सबसे पहले आप सभी को उगादी पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं
महर्षि वेद व्यास ने श्रीशैलम की महत्ता बताते हुए कहा था कि यहां दर्शन करने वाले लोगों को हर तरह के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। “श्रीशैल समं क्षेत्रं न भूतो न भविष्यति” इस क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठता को व्यक्त करने वाला वाक्य है
इस क्षेत्र में भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक श्री मल्लिकार्जुन लिंग तो विद्यमान है ही, इस साथ ही भ्रमराम्बा शक्तिपीठ और वीरशैव धर्म के संस्थापक आचार्यों में एक श्री जगदुरु सूर्यसिंहासन पंडिताराध्य गुरुपीठ भी विराजमान हैं
इस पवित्र संगम क्षेत्र में महास्वामी जी प्रतिवर्ष उगादी के अवसर पर राष्ट्रीय जागृति का ये महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित करते हैं
देशभर से और विशेषकर कर्नाटक से हजारों लोग, सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर इस आयोजन का साक्षी बनने के लिए वहां पहुंचते हैं। राष्ट्रीय जागृति और आस्था के इस महान यज्ञ में शामिल प्रत्येक श्रद्धालु को मेरा करबद्ध प्रणाम है
ये देश, आप जैसे सिद्धस्त संतों का आभारी है कि इतिहास बदलने वाले अपने प्रयास में सफल नहीं हुए। आपने एक तरफ देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रक्षा की तो दूसरी तरफ सामाजिक व्यवस्थाओं को मजबूत करने का भी कार्य किया
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