Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Salient Points of PM Modi’s speech at Krishi Unnati Mela 2016

  • कृषि क्षेत्र को एक अलग नजरिये से develop करने की दिशा में यह सरकार प्रयास कर रही है।
  • हमारे देश में पहली कृषि क्रांति हुई वो पहली कृषि क्रांति अधिकतम जहां पानी था उस पानी के भरोसे हुई। लेकिन दूसरी कृषि क्रांति सिर्फ पानी के भरोसे करने से बात पूरी तरह संतोष नहीं देगी। और इसलिए दूसरी कृषि क्रांति विज्ञान के आधार पर, टेक्‍नोलॉजी के आधार पर, आधुनिक आविष्‍कारों के आधार पर करना आवश्‍यक हो गया है।
  • जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे, क्‍या हम हमारे देश के किसानों की आय दोगुना कर सकते हैं क्‍या? किसानों की आय डबल कर सकते हैं क्‍या? अगर एक बार किसान, राज्‍य सरकार, केंद्र सरकार यह मिल करके तय कर लें तो काम मुश्किल नहीं है।
  • अब तक हमने देश को आगे बढाने में कृषि उत्‍पादन के growth को ही केंद्र में रखा है। हम कृषि उत्‍पादन के growth तक सीमित रह करके किसान का कल्‍याण नहीं कर सकते हैं। हमने किसान का कल्‍याण करना है तो हमने और पचासों चीजें उसके साथ जोड़नी होगी, और तब जा करके 2022 का सपना हम पूरा कर सकते हैं।
  • soil health card के द्वारा हमें जमीन की जो कमियां नजर आई है। जमीन की जो ताकत ध्‍यान में आई है। जमीन की जो बीमारियां ध्‍यान में आई  है, उसके अनुसार हमें खेती करनी चाहिए तो आपकी आधी समस्‍याएं तो वहीं सुलझ जाएगी। मैं दावे से कहता हूं मेरे किसान भाईयों-बहनों आपकी आधी समस्यायें, अगर जमीन की ठीक देखभाल कर दी, तो आपकी आधी समस्‍या वहीं सुलझ जाएगी। और एक बार धरती माता का ख्‍याल रखोगे न तो धरती माता तो आपका चार गुना ज्‍यादा ख्‍याल रखेगी। कभी आपको पीछे मुड़ करके देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  • किसान का स्‍वभाव है अगर उसको पानी मिल जाए तो वो मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है। उसे और कुछ नहीं चाहिए। और इसलिए हमने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर बल दिया है। किसानों को पानी कैसे पहुंचे? और कम से कम पानी बर्बाद हो, उस रूप में कैसे पड़े, इस पर काम चल रहा है।
  • 20 हजार करोड़ रुपया, इस काम के लिए लगाने की दिशा में काम कर रहा हूं मैं। इतना ही नहीं मनरेगा, बड़ी चर्चा होती है, लेकिन कहीं asset create नहीं होता है। इस सरकार ने बल दिया है। और मैं चाहूंगा इन गर्मी के दिनों में गांव-गांव मनरेगा से एक ही काम होना चाहिए, एक ही काम और सिर्फ तालाब है तो तालाब गहरे करना, मिट्टी निकालना, जहां पर  पानी रोक सकते हैं रोकना। इस बजट में पांच लाख तालाब बनाने का सपना है, पांच लाख तालाब।
  • पानी यह परमात्‍मा ने दिया हुआ प्रसाद है। इसको बर्बाद करने का हमें कोई अधिकार नहीं है। एक-एक बूंद पानी का उपयोग होना चाहिए। और इसलिए per drop more crop एक-एक बूंद से फसल कैसे ज्‍यादा पैदा हो, उस पर काम करना है। हम micro irrigation में जाए, हम drip irrigation में जाए छोटे-छोटे पम्‍प लगा करके पानी पहुंचाने के लिए प्रबंध करे। liquid fertilizer दें। आप देखिए मेहनत कम हो जाएगी। खर्चा कम हो जाएगा और उत्‍पादन बढ़ जाएगा।
  • मेरे किसान को आज जो अकेलापन महसूस होता है, उसको लगता है कि मेरा कोई नहीं है। यह सरकार कंधे से कंधा मिला करके किसान के सुख-दुख का साथी है और हम आपके साथ मिल करके काम करना चाहते हैं, क्‍योंकि हमें बदलाव लाना है उस दिशा में हम काम करना चाहते हैं। उसी प्रकार से अब समय की मांग है कि हम मूल्‍य वृद्धि करे। value addition करे, processing करे। जितना ज्‍यादा food processing होगा, उतना ही ज्‍यादा हमारे किसान की आय बढ़ने वाली है। जितना ज्‍यादा value addition करेंगे, उतनी कमाई बढ़ने वाली है।
