Home » Salient points of PM Modi’s address in eleventh Inter-State Council Meeting at New Delhi
- भारत जैसे बड़े और विविधता से भरे हुए लोकतंत्र में Debate यानि वाद-विवाद, Deliberation यानि विवेचना और Discussion यानि विचार-विमर्श से ही ऐसी नीतियां बन सकती हैं जो जमीनी सच्चाई का ध्यान रखती हों। ये तीनों बातें, नीतियों को प्रभावी तरीके से अमल में लाने में भी मदद करती हैं। इंटर स्टेट काउंसिल एक ऐसा मंच है जिसका इस्तेमाल नीतियों को बनाने और उन्हें लागू करने में किया जा सकता है। इसलिए लोकतंत्र, समाज और हमारी राज्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए, इस मंच का प्रभावी उपयोग किया जाना चाहिए ।
- देश का विकास तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकारें कंधे से कंधा मिलाकर चलें। किसी भी सरकार के लिए मुश्किल होगा कि वो सिर्फ अपने दम पर कोई योजना को कामयाब कर सके। इसलिए जिम्मेदारियों के साथ ही वित्तीय संसाधनों की भी अपनी अहमियत है। 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं की स्वीकृति के साथ केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दी गई है। यानि अब राज्यों के पास ज्यादा राशि आ रही है जिसका उपयोग वो अपनी जरूरत के हिसाब से कर रहे हैं। मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि पिछले वर्ष 2015-16 में राज्यों को केंद्र से जो रकम मिली है, वो वर्ष 2014-15 की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह पंचायतों और स्थानीय निकायों को 14वें वित्त आयोग की अवधि में 2 लाख 87 हजार करोड़ रुपए की रकम मिलेगी जो पिछली बार से काफी अधिक है।
- प्राकृतिक संसाधनों से होने वाली कमाई में भी राज्यों के अधिकारों का ध्यान रखा जा रहा है। कोयला खदानों की नीलामी से राज्यों को आने वाले सालों में 3 लाख 35 हजार करोड़ रुपए की रकम मिलेगी। कोयले के अलावा भी दूसरे खनन से राज्यों को 18 हजार करोड़ रुपए की रकम मिलेगी। इसी तरह CAMPA कानून में बदलाव के जरिए बैंक में रखे हुए करीब 40 हजार करोड़ रुपए को भी राज्यों को देने का प्रयास किया जा रहा है।
- इंटर स्टेट काउंसिल Centre-State Relations के साथ ही उन विषयों पर भी चर्चा का मंच है जो देश की बड़ी आबादी से जुड़े हुए हैं। कैसे नीति-निर्धारण के स्तर पर इन मुद्दों को सुलझाने के लिए एक राय बनाई जा सकती है, कैसे एक दूसरे से परस्पर जुड़े विषयों को सुलझाया जा सकता है।
- आज की तारीख में साधारण सा आधार कार्ड, लोगों के सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है। सरकारी मदद या सब्सिडी पर जिस व्यक्ति का अधिकार है, अब उसे ही इसका फायदा मिल रहा है, पैसा सीधे उसी के खाते में जा रहा है। इससे पारदर्शिता तो आई ही है, हजारों करोड़ रुपए की बचत हो रही है जिसे विकास के काम पर खर्च किया जा रहा है।
- मित्रों, बाबा साहेब अम्बेडकर ने लिखा था कि- “भारत जैसे देश में सामाजिक सुधार का मार्ग उतना ही मुश्किल है, उतनी ही अड़चनों से भरा हुआ है जितना स्वर्ग जाने का मार्ग। जब आप सामाजिक सुधार की सोचते हैं तो आपको दोस्त कम, आलोचक ज्यादा मिलते हैं” । आज भी उनकी लिखी बातें, उतनी ही प्रासंगिक है। इसलिए आलोचनाओं से बचते हुए, हमें एक दूसरे के साथ सहयोग करते हुए, सामाजिक सुधार की योजनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर देना होगा। इनमें से बहुत सी योजनाओं की रूप-रेखा, नीति आयोग में मुख्यमंत्रियों के ही सब-ग्रुप ने तैयार की है।
- इंटर स्टेट काउंसिल में जिस एक और अहम विषय पर चर्चा होनी है, वह है शिक्षा । भारत की सबसे बड़ी ताकत हमारे नौजवान ही हैं। 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे अभी स्कूल जाने वाली उम्र में हैं। इसलिए हमारे देश में आने वाले कई सालों तक दुनिया को Skilled Manpower देने की क्षमता है। केंद्र और राज्यों को मिलकर बच्चों को शिक्षा का ऐसा माहौल देना होगा जिसमें वे आज की जरूरत के हिसाब से खुद को तैयार कर सकें, अपने हुनर का विकास कर सकें।
- पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के शब्दों में कहें तो- शिक्षा एक निवेश है। हम पेड़-पौधों को लगाते समय उनसे कोई फीस नहीं लेते। हमें पता होता है कि यही पेड़-पौधे आगे जाकर हमें ऑक्सीजन देंगे, पर्यावरण की मदद करेंगे। उसी तरह शिक्षा भी एक निवेश है जिसका लाभ समाज को होता है।
- 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में, जिस तरह की कुशलता और योग्यता की आवश्यकता है, उसमें हम सभी का दायित्व है कि नौजवानों के पास कोई न कोई Skill जरूर हो। हमें नौजवानों को ऐसा बनाना होगा कि वे Logic के साथ सोचें, Out of the box सोचें और अपने काम में Creative दिखें।
- देश की आंतरिक सुरक्षा को तब तक मजबूत नहीं किया जा सकता, जब तक Intelligence Sharing पर फोकस ना हो, एजेंसियों में अधिक तालमेल ना हो, हमारी पुलिस आधुनिक सोच और तकनीक से लैस ना हो। हमने इस मोर्चे पर काफी लंबा रास्ता तय किया है लेकिन हमें लगातार अपनी कार्य-कुशलता और क्षमता को बढ़ाते चलना है। हमें हर समय Alert और Updated रहना है।
- जितना ही हम अहम विषयों पर एक राय बनाने में कामयाब होंगे, उतना ही मुश्किलों को पार करना आसान होगा। इस प्रक्रिया में हम न सिर्फ Cooperative Federalism की spirit और केंद्र-राज्य रिश्तों को मजबूत करेंगे बल्कि देश के नागरिकों के बेहतर भविष्य को भी सुनिश्चित करेंगे।
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