भारत की अर्थव्यवस्था हो, भारत की प्रतिभा हो, भारत की सामाजिक व्यवस्था हो, भारत के सांस्कृतिक मूल्य हों या फिर भारत की सामरिक ताकत, हर स्तर पर भारत की चमक और बढ़ रही है
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत इतनी जल्दी फाइव ट्रिलियन डॉलर Economies के क्लब में शामिल होने की तरफ अपना कदम बढ़ा देगा
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि Ease of Doing Business की रैंकिंग में 142 से 77 पर आ जाएगा, भारत टॉप 50 में आने की ओर बढ़ चलेगा
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत में एसी ट्रेन में चलने वाले लोगों से ज्यादा लोग हवाई सफर करने लगेंगे
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि रिक्शा चलाने वाला भी, सब्जी वाला भी और चायवाला भी BHIM App का इस्तेमाल करने लगेगा, अपनी जेब में रूपे डेबिट कार्ड रखकर अपना आत्मविश्वास बढ़ाएगा
क्या चार पहले किसी ने सोचा था कि भारत का एविएशन सेक्टर इतना तेज आगे बढ़ेगा कि कंपनियों को एक हजार नए हवाई जहाज का ऑर्डर देना पड़ेगा
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत में नेशनल वॉटरवेज एक सच्चाई बन जाएंगे, कोलकाता से एक जहाज गंगा नदी पर चलेगा और बनारस तक सामान लेकर आएगा
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि Start Up की दुनिया से लेकर Sports की दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत एक बार में सौ सैटेलाइट छोड़ने का रिकॉर्ड बनाएगा, गगनयान के लक्ष्य पर काम करेगा
चार साल पहले ये भी किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन हेलीकॉप्टर घोटाले का इतना बड़ा राजदार, क्रिश्चियन मिशेल भारत में होगा, सारी कड़ियां जोड़ रहा होगा
चार साल पहले ये भी किसी ने नहीं सोचा था कि 1984 के सिख नरसंहार के दोषी कांग्रेस नेताओं को सज़ा मिलने लगेगी, लोगों को इंसाफ मिलने लगेगा
हमारे यहां एक साइकोलॉजी रही है कि जब सरकार के खिलाफ आरोप लगाते हुए कोई अदालत में जाता है, तो माना जाता है कि सरकार गलत होगी और आरोप लगाने वाला सही। घोटाले हों, भ्रष्टाचार के आरोप हों, यही एक मानसिकता रही है