- 100 वर्ष पहले आज का ही दिन था, जब गांधीजी पटना पहुंचे थे, और चंपारण के अपने सफर की शुरूआत की थी।
- चंपारण की जिस धरती को भगवान बुद्ध के प्रवचन का आशीर्वाद मिला था, जो धरती सीता माता के पिता, जनक के राज्य का हिस्सा रही थी; वहां के किसान कठोरत्तम स्थिति का सामना कर रहे थे। न सिर्फ चंपारण कि किसानों को, शोषितों को, पीडि़तों को गांधीजी ने एक रास्ता दिखाया, बल्कि पूरे देश को ये एहसास कराया कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह की क्या शक्ति होती है।
- हमारा देश का इतिहास वृहद, व्यापक; एक ऐसा इतिहास, जो नये रूप और संदर्भों में बार-बार लौटता है और हमें मजबूर करता है कि हम अपनी आंखें खोलें और अपने राष्ट्र की गौरवशाली संस्कृतिक परम्परा को पहचानें।
- चंपारण का सत्याग्रह ऐसा ही पारस है। इसलिए बहुत आवश्यक है कि हम ऐसे ऐतिहासिक अवसरों को जानें, उनसे जुड़ें, हो सकें तो उन्हें जीने का प्रयास करें।
- अब यहां एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया, online interactive quiz का आरंभ हुआ है, नृत्य-नाटिका भी प्रस्तुत की गई है। चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने पर होने वाले ऐसे कार्यक्रम सिर्फ औपचारिकता नहीं हैं। ये हमारे लिए एक पवित्र अवसर है।
- हमें अब महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि के साथ-साथ कार्यांजलि भी अर्पित करनी है। अपने कार्यों को उन्हें अर्पित करना है। और उसके सबसे बड़ा माध्यम है स्वच्छाग्रह। सत्य के प्रति आग्रह की तरह ही स्वच्छता के प्रति भी आग्रह।
- जब Magistrate ने उन्हें चंपारण से जाने का आदेश दिया तो उन्होंने कहा था, इस आदेश से इंकार वो अदालत की अवमानना के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि वो ऐसा अपनी अतंरात्मा की आवाज और अपने अस्तित्व के सम्मान के लिए कर रहे हैं। पूरा अंग्रेजी शासन गांधी के उस निर्णय से back-foot पर चला गया।
- जब गांधीजी ने कहा था कि मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं, अंग्रेजों ने सोचा नहीं था। जनता देख रही थी कि दक्षिण अफ्रीका से लौटा एक बैरिस्टर यहां चंपारण में आकर किस तरह जेल जाने के लिए तैयार हो गया। इतनी गर्मी में पूरे इलाके की धूल खा रहा है।
- आप ध्यान दीजिए गांधी जी इस वक्त लोगों के thought process को जगा रहे थे।
- गांधीजी कहते थे, ”मेरा जीवन ही मेरा दर्शन है।”
- गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि कैसे लोगों को अपनी शक्ति का एहसास हुआ और ये भी समय आया कि परिवर्तन हो सकता है, बदलाव हो सकता है।
- अगर हम बारीकी से देखें तो पांएगे कि चंपारण में गांधीजी ने जो कुछ किया, उससे पांच अलग-अलग अमृत देश के समक्ष प्रस्तुत हुए। ये पंचामृत आज भी देश के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है-
पहला अमृत – सत्याग्रह की ताकत से लोग परिचित हुए,
दूसरा अमृत – जनशक्ति की ताकत से लोग परिचित हुए,
तीसरा अमृत – स्वच्छता और शिक्षा को लेकर भारतीय जनमानस में नई जागृति आई,
चौथा अमृत – महिलाओं की स्थिति सुधारने का प्रयास हुआ,
और पांचवां अमृत – अपने हाथों से काते गए वस्त्र पहनने की सोच पैदा हुई। ये पंचामृत चंपारण आंदोलन का सार हैं।