बन सकता है।
- चीफ जस्टिस साहब अभी अपने दिल की बात रहे थे और मैं मन से सुन रहा था। मैं उनके हर शब्द में एक पीड़ा अनुभव करता हूं कुछ कर गुजरने का इरादा मैं अनुभव करता हूं। भारत के न्यायाधीशों को, ये नेतृत्व मुझे विश्वास है कि उनके संकल्प पूरे होंगे, हर कोई जिसकी जिम्मेवारी है उनका साथ निभाएगा जहां तक सरकार का सवाल है मैं विश्वास दिलाता हूं कि जिस संकल्प को लेकर के आप लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।
- हमारे जिम्मे जो योगदान देना होगा हम उसे पूरा करने का भरपूर प्रयास करेंगे, जब इलाहाबाद कोर्ट के 100 साल हुए थे शताब्दी का अवसर था तब उस समय के भारत के राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन जी, यहां आए थे और उन्होंने जो वक्तव्य दिया था उसका एक पैराग्राफ मैं समझता हूं मैं पढ़ना चाहूंगा कि सौ साल पहले, सौ साल जब पूरे हुए 50 साल पहले जो बात कही गई थी उसका पुनर्स्मरण किेतना आवश्यक है|
- अगर एक बार जैसे गांधी जी कहते थे अगर हम कोई भी निर्णय करें ये सही है कि गलत है, इसकी कसौटी क्या हो। तो गांधी ने सरकारों के लिए खास कहा था कि आप जब भी कोई निर्णय करें कोई दुविधा है तो आप पलभर के लिए हिन्दुस्तान के आखिरी छोर पर बैठे हुए इंसान का स्मरण कीजिए और कल्पना कीजिए कि आप के निर्णय का उसके जीवन पर प्रभाव क्या होगा। अगर प्रभाव सकारात्मक होता है तो बेझिझक आगे बढि़ए आप का निर्णय सही होगा।
- इस इलाहाबाद की और भारत का पूरा न्यायजगत आजादी के पूर्व हिन्दुस्तान की आजादी के आंदोलन को अगर किसी ने बल दिया भारत के सामान्य मानवी ने, अंग्रेज शासन के सामने अभय का जो सुरक्षा चक्र दिया, सुरक्षा कवच दिया। ये भारत के न्याय जगत से जुड़े हुए ज्यादातर वकीलों ने दिया।
- आजादी का आंदोलन चलाया आजादी के आंदोलन के बाद से देश की शासन व्यवस्था में अपनी भागीदारी देश में जो मिजाज था आजादी के आंदोलन का हर किसी का सपना था आजाद हो जाएं और अगर हर इंसान का सपना न होता तो आजादी आनी संभव ही नहीं थी।
- मुझे विश्वास है सवा सौ करोड़ देशवासियों के सपने, सवा सौ करोड़ देशवासियों का एक कदम देश को सवा सौ करोड़ कदम आगे ले जा सकता है ये ताकत है उस ताकत को हम कैसे बल दें उस दिशा में प्रयास करेंगें, युग बदल चुका है|
- जब मैं चुनाव प्रचार कर रहा था 2014 में, मैं देश कई लोगों के लिए अपरिचित था, मेरी पहचान नहीं थी एक छोटे से समारोह में मुझसे कई सवाल पूछे गए थे और मैंने कहा था मैं नए कानून कितने बनाऊंगा वो तो मुझे मालूम नहीं है लेकिन मैं हर दिन एक कानून खत्म जरूर करूंगा अगर मैं प्रधानमंत्री बन गया तो इस कानूनों की जंजाल सरकारों जो ने बनाई है इस कानूनों का बोझ सामान्य मानवों पर जो लादा गया है जैसे चीफ जस्टिस साहब कह रहे हैं कि उसमें से कैसे बाहर निकला जाए, सरकार भी कहती है कि इस बोझ को कम कैसे किया जाए।
- और आज मुझे खुशी है कि अभी पांच साल पूरे नहीं हैं अब तक करीब-करीब 1200 कानून हम खत्म कर चुके हैं प्रतिदिन एक से ज्यादा कर चुके हैं।
- कम समय में जो चीज पूछनी है पूछ ली जाए ताकि उन अफसरों का समय भी शासन के काम में लग सके। ये सारी चीजें जेल से कैदियों को अदालत में लाना, सुरक्षा में इतनी खर्चा और उस मार्ग में क्या क्या नहीं होता है ये सभी जानते हैं।
- अगर जुडिशियरी के हाथ में उस प्रकार के नये innovation आ जाएं। मझे विश्वास है कि जुडिशियरी के लोग इसका उपयोग कर कर के गति लाने में बहुत बड़ी मदद कर सकते हैं। वह एक चहुं दिशा में अगर हम प्रयास करेंगे तो हम एक–दूसरे के पूरक बनेंगे। इच्छित परिणाम लेकर रहेंगे।
- मैं फिर एक बार दिलीप जी को उनकी पूरी टीम को, यहां सभी आदरणीय judges को, बाहर के मित्रों को, 150 वर्ष की इस यात्रा के समापन के समय पर आदरपूर्वक बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और मुझे विश्वास है कि 2022 भारत की आजादी के 75 साल का सपना संजो करके यहां से चलें, जितना हो सका जल्दी उस सपने को संकल्प में परिवर्तित करें और उस संकल्प को फिर से करने के लिए अपनी सारी क्षमताओं को जुटा दें।