Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Salient points of PM Modi’s speech in Rajya Sabha on the ‘motion of thanks’ to President’s address

Salient points of PM Modi’s speech in Rajya Sabha on the ‘motion of thanks’ to President’s address

  • सदस्‍यों के सवालों के जवाब देने के लिए मंत्रियों को देर रात तक तैयारियां करनी पड़ रही हैं। executives को हिसाब देने के लिए सजग रहना पड़ा रहा है और यही लोकतंत्र की ताकत है।
  • एक बात जरूर है मृत्‍यु को एक वरदान है और मृत्‍यु को ऐसा वरदान है मृत्‍यु कभी बदनाम नहीं होता। कभी मृत्‍यु पर आरोप नहीं लगते। कोई मरे तो ये कैंसर से मरा है, आरोप कैंसर पर जाता है। कोई मरे तो ये अकस्‍मात मरा है तो अकस्‍मात पर आरोप जाता है मृत्‍यु पर नहीं जाता है। बड़ी आयु में मरे तो वे उम्र के कारण मरे हैं, मृत्‍यु को कभी दोष नहीं आता। मृत्‍यु कभी बदनाम नहीं होती। कभी-कभी ऐसा लगता है कि कांग्रेस को ऐसा वरदान है… वरदान इस अर्थ में है कि अगर हम कांग्रेस की आलोचना करें तो आपने मीडिया में देखा होगा कि विपक्ष पर हमला, विपक्ष पर आरोप, कभी ये नहीं आता है कि कांग्रेस पर हमला, कांग्रेस पर आरोप| हम अगर शरद जी के खिलाफ कुछ कहें, मायावती जी के खिलाफ कुछ कहें तो अखबार में आएगा, टीवी में आएगा कि बीएसपी पर हमला, जेडीयू पर हमला, शरद जी पर हमला, मायावती जी पर हमला लेकिन कांग्रेस एक ऐसी है जब भी हमला हो तो विपक्ष पर हमला। कभी कांग्रेस को बदनामी नहीं मिलती और ये अपने आप में बड़ा गजब का विज्ञान है।
  • देश हमारे कई बिल पारित हो, इसका इंतजार कर रहा है। जीएसटी की चर्चा हो रही है बाकी बिल की चर्चा मैं नहीं कर रहा हूं। बहुत बड़ी मात्रा में अब जो जनप्रतिनिधि चुन करके आए हैं उन्‍होंने तो इसको स्‍वीकार कर लिया है। लेकिन राज्‍यों के जो प्रतिनिधि हैं वहां। अब ये जगह ऐसी है जो अपर हाऊस हमारा, एक chamber of ideas है। यहां देश को मार्गदर्शन मिलेगा, दिशा मिलेगी और इसलिए दोनों सदनों के बीच तालमेल होना बहुत जरूरी है। दोनों सदन वस्‍तुत: उसी structure के भाग हैं और सहयोग एंव सामंजस्‍य की भावना की किसी भी कमी से कठिनाइयां बढ़ेगी और हमारे संविधान के उचित रूप से कार्य करने में बाधा खड़ी होगी। ये चिंता पं0 जवाहर लाल नेहरू जी ने जताई थी। मैं आशा करता हूं कि हम पंडित जी की इस चिंता को महत्‍व दें।
  • हमें incremental improvement से हटकर के एक quantum jump की ओर जाना बहुत जरूरी है और इसलिए शक्‍ति भी जरा ज्‍यादा लगानी पड़ती है और शक्‍ति जोड़नी भी पड़ती है। तो उसकी दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।
  • हमने एक बल दिया है good governance पर, और जब मैं good governance की बात करता हूं, सुशासन की बात करता हूं तो उसकी पहली शर्त होती है पिछले दिनों चाहे कोयले की चर्चा हो, स्‍पेक्‍ट्रम की चर्चा हो, न-जाने क्‍या-क्‍या बातें उठी, अब तो मामले सारे कोर्ट में भी पड़े हुए हैं। लेकिन हमने transparency पर बल दिया है। उसका परिणाम यह है – कोयला auction में हम गए 3.33 लाख करोड़, स्‍पेक्‍ट्रम में गए 1 लाख करोड़, हम एफएम रेडियो में गए। अभी-अभी चल रहा है। शायद आप लोगों को ज्ञान होगा 6 अन्‍य minerals का और अभी-अभी auction में जो 18 हजार करोड़ रुपया cross कर गया।
