जिस मणिपुर को, जिस नॉर्थ ईस्ट को नेताजी ने भारत की आज़ादी का गेटवे बताया था, उसको अब New India की विकास गाथा का द्वार बनाने में हम जुटे हुए हैं।
जहां से देश को आज़ादी की रोशनी दिखी थी, वहीं से नए भारत की सशक्त तस्वीर आप सभी की आंखों में स्पष्ट दिखाई दे रही है
आप सभी साक्षी रहे हैं कि नॉर्थ-ईस्ट के साथ बीते दशकों में पहले की सरकारों ने क्या किया।
उनके रवैये ने दिल्ली को आपसे और दूर कर दिया था।
पहली बार अटल जी की सरकार के समय, देश के इस अहम क्षेत्र को विकास के रास्ते पर ले जाने की पहल हुई थी।
हम दिल्ली को आपके दरवाजे तक ले आए हैं
मैं खुद बीते साढ़े चार साल में करीब 30 बार नॉर्थ ईस्ट आ चुका हूं।
आपसे मिलता हूं, बातें करता हूं तो एक अलग ही सुख मिलता है, अनुभव मिलता है।
मुझे अफसर से रिपोर्ट नहीं मांगनी पड़ती, सीधे आप लोगों से मिलती है।
ये फर्क है पहले और आज में
ऐसे निरंतर प्रयासों की वजह से अलगाव को हमने लगाव में बदल दिया है।
आज इन्हीं कोशिशों की वजह से पूरा नॉर्थ ईस्ट परिवर्तन के एक बड़े दौर से गुजर रहा है।
तीस-चालीस साल से अटके हुए प्रोजेक्ट्स पूरे किए जा रहे हैं।
आपके जीवन को आसान बनाने की कोशिश की जा रही है
देश के जिन 18 हज़ार गांवों को रिकॉर्ड समय में अंधेरे से मुक्ति मिली है, उनमें सबसे आखिरी गांव कांगपोकपी जिले का लेइशांग है।
जब भी भारत के हर गांव तक बिजली पहुंचाने के अभियान की बात आएगी तो, लेइशांग और मणिपुर का नाम भी आएगा