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Why “Stand Up India” focuses on Dalits, Tribals and Women Entrepreneurs:
हमने एक योजना बनाई। योजना यह बनाई कि हमारे जो आदिवासी भाई-बहन है, हमारे जो दलित भाई-बहन है, वे कब तक नौकरी का इंतजार करते रहेंगे और सरकार भी कितनों को नौकरी दे पाएगी और अगर यही स्थिति रही तो समाज के दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, इन मेरे भाइयों का क्या होगा, उन नौजवानों का क्या होगा? मेरा यह विश्वास है कि परमात्मा ने जो शक्ति और सामर्थ्य, जो समझ और हुनर ईश्वर ने हमें दिया है, वैसा ही मेरे इन दलित परिवारों को भी दिया है और मेरे आदिवासी परिवारों को भी दिया है। लेकिन हम लोग वो है जिन्हें अवसर मिला, वो लोग हैं जिन्हें अवसर नहीं मिला। अगर अवसर मिलने पर हम कुछ कर सकते हैं, तो अवसर मिलने पर मेरे दलित और आदिवासी भाई-बहन भी उतना ही उत्तम काम कर सकते हैं और देश को बहुत योगदान दे सकते हैं। और इसलिए, जीवन के हर क्षेत्र में समाज के आखिरी छोर पर बैठा हुआ जो व्यक्ति है, उसको आगे आने का अवसर मिलना चाहिए। उसको किसी की कृपा पर जीने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए। अगर वो अपने पुरुषार्थ से, अपने परिश्रम से, साहस करने को तैयार है, बुद्धि है, क्षमता है। अगर थोड़ी-सी भी सुविधा हो जाए तो वो एक नई, भव्य, स्वप्नों को साकार करने वाली अपनी जिन्दगी को आगे बढ़ा सकता है और उसी एक विचार में से ये ‘Stand Up India’ की कल्पना आई।
Our plan of action on “Stand Up India”:
हमारी इस योजना के तहत सवा लाख बैंक जब पैसे देंगे तो सवा लाख स्थानों पर कोई न कोई उपक्रम शुरू होगा और ढाई लाख लोगों के द्वारा ढाई लाख उपक्रम शुरू होंगे। एक जिले में, एक जगह पर, एक जहां प्रगति हो रही है वहीं नहीं, एक फैला हुआ काम और इसलिए हर ब्रांच को कहा है कि आपकी जिम्मेवारी होगी कि आपकी ब्रांच जिस इलाके में है, उस इलाके के किसी नौजवान, जो कि दलित हो, या आदिवासी हो और एक महिला, दो लोगों को आपको लोन देना होगा और उनको नया उद्योग, नया व्यवसाय करने के लिए मदद करनी होगी। आप कल्पना कर सकते हैं कि आज जो Job seeker है, वो Job creator बन जाएगा। जो आज नौकरी तलाशता है, वो नौकरी देने वाला बन जाएगा। अगर ऐसे ढाई लाख यूनिट शुरू होते हैं, कोई एक को रोजगार दे, कोई दो को दे, कोई पाँच को दे, हमारे देश के नौजवानों के लिए एक रोजगार का नया अवसर प्राप्त होगा।
Difference between “MUDRA Yojana” & “Stand Up India Yojana”:
यह जो ‘Stand Up’ योजना है। मुद्रा योजना और ‘Stand Up’ योजना में एक बहुत बड़ा फर्क है। मुद्रा योजना में भी गारंटी के बिना उद्योगकार बैंक से, कुछ आगे बढ़ना है, तो पैसे ले सकता है। अख़बार बेचने वाला, कमाना है तो ले सकता है पैसे। चाय बेचने वाला हो, चना बेचने वाला हुआ, धोबी हो, नाई हो, छोटे-छोटे लोग जिनको बेचारे को पैसे बड़ी ब्याज से लेने पड़ते हैं। साहूकार लोग उनको लूट लेते हैं। वो एक बार पैसे लेता है तो ब्याज देने के चक्कर से बाहर ही नहीं आता है। जीवनभर वो कर्जदार रहता है और देश में 6 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे कुछ न कुछ काम करते हैं जो देश की आर्थिक गतिविधि को चलाते हैं। छोटे-छोटे लोग हैं, छोटे दुकानदार हैं। किसी को पाँच हजार चाहिए, किसी को दस हजार चाहिए, किसी को पचास हजार चाहिए। बैंक के दरवाजे उनके लिए बंद थे और ये इतने गरीब थे कि कोई उनके लिए गारंटी नहीं देता था। हमने मुद्रा योजना के तहत बिना कोई गारंटी ऐसे लोगों को लोन मुहैया कराया। लेकिन मुद्रा में 10 लाख रुपए तक की रकम मिलती है।
यह जो दलित परिवारों के लिए योजना बनाई है, आदिवासी परिवारों के लिए योजना बनाई है, महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए जो योजना बनाई है, उसके तहत 10 लाख से लेकर के एक करोड़ रुपए तक की राशि बैंक उनको देगी और उस ब्रांच के इलाके में होगा ताकि हिन्दुस्तान में एक लाख रुपए से अधिक जगह पर कोई न कोई नया काम शुरू होगा। अकेला उत्तर प्रदेश में हो, अकेला दिल्ली में हो, अकेला जयपुर, मुम्बई, अहमदाबाद में हो, नहीं। छोटे-छोटे स्थान पर काम शुरू होना चाहिए। इस देश को आगे बढ़ाना है और इसलिए बैंक की ब्रांच को . . कोई एक बैंक, उसकी सौ ब्रांच है और बैंक दो सौ लोगों को एक जगह पर दे दे, वो हमें मंजूर नहीं है। अगर सौ ब्रांच है तो जहां ब्रांच होगी, वहीं पर उनको देना होगा, ताकि उस पिछड़े इलाके का भी विकास हो। इस योजना के तहत यह किया गया है।
Distribution of 5100 E-Rickshaw:
पाँच हजार से ज्यादा, 5100 ई-रिक्शा आज देने का कार्यक्रम हो रहा है। अब ये अपनी ई-रिक्शा के मालिक बन जाएंगे, जो कल तक किराये की रिक्शा पर गुजारा करते थे। योजना ऐसी बनी है कि दिन भर की कमाई में से, थोड़े पैसे डालकर के वो उसके मालिक बन जाएंगे। दूसरा, ई-रिक्शा होने के कारण शरीर को जो मजदूरी करनी पड़ती थी वो कम हो जाएगी। दिन में ज्यादा सफर कर पाएंगे, ज्यादा काम कर पाएंगे।