• योग की एक विशेषता है मन को स्थिर रखने की, किसी भी प्रकार के उतार-चढ़ाव के बीच भी स्वपस्थष मन के साथ जीने की कला योग से सीखने को मिलती है।
• लगातार बारिश के बीच भी आप सब यहां डटे हुए हैं, योग के महात्य्उत को बल देने का आपका ये प्रयास अभिनदंनीय है।
• योग ने स्वियं भी व्यसक्ति से समस्तीक तक की यात्रा करनी शुरू की है। एक वक्त था जब योग हिमालय में गुफाओं में ऋषियों, मुनियों, मनीषियों का ही साधना का मार्ग हुआ करता था।
• युग बदलते गए, सदियां बीतती गईं; आज योग घर-घर का, जन-जन का, उसके जीवन का हिस्साे बन रहा है। विश्वि के अनेक देश, जो न हमारी भाषा जानते हैं, न हमारी परम्प रा जानते हैं, न हमारी संस्कृ्ति से परिचित हैं, लेकिन योग के कारण आज पूरा विश्व भारत के साथ जुड़ने लगा है।
• United Nations ने सर्वाधिक वोटों से कम से कम समय में जब योग को अंतर्राष्ट्री य दिवस के रूप में स्वी कृति दी, तब से ले करके आज दुनिया का शायद ही कोई देश होगा जहां पर योग के संबंध में कोई कार्यक्रम न होता हो, योग के प्रति आकर्षण न बढ़ा हो, जागरूकता न बढ़ी हो।
• पिछले तीन वर्ष में योग के कारण अनेक नई-नई Yoga Institutes आज develop हुई हैं।
• पिछले तीन वर्ष में बहुत बड़ी मात्रा में योगा के टीचरों की मांग बढ़ी है। योगा की Training Institutes में भी नौजवान योगा को एक profession के रूप में स्वी कार करते हुए अपने-आप को तैयार कर रहे हैं। दुनिया के सब देशों में योगा के टीचर की मांग हो रही है। विश्वo में एक नया Job Market योगा के द्वारा तैयार हो रहा है। और भारत के लोगों की प्राथमिकता सारी दुनिया में सबसे पहले रहती है।
• पिछले वर्ष यूनेस्कोब ने भारत के योग को मानव संस्कृयति की एक अमर विरासत के रूप में मान्योता दी है।
• आज भारत में भी कई राज्ये ऐसे हैं जिन्हों ने योग को शिक्षा का एक उपक्रम बनाया है ताकि हमारी भावी पीढि़यां हमारे सदियों पुराने इस विज्ञान से परिचित हों, उसके अभ्याससु बनें, और वे उनके जीवन का हिस्सार बनें।
• Health के लिए कई प्रकार के प्रकल्पै होते हैं, लेकिन fitness से भी ज्यारदा, healthy होने से भी ज्यारदा wellness का महत्वय होता है। और इसलिए wellness को जीवन में सहज प्राप्त् करने के लिए योग एक बहुत बड़ा माध्यजम है। आज योग के सामने कहीं पर भी दुनिया में सवालिया निशान नहीं है।
• जिन्होंाने पहली बार योग किया है उन सबको पता चलता है कि मेरे शरीर के अंग सुषुप्त पड़े थे, योग शुरू करने से ही उसके भीतर जागृति आने लगी है, चैतन्य आने लगा है।
• स्वगस्थह शरीर, स्वनस्थ मन, स्वमस्थे बुद्धि, अगर सवा सौ करोड़ देशवासी दुनिया के वासी, अगर इस स्वजस्थअता को प्राप्त कर लें तो मानव के सामने जो मानवीय विचारों के कारण संकट पैदा होते हैं, उन सकटों से भी हम मानव जात की रक्षा कर सकते हैं।
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