Home » Salient points of PM Modi’s address on the launch of Smart City Mission projects in Pune, 25th June 2016
- पंचायत प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक, गांव के पटवारी से लेकर कैबिनेट सेक्ट्ररी तक हम सब भले लाखों की तादाद में हो, लेकिन हम सबसे ज्यादा अगर कोई स्मार्ट है तो देश का नागरिक है।अगर एक बार देश के इन सवा सौ करोड़ नागरिकों की ताकत को झकझोर दिया जाए, अच्छे कामों के लिए झोंक दिया जाए तो सरकरों की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी, अपने आप दुनिया चल पड़ेगी, बहुत तेजी से चल पड़ेगी।
- Smart City Concept यह सिर्फ इस काम के लिए इतने पैसे दिये जाएंगे, वो नहीं है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ा जनांदोलन है। यह बीते हुए कल के अनुभव के आधार पर उज्जवल भविष्य की नींव रखने का एक सार्थक प्रयास है और मैं अनुभव कर रहा हूं कि यह प्रयोग सफल रहा है।
- आज, अभी एक प्लेटफॉर्म को launch किया गया है। पुणे कैसा बने, ये दिल्ली वाला सोच ही नहीं सकता है, जितना कि पुणे वाला सोच सकता है। भुवनेश्वर कैसा बने, भुवनेश्वर की किस गली में क्या काम हो, फुटपाथ कहां हो, साईकिल का रास्ता कहां हो, तालाब कहां हो, फुव्वारा कहां हो, अस्पताल कहां हो, पार्किंग कहां हो, वो भुवनेश्वर का निर्णय दिल्ली में नहीं हो सकता है। लेकिन अगर वेब पर कोई जोधपुर का idea आएगा तो भुवनेश्वर वाला भी देखेगा, यार! ये जोधपुर वालों ने कुछ नया सोचा है, चलो हम भी कुछ अपने भुवनेश्वर में नया देखें, कैसा हो सकता है। एक बहुत बड़ा development में participatory approach और वो भी talent pool का एक प्रयास। और यह मैं मानता हूं कि आने वाले दिनों में एक बहुत बड़ा परिवर्तन का कारण बनने वाला है।
- स्वच्छता, हमारे देश में सर्वप्रिय विषय बन गया है। एक जमाना ऐसा था कि सरकारों की वो स्कीम popular होती थी जिसमें सरकारी खजाने से कुछ मिलता था। किसी की जेब में कुछ आता था, किसी के पेट में कुछ आता था, किसी के गाँव में कुछ आता था । तब लोग मानते थे हाँ यह कोई अच्छी स्कीम लाये हैं|
- हम urbanisation को समस्या न समझे, हम urbanisation को opportunity समझें। ये अवसर है, ये शहरीकरण हो रहा है। इसे हम संकट न समझे, इसे अवसर समझे। अगर संकट समझेंगे तो उसको address करने का हमारा तरीका वही होगा, अरे यार! देखो वहां कुछ लोग बस गए है, अब क्या करे, पानी कैसे पहुंचाए, बिजली कैसे पहुंचाए, क्या करे यार, इनके बच्चों के लिए स्कूल का क्या करे। दिमाग में सिर दर्द। इसके बजाए हम एक opportunity मानकर के कि 2016 में हमारा पुणे ऐसा है, 2025 में ये संभावना है।
- हम मानें या न मानें, शहर की एक वो ताकत होती है जिस पर हमारे आर्थिक क्षेत्र के लोग एक अलग रूप में, terminology में उसको देखते हैं, growth sector कहते हैं। मैं उसको अलग तरीके से देखता हूं। मैं कहता हूं कि अगर गरीबी को पचाने की किसी में सबसे ज्यादा ताकत है तो वो शहर में होती है। शहर गरीबी को पचा पाता है और इसी के कारण जहां ज्यादा गरीबी होती है, वहां से लोग निकलकर के शहरों की ओर जाते हैं क्योंकि उनको एक आशा होती है कि उस शहर में कुछ न कुछ काम तो मिल जाएगा।
- आज जमीन महंगी हो रही है। स्वच्छता करेंगे तो कूड़ा-कचरा डालेंगे कहां, landfill कहां होंगे, landfill के लिए ले जाना है तो अब तो शहर बढ़ता चला जा रहा है, कितना दूर जाएंगे, कितना transportation का खर्चा होंगा? लेकिन हमारी कोशिश है waste to wealth. Waste में से wealth create करना। पहली बार देश में, urban bodies में से जो कूड़ा-कचरा निकलेगा, उसमें से compost fertilizer बनाना और पहली बार compost fertilizer हमारे किसान खरीदे, उसके लिए जैसे यूरिया में सब्सिडी दी जाती थी वैसे अब भारत सरकार ने compost fertilizer में भी सब्सिडी देने का निर्णय किया है।
- हम हर व्यक्ति को परिवार को मकान देना चाहते हैं। शहरों में झुग्गी-झोपड़ी को पुणे ने project लिया है। झुग्गी झोपड़ी को Housing Scheme में convert करके उनको मकान देने का। आप देखिए जीवन बदल जाता है। मकान मिलते ही सिर्फ चार दीवारें नहीं मिलती, छत नहीं मिलती, जिंदगी की नई सोच मिल जाती है। उसके भीतर एक expression पैदा होता है और आखिरकार प्रगति का कोई अगर सबसे बड़ी ताकत है, तो योजनाएं नहीं होती हैं सवा सौ करोड़ देशवासियों का expression होता है जो गति लाता है, लक्ष्य की पूर्ति का कारण बनता है और देश एक विशालता और भव्यता की ओर आगे बढ़ करके अपने आप का डंका बजाता है।
- यह competition का युग है। मैं सभी शहरों को निमंत्रित करता हूं। यह चुनौती है। देश के सभी शहर और सिर्फ उसकी elected body या उसके मुलाजिम नहीं, उस शहर का नागरिक उस चुनौती को स्वीकार करे। चाहे स्वच्छता की स्पर्धा होगी, चाहे Smart City में entry पानी होगी, शहर को Smart बनाकर रहना होगा। यह जन भागीदारी से होगा, जन संकल्प से होगा।
- आज देश के लोगों को बदलाव चाहिए। बदलाव में वो शरीक होना चाहते हैं, जुड़ना चाहते हैं। यह smart city उसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है। कुछ लोगों को smart शब्द सुनते ही बड़ा परेशानी हो रही है। कोई ऐसा करने जा रहे हैं जो कभी सोचा, ऐसा नहीं है जी। मेरी smart की कल्पना बड़ी simple है जी लोगों को पीने का पानी sufficient मिले। बिजली सबको मिले, समान रूप से मिले। लोक सुविधा की आवश्यकता को आधुनिक ढांचे से परिपूर्ण करना है। यह प्रयास है और जैसा मैंने कहा एक ऐसी आर्थिक गतिविधि का केंद्र बने। Development Environment friendly हो, Green हो। गरीबी को पचाने की ताकत जितनी ज्यादा बढ़े, उतना शहर का विकास सही दिशा में है। वो जितनी गरीबी को पचा पाए, अपने आप economy आगे बढ़ेगी।
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