  • मैं किसानों से एक और आग्रह करना चाहता हूं। हमारी किसानी को तीन हिस्‍सों में बांटना यह अनिवार्य हो गया है। आज हम हमारी किसानी एक ही खम्‍बे पर चलाते हैं और उसका कारण जिस समय आंधी आ जाए वो खम्‍बा हिल जाए, ओले गिर जाए वो खम्‍बा गिर जाए, बहुत बड़ी बारिश आ जाए, वो खम्‍बा गया तो पूरी साल बर्बाद हो जाती है, पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है। लेकिन अगर तीन खम्‍बों पर हमारी किसानी खड़ी होगी तो आफत आएगी तो एक-आध खम्‍बा गिरेगा। दो खम्‍बे पर तो हमारी जिंदगी टिक पाएगी भाई। और इसलिए तीन खम्‍बे कौन से हैं जिस पर हमें किसानी करनी चाहिए एक तिहाई हम जो regular खेती करते हो वो, जो भी करते हो, मक्‍का हो, धान हो, फल हो, फूल हो, सब्‍जी हो जो करते है वो करें। एक तिहाई ताकत जहां आपके खेत की सीमा पूरी होती है। जहां boundary पर आप बाढ़ लगाते हैं बड़ी-बड़ी, एक-एक, दो-दो मीटर जमीन बर्बाद करते हैं। इधर वाला भी जमीन बर्बाद करता हैं, उधर वाला भी जमीन बर्बाद करता है, दोनों पड़ोसी बीच में जमीन बर्बाद करते हैं। क्‍या हम वहाँ पर टिम्‍बर की खेती कर सकते हैं क्‍या? ऐसे पेड़ उगाए जिससे फर्नीचर बनता है, मकान बनाने में काम आता है। ऐसे वृक्षों की खेती करे। ऐसे पेड़ लगाए। 15-20 साल में घर में बेटी शादी हो करने योग्‍य जाएगी, यह एक पेड़ काट दोगे, बेटी की शादी हो जाएगी। आज हिंदुस्‍तान बहुत बड़ी मात्रा में टिम्‍बर import करता है। विदेशों में पैसा जाता है हमारा। अगर हमारा किसान तय कर ले कि खेत के किनारे पर जो जमीन आज बर्बाद हो करके पड़ी है, सिर्फ demarcation के लिए पड़ोसी ले न जाए इसलिए बाढ़ लगा करके बैठे हैं दो-दो, तीन-तीन मीटर खराब हो रही है, जमीन। आप देखिए कितनी बड़ी income हो सकती है। और तीसरा, तीसरा महत्‍वपूर्ण पहलू है animal husbandry. दूध के लिए कुछ करे, अण्‍डों के लिए पॉल्‍ट्री फार्म करे। मधुमक्‍खी का पालन करे, मधु का निर्माण करे, शहद का निर्माण करे। इसके लिए अलग ताकत नहीं लगती है। सहज रूप से साथ-साथ चलता है। और यह भी बहुत बड़ा ताकत देने वाला काम है।
  • भाईयों-बहनों किसान के लिए क्‍या किया जा सकता है इसकी एक-एक बारीक चीज पर हमने ध्‍यान दिया है। अगर हमारे यहां पहले कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो 50 प्रतिशत अगर नुकसान होता था तब पैसे मिलते थे और वो भी एक पूरे इलाके में 50 प्रतिशत हिसाब बैठना चाहिए। हमने यह सब निकाल दिया और हमने कहा अगर 33 percent भी हुआ तो भी उसको मुआवजा दिया जाएगा। आजादी से अब तक सभी सरकारों में इस विषय की चर्चा हुई। हर किसानों ने इसकी मांग की, लेकिन किसी सरकार ने इसको किया नहीं था। हमने इसको कर दिया।
  • हमने यूरिया को नीम कोटिंग किया है। यह नीम कोटिंग क्‍या है? यह जो नीम के पेड़ होते हैं, उसकी जो फली होती है उसका तेल यूरिया पर लगाया गया है, उसके कारण जमीन को ताकत मिलेगी। अगर आज आप दस किलो यूरिया उपयोग करते हैं, नीम कोटिंग है, तो छह किलो, सात किलो में चल जाएगा, तीन किलो, चार किलो का पैसा बच जाएगा। यह किसान की income में काम आएगा। किसान की income डबल कैसे होगी, ऐसे होगी। नीम कोटिंग का यूरिया। और इससे एक और फायदा है जहां-जहां नीम के पेड़ हैं वहां अगर लोग फली इकट्ठी करेंगे तो उस फली का बहुत बड़ा बाजार खड़ा हो जाएगा, क्‍योंकि यूरिया बनाने वालों को नीम कोटिंग के लिए चाहिए, क्‍योंकि भारत सरकार ने hundred percent यूरिया नीम कोटिंग का कर दिया है। इसका दूसरा परिणाम यह होगा पहले क्‍या होता था यूरिया सारा लिखा जाता था तो किसान के नाम पर। सरकार के दफ्तर में लिखा जाता था कि किसान को यूरिया की सब्सिडी में इतने हजार करोड़ गए। लेकिन क्‍या सचमुच में वो किसान के लिए जाते थे क्‍या? सब्सिडी जाती थी, यूरिया के लिए जाती थी, लेकिन यूरिया किसान तक नहीं पहुंचता था वो केमिकल के कारखाने में पहुंच जाता था। क्‍योंकि उसको सस्‍ता माल मिलता था, वो उस पर काम करता था और उसमें से वो चीजें बना करके बाजार में बेचता था और हजारों-लाखों रुपये की कमाई हो जाती थी। अब नीम कोटिंग के कारण एक ग्राम यूरिया भी किसी केमिकल फैक्‍ट्री को काम नहीं आएगा। चोरी गई, बेईमानी गई और किसान को जो चाहिए था वो किसान को पहुंच गया।

हमें आधुनिक विज्ञान का उपयोग करते हुए कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ना है। हमने प्रयोग करने की हिम्‍मत दिखानी है। आज सब कुछ विज्ञान मौजूद है। आज जो सरकार ने initiative लिए हैं, वो आपके दरवाजें पर दस्‍तक दे रहे हैं। मैं खास करके युवा किसानों को निमंत्रण देता हूं आप आइये, मेरी बात पर गौर कीजिए, भारत सरकार की नई योजनाओं को ले करके आगे बढि़ए। और मैं विश्‍वास दिलाता हूं भारत का ग्रामीण जीवन, भारत के ग्रामीण गरीब का जीवन, भारत के किसान का जीवन हम बदल सकते हैं और उस काम के लिए मुझे आपका साथ और सहयोग चाहिए।

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