- मैं बोडो लैंड मूवमेंट का हिस्सा रहे सभी लोगों का राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने पर बहुत-बहुत स्वागत करता हूं।
- पाँच दशक बाद पूरे सौहार्द के साथ बोडो लैंड मूवमेंट से जुड़े हर साथी की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को सम्मान मिला है। हर पक्ष ने मिलकर स्थायी शांति के लिए समृद्धि और विकास के लिए हिंसा के सिलसिले पर पूर्णविराम लगाया है।
- मैं आप सबको अभिनंदन देना चाहता हूं कि अब इस आंदोलन से जुड़ी प्रत्येक मांग समाप्त हो गई है। अब उसे पूर्णविराम मिल चुका है। 1993 में जो समझौता हुआ था, 2003 में जो समझौता हुआ था, उसके बाद पूरी तरह शांति स्थापित नहीं हो पाई थी।
- अब केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस ऐतिहासिक अकॉर्ड पर सहमति जताई है, जिस पर साइन किया है, उसके बाद अब कोई मांग नहीं बची है और अब विकास ही पहली प्राथमिकता है और आखिरी भी वही है।
- मुझ पर भरोसा करना मैं आपका, आपके दुख-दर्द, आपके आशा-अरमान, आपकी आंकाक्षाएं, आपके बच्चों का उज्ज्वल भविष्य मुझसे जो सकेगा उसको करने में, मैं कभी पीछे नहीं हटूंगा।
- क्योंकि मैं जानता हूं बंदूक छोड़ करके, बम और पिस्तौल का रास्ता छोड़ करके जब आप लौट कर आए हैं, कैसी परिस्थितियों में आप आए होंगे ये मैं जानता हूं। अंदाज लगा सकता हूं और इसलिए इस शांति के रास्ते पर एक कांटा भी अगर आपको चुभ न जाए इसकी चिंता मैं करूंगा।
- क्योंकि ये शांति का रास्ता एक प्रेम का आदर का रास्ता, ये अहिंसा का रास्ता आप देखना पूरा आसाम आपके दिलों को जीत लेगा। पूरा हिंदुस्तान आपके दिलों को जीत लेगा। क्योंकि आपने रास्ता सही चुना है।
- इस क्षेत्र को 1500 करोड़ रुपए का स्पेशल डेवलपमेंट पैकेज मिलेगा, जिसका बहुत बड़ा लाभ कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ि जैसे जिलों को भी मिलेगा।
- इसका सीधा मतलब कि है बोडो जनजाति के हर अधिकार का बोडो संस्कृति का विकास सुनिश्चित होगा, संरक्षण सुनिश्चित होगा।
- मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि इस मामले से जुड़ी कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार और त्वरित गति से कार्रवाई करेगी। हम लटकाने-भटकाने वाले लोग नहीं हैं।
- दशकों से देश में ऐसे ही चल रहा था। नॉर्थ ईस्ट का विषय तो ऐसा माना जाता था जिसे कोई हाथ लगाने के लिए भी तैयार नहीं था। आंदोलन हो रहे हैं, होने दो, ब्लॉकेड हो रहे हैं, होने दो, हिंसा हो रही है, किसी तरह काबू में कर लो, बस यही अप्रोच नॉर्थ ईस्ट के विषय में था।
- नॉर्थ ईस्ट में हजारों निर्दोष मारे गए, हजारों सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, लाखों बेघर हुए, लाखों कभी ये देख ही नहीं पाए कि विकास का मतलब क्या होता है।
- ये सच्चाई, पहले की सरकारें भी जानती थीं, समझती थीं, स्वीकार भी करती थीं लेकिन इस स्थिति में बदलाव कैसे हो, इस बारे में बहुत मेहनत कभी नहीं की गई। इतने बड़े झंझट में कौन हाथ लगाए, जैसे चल रहा है चलने दो, यही सोचकर लोग रह जाते थे।
- जब राष्ट्रहित ही सर्वोपरि हो तो फिर परिस्थितियों को ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता था। नॉर्थ ईस्ट का पूरा विषय संवेदनशील था इसलिए हमने नई अप्रोच के साथ काम करना शुरू किया।
- 13वें वित्त आयोग के दौरान नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्यों को मिलाकर 90 हजार करोड़ रुपए से भी कम मिलते थे। चौदहवें वित्त आयोग में हमारे आने के बाद ये बढ़कर लगभग 3 लाख करोड़ रुपए मिलना तय हुआ है।