  • दूसरा पहलू है good governance का हमें यह मानकर चले कि कुल मिलाकर के जो deterioration आया है उसमें हम खबरों की speed से चलते चले जा रहे हैं, पीछे की चीजें छूटती चली जा रही हैं। खबरें आती हैं जाती हैं, घटनाएं आती हैं जाती हैं, accountability का विषय छूट जाता है। हमने कोशिश की है कि accountability पर बल दिया जाए। मैं लगातार इन दिनों Infrastructure के review कर रहा हूं। इस सदन के सभी माननीय सदस्‍यों को आश्‍चर्य होगा 10-10, 20-20 साल से हमारे बड़े-बड़े प्रोजेक्‍ट लटके पड़े हुए हैं। या तो environment वालों ने रोक दिया होगा, कोर्ट-कचहरी ने रोक दिया होगा, या स्‍थानीय कोई body होगी छोटी, नगरपालिका वो रोककर के बैठ गई होगी। रुका हुआ है, क्‍यों रुका हुआ है, कोई देखता नहीं, पूछता नहीं, इसी कारण, कभी financial कारण भी रहे होंगे लेकिन 10-10, 20-20 साल से रुके हुए प्रोजेक्‍ट। मैंने पिछले दिनों करीब 300 प्रोजेक्‍ट का खुद review किया और उसकी worth है करीब 15 लाख करोड़ रुपया। मैं इस सदन को नम्रतापूर्वक कहता हूं कि वो सारे छोटे-छोटे संकटों में फंसे हुए, ये 15-15, 20 साल पुराने stalled projects आज चालू हो गए है, गति बढ़ रही है।
  • Good governance का तीसरा पहलू होता है – decentralization. इतना बड़ा देश हम centralized mechanism से नहीं चला सकते। जितनी बड़ी मात्रा में decentralize करेंगे और इसलिए सरकार ने नीतिगत रूप से decentralize करने की दिशा में नीतिगत कदम उठाए हैं जैसे हम environment की हर permission को दिल्‍ली ले आए।
  • Good governance की एक महत्‍वपूर्ण बात होती है effective delivery.
  • वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 2014 में हमने skill development एक अलग ministry बनाई। skill development scheme के लिए common norms तय किए। skill initiatives, consistent quality हासिल करने पर बल दिया गया। NSDC के तहत हमने डेढ़ साल में ढाई गुना उसमें बढ़ोतरी की। Industrial training institutions (ITI) हमने डेढ़ साल के भीतर-भीतर 20% उसमें इजाफा किया। पिछले दो वर्ष में क्षमता 15 लाख 23 हजार सीटों से बढ़कर के 18 lakh 65 thousand कर दी गई, 20% हमने बढ़ोतरी की। 1 लाख 70 हजार प्रतिवर्ष जो तय होते थे उसमें हमने 53 thousand और जोड़ दिए। 10th और 12th उसमें vocational education करीब बारह सौ तेरह सौ स्‍कूल में चलता था। आज हमने उसको एकदम से quantum jump लगाकर के तीन हजार पहुंचा दिया। डेढ़ लाख अतिरिक्‍त छात्रों का लाभ उसके लिए हुआ। International mobility , एक बात मानकर के चलें कि 2030 वो समय आएगा, जब दुनिया की नज़र हिन्‍दुस्‍तान के workforce पर रहने वाली है। हमने अभी से global standard का workforce तैयार करने की दिशा में हमें काम करना चाहिए। International mobility पर हमें बल देना चाहिए और उसके लिए ऑस्‍ट्रेलिया और UK के जो standards है उसको match होते हुए, कामों को हमने शुरू किया है और भी requirements के अनुसार उस standard को लेने की दिशा में हम काम करना चाहते हैं।
  • पहले हमारे यहां target होता था – कितने बच्‍चों को तैयार किया। उसी को पूरा करने की दिशा में प्रयास था। हमने market में requirement क्‍या है, किस प्रकार के syllabus की जरूरत है, किस प्रकार की training की जरूरत है, उसका सर्वे किया और according to that हमने skill develop किया ताकि job के साथ उसको connect किया जाए और उसको उसका काम मिल जाए और उस दिशा में हमने प्रयास किया है।
  • हमने रोजगारी को बढ़ावा देने के लिए जो micro and small industry है उसको हमने Tax के अंदर सुविधाएं दी हैं। Start Up को बल दिया है। तीन साल के लिए टैक्‍स में हमने रियायत दी है ताकि नौजवानों को Start Up के लिए मौका मिले। मुद्रा बैंक के द्वारा करोड़ों-करोड़ों लोगों को हमने धन दिया है, जो पुराने थे उन्होंने expansion किया है। expansion के कारण उसको एक-दो लोगों को और रोजगार देने का उसको अवसर मिला है और इसमें भी ज्‍यादा SC, ST और women हैं | मुद्रा के लाभार्थी सबसे ज्‍यादा SC, ST, OBC and women है।
