Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Salient Points of PM’s address at the Civic Reception at Rashtriya Sabha Griha in Kathmandu, Nepal on 12 May, 2018

आपने और आपके साथियों ने, काठमांडू की महानगरपालिका ने, मेरे लिये इस स्वागत समारोह का आयोजन किया है।

मैं हृदय से आभारी हूँ। यह सिर्फ़ मेरा नहीं, पूरे भारत का सम्मान है। मैं ही नहीं, सवा सौ करोड़ भारतीय भी कृतज्ञ हैं। काठमांडू से और नेपाल से मेरा बहुत पुराना रिश्ता है।

जब मैं राजनीति में भी नहीं था। मैं जब भी नेपाल आता हूँ तो मुझे शांति और आत्मीयता की अनुभूति होती है।

जब भी मैं काठमांडू के बारे में सोचता हूँ, तो जो छवि उभरती है वह सिर्फ़ एक शहर की नहीं है। वह छवि सिर्फ़ एक भौगोलिक घाटी की नहीं है। काठमांडू हमारे पड़ौसी और अभिन्न मित्र नेपाल की राजधानी ही नहीं है।

भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के देश की राजधानी ही नहीं है। एवरेस्ट पर्वत के देश की, लीली गुराज के देश की राजधानी ही नहीं है। काठमांडू अपने आप में एक पूरी दुनिया है। और इस दुनिया का इतिहास उतना ही पुराना, उतना ही भव्य और उतना ही विशाल है जितना हिमालय।

परंपरा और संस्कृति ने काठमांडू की हस्तकला और कलाकारों को बेजोड़ बनाया है। चाहे वह हाथ से बना कागज़ हो या तारा और बुद्ध जैसी मूर्तियाँ। भक्तपुर की मिट्टी से बने बर्तन हों या पाटन में पत्थर, लकड़ी और धातु का काम। नेपाल की बेजोड़ कला और कलाकारी का महाकुंभ है काठमांडू। और मुझे ख़ुशी है कि यहां की युवा पीढ़ी इस परंपरा को निभा रही है। और इसमें नयापन भी ला रही है।

नेपाल की मेरी अब तक की दो यात्राओं में मुझे पशुपतिनाथ के दर्शन का सौभाग्य मिला था। इस यात्रा में मुझे पशुपतिनाथ के अलावा पवित्र जनकपुर धाम और मुक्तिनाथ, तीनों पवित्र तीर्थ स्थानों पर जाने का सुअवसर मिला। ये तीनों स्थान सिर्फ़ महत्वपूर्ण तीर्थस्थल ही नहीं हैं।

ये भारत और नेपाल के अडिग और अटूट संबंधों का हिमालय है। आगे जब भी नेपाल यात्रा का अवसर बनेगा, मैं समय निकाल कर भगवान बुद्ध की जन्म स्थली लुम्बिनी जाने का कार्यक्रम भी अवश्य बनाऊंगा।

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