- Mahamana’s Vision:मैं भारत रत्न महामना जी के चरणों में वंदन करता हूं कि 100 वर्ष पूर्व जिस बीज उन्होंने बोया था वो आज इतना बड़ा विराट, ज्ञान का, विज्ञान का, प्रेरणा का एक वृक्ष बन गया। 100 साल पहले महामना जी के इस कार्य को देखें तो पता चलता है कि दीर्घदृष्टा किसे कहते हैं, visionary किसे कहते हैं। गुलामी के उस कालखंड में राष्ट्र के भावी सपनों को हृदयस्थ करना और सिर्फ यह देश कैसा हो, आजाद हिंदुस्तान का रूप-रंग क्या हो, यह सिर्फ सपने नहीं है लेकिन उन सपनों को पूरा करने के लिए सबसे प्राथमिक आवश्यकता क्या हो सकती है? और वो है उन सपनों को साकार करे, ऐसे जैसे मानव समुदाय को तैयार करना है। ऐसे सामर्थ्यवान, ऐसे समर्पित मानवों की श्रृंखला, शिक्षा और संस्कार के माध्यम से ही हो सकती है और उस बात की पूर्ति को करने के लिए महामना जी ने यह विश्वविद्यालय का सपना देखा। महामना जी उन महापुरुषों को तैयार करना चाहते थे कि वे भारत की महान परंपराओं को संजोए हुए, राष्ट्र के निर्माण में भारत की आजादी के लिए योग्य, सामर्थ्य के साथ खड़े रहे और ज्ञान के अधिष्ठान पर खड़े रहें। संस्कारों की सरिता को लेकर के आगे बढ़े, यह सपना महामना जी ने देखा था।
Convocation ceremony is not the end of study but starting of a new phase in life:
यह दीक्षांत समारोह है, हम यह कभी भी मन में न लाएं कि यह शिक्षांत समारोह है। कभी-कभी तो मुझे लगता है दीक्षांत समारोह सही अर्थ में शिक्षा के आरंभ का समारोह होना चाहिए। यह शिक्षा के अंत का समारोह नहीं है और यही दीक्षांत समारोह का सबसे बड़ा संदेश होता है कि हमें अगर जिन्दगी में सफलता पानी है, हमें अगर जिन्दगी में बदलते युग के साथ अपने आप को समकक्ष बनाए रखना है तो उसकी पहली शर्त होती है – हमारे भीतर का जो विद्यार्थी है वो कभी मुरझा नहीं जाना चाहिए, वो कभी मरना नहीं चाहिए। दुनिया में वो ही इस विशाल जगत को, इस विशाल व्यवस्था को अनगिनत आयामों को पा सकता है, कुछ मात्रा में पा सकता है जो जीवन के अंत काल तक विद्यार्थी रहने की कोशिश करता है, उसके भीतर का विद्यार्थी जिन्दा रहता है। आप सब को पता होगा कि हमारे देश में शिक्षा के बाद दीक्षा, यह परंपरा हजारों साल पुरानी है और सबसे पहले तैतृक उपनिषद में इसका उल्लेख है, जिसमें दीक्षांत का पहला अवसर रेखांकित किया गया है। तब से भारत में यह दीक्षांत की परंपरा चल रही है और आज भी यह दीक्षांत समारोह एक नई प्रेरणा का अवसर बन जाता है।
The Student in yourself should never die, always focus on innovation:
जीवन में आप बहुत कुछ कर पाएंगे, बहुत कुछ करेंगे, लेकिन जैसा मैंने कहा, आपके भीतर का विद्यार्थी कभी मरना नहीं चाहिए, मुरझाना नहीं चाहिए। जिज्ञासा, वो विकास की जड़ों को मजबूत करती है। अगर जिज्ञासा खत्म हो जाती है तो जीवन में ठहराव आ जाता है। उम्र कितनी ही क्यों न हो, बुढ़ापा निश्चित लिख लीजिए वो हो जाता है और इसलिए हर पल, नित्य, नूतन जीवन कैसा हो, हर पल भीतर नई चेतना कैसे प्रकट हो, हर पल नया करने का उमंग वैसा ही हो जैसा 20 साल पहले कोई नई चीज करने के समय हुआ था। तब जाकर के देखिए जिन्दगी जीने का मजा कुछ और होता है। संकटों के सामने भी उसको झेलने का सामर्थ्य आना चाहिए और जो इसे पचा लेता है न, वो अपने जीवन में कभी विफल नहीं जाता है। लेकिन तत्कालिक चीजों से जो हिल जाता है, अंधेरा छा जाता है। उस समय यह ज्ञान का प्रकाश ही हमें रास्ता दिखाता है और इसलिए ये BHU की धरती से जो ज्ञान प्राप्त किया है वो जीवन के हर संकट के समय हमें राह दिखाने का, प्रकाश-पथ दिखाने का एक अवसर देता है।
Innovate new technologies to help farmers of this country:
हमारा उत्तर प्रदेश, गन्ना किसान परेशान रहता है लेकिन गन्ने के रास्ते इथनॉल बनाए, petroleum product के अंदर उसको जोड़ दे तो environment को फायदा होता है, मेरे गन्ना किसान को भी फायदा हो सकता है। मेरे BHU में यह खोज हो सकती है कि हम maximum इथनॉल का उपयोग कैसे करे, हम किस प्रकार से करे ताकि मेरे उत्तर प्रदेश के गन्ने किसान का भी भला हो, मेरे देश के पर्यावरण और मानवता के कल्याण का काम हो और मेरा जो vehicle चलाने वाला व्यक्ति हो, उसको भी कुछ महंगाई में सस्ताई मिल जाए। यह चीजें हैं जिसके innovation की जरूरत है। हम Solar energy पर अब काम कर रहे हैं। आज जो Solar energy के equipment हैं, उसकी कुछ सीमाएं हैं। क्या हम नए आविष्कार के द्वारा उसमें और अधिक फल मिले, और अधिक ऊर्जा मिले ऐसे नए आविष्कार कर सकते हैं क्या? मैं नौजवान साथियों को आज ये चुनौतियां देने आया हूं और मैं इस BHU की धरती से हिन्दुस्तान के और विश्व के युवकों को आह्वान करता हूं।
The way forward:
आइए, आने वाली शताब्दी में मानव जाति जिन संकटों से जूझने वाली है, उसके समाधान के रास्ते खोजने का, innovation के लिए आज हम खप जाए। दोस्तों, सपने बहुत बड़े देखने चाहिए। अपने लिए तो बहुत जीते हैं, सपनों के लिए मरने वाले बहुत कम होते हैं और जो अपने लिए नहीं, सपनों के लिए जीते हैं वही तो दुनिया में कुछ कर दिखाते हैं। जो नौजवान आज समाज जीवन की अपनी जिम्मेवारियों के कदम रखते हैं। बहुत बड़ी जिम्मेवारियों की ओर जा रहे हैं। दीवारों से छूटकर के पूरे आसमान के नीचे, पूरे विश्व के पास जब पहुंच रहे है तब, यहां से जो मिला है, जो अच्छाइयां है, जो आपके अंदर सामर्थ्य जगाती है, उसको हमेशा चेतन मन रखते हुए, जिन्दगी के हर कदम पर आप सफलता प्राप्त करे, यही मेरी आप सब को शुभकामनाएं हैं।