भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में संबोधन : प्राचीन सुवर्णभूमि, थाइलैंड में आप सभी के बीच हूं तो लगता ही नहीं है कि कहीं विदेश में हूं।
ये माहौल, ये वेशभूषा, हर तरफ से अपनेपन का आभास मिलता है, अपनापन झलकता है
आप भारतीय मूल के हैं सिर्फ इसलिए नहीं, बल्कि थाइलैंड के कण-कण, जन-जन में भी अपनापन नज़र आता है।
यहां की बातचीत में, यहां के खान-पान में, यहां की परंपराओं में, आस्था में, आर्किटेक्चर में, भारतीयता की झलक है।
पूरे विश्व ने अभी दीवाली का त्यौहार मनाया है। आज छठ का बहुत बड़ा त्योहार है।
थाईलैंड की यह मेरी पहली official यात्रा है। तीन साल पहले थाईलैंड नरेश के स्वर्गवास पर मैंने शोक संतप्त भारत की ओर से उन्हें श्रद्धांजालि अर्पित की थी।
आज, थाईलैंड के नए नरेश के राज-काल में, अपने मित्र प्रधान मंत्री ‘प्रयुत चान ओ च’ के निमंत्रण पर मैं भारत-आसियान समिट में भाग लेने यहाँ आया हूँ।
दरअसल, हमारे रिश्ते सिर्फ सरकारों के बीच के नहीं हैं। सरकारों ने तो इन्हें बनाया भी नहीं है। इन्हें इतिहास ने बनाया है
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