  • हमारे देश में बड़े-बड़े मॉल हो, वो तो सात दिन चल सकते हैं, लेकिन गांव के अंदर एक छोटा दुकानदार हो, वो सात दिन खुली नहीं रख सकता है। हमने बजट में इस बार घोषित किया है कि छोटे दुकानदार भी सात दिन चला सते हैं, देर रात चला सकते हैं। इसका परिणाम यह आने वाला है कि हर छोटा दुकानदार भी एक न एक काम करने वाले को रखेगा, एक-एक दुकान पर एक नए व्‍यक्‍ति के रोजगार की संभावना होने वाली है। उस दिशा में महत्‍वपूर्ण काम मैं समझता हूं आने वाले दिनों में रोजगार की दिशा में होने वाला है।
  • जब हमने कहा कि क्‍यों न देश जिसमें किसान हो, progressive किसान हो, राज्‍य सरकारें हो, केन्‍द्र सरकारें हो, हम सब मिलकर के, हमने बहुत जिम्‍मेदारी के साथ इन शब्‍दों का प्रयोग किया हुआ है। सब मिलकर के ये लक्ष्‍य क्‍यों न तय करे कि 2022 में किसान की income double हो। अगर हम सही दिशा में प्रयास करे तो परिणाम आएगा। मैं एक हमारे देश में इस विषय के जानकार है, श्रीमान एम. एस. स्वामीनाथन, उनका एक latest article का quote मैं कहना चाहता हूं “seeds have been sown for agricultural transformation and for attracting and retaining youth in farming. The dawn of a new era in farming is in sight.”
  • अब किसान की आय दोगुना हो सकती है कि नहीं हो सकती है। किसान मतलब, अगर जो हम soil health card के काम को लेकर के चले है, उसको हम सफलता से लागू करे और किसान soil health card के advices के अुनसार अपनी जमीन का उपयोग करना शुरू करे। productivity बढ़ सकती है, input cost कम हो सकती है।

हमें value addition की दि‍शा में प्रयास करना होगा और इसलि‍ए अगर आलू कि‍सान बेचता है तो कम कमाई होती है लेकि‍न wafer बनाकर के बेचता है तो ज्‍यादा कमाई होती है। हरी मि‍र्च बेचता है तो कम कमाई होती है लेकि‍न लाल मि‍र्च का पाउडर बनाकर के बेचता है तो ज्‍यादा कीमत मि‍लती है। हम लोगों ने value addition पर बल देना शुरू कि‍या है जि‍सके कारण हमारे कि‍सान की income में बढ़ोतरी होना पूरी तरह लाजि‍मी है। उसी प्रकार से blue economy, हमारे जो सागर, जो हमारे fisheries में हमारे fisherman लगे हैं। हमारे समुद्री तट पर seaweed की खेती, पूरी संभावना है आज दुनि‍या में pharmaceuticals के manufacturing में base material के लि‍ए seaweed बहुत बड़ी ताकत बनकर उभरा है। हमारे fisherman के परि‍वार समुद्री तट पर आराम से seaweed की खेती कर सकते है और वो seaweed की marketing और हमारे pharmaceuticals से हम tie up करे, हमारे fisherman की income भी हम बढ़ा सकते हैं। कहने का तात्‍पर्य यह है कि‍हम जो सोचते हैं कि‍agriculture sector में हम कि‍सानों की आय बढ़ा नहीं सकते, ये नि‍राशा का कोई कारण नहीं है। अगर हम वैज्ञानि‍क तरीके से, उसी प्रकार से National Agriculture Market, आज National Agriculture Market के द्वारा, e-platform के द्वारा, कि‍सान अपने गांव में बैठकर के यह तय कर सकता है कि‍अगर महाराष्‍ट्र के अंदर उसकी पैदावार की कीमत ज्‍यादा है, वहां बेच सकता है। 14 अप्रैल बाबा साहेब आम्‍बेडकर की जन्‍मजयंती पर यह सरकार इसको launch करने जा रही है। कि‍सान अपनी जहां ज्‍यादा कीमत मि‍लेगी, वहां market में जाने के लि‍ए उसको सुवि‍धा मि‍लने वाली है।

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