- ज्ञान और शिक्षा सिर्फ किताबी नहीं हो सकते हैं।
- शिक्षा का मकसद व्यक्ति के हर आयाम का संतुलित विकास करना है और संतुलित विकास Innovation के बिना संभव नहीं है।
- हमारे प्राचीन तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में ज्ञान के साथ INNOVATION पर भी ज़ोर दिया जाता था
- हमें एक और वास्तविकता को स्वीकार करना होगा कि आज दुनिया में कोई भी देश, समाज या व्यक्ति isolate होकर नहीं रह सकता।
- हमें ‘ग्लोबल सिटीजन और ग्लोबल विलेज’ के दर्शन पर सोचना ही होगा।
- और ये दर्शन तो हमारे संस्कारों में प्राचीन काल से ही मौजूद है
- उच्च शिक्षा हमें उच्च विचार, उच्च आचार, उच्च संस्कार और उच्च व्यवहार के साथ ही समाज की समस्याओं का उच्च समाधान भी उपलब्ध करती है।
- मेरा आग्रह है कि विद्यार्थियों को कालेज, यूनीविर्सिटी के क्लास रुम में तो ज्ञान दें हीं लेकिन उन्हें देश की आकांक्षाओं से भी जोड़ें
- इसी मार्ग पर चलते हुए केंद्र सरकार की भी यही कोशिश है कि हम हर स्तर पर देश की आवश्यकताओं में शिक्षण संस्थानों को भागीदार बनाएं।
- इसी विजन के साथ हमने अटल टिंकरिंग लैब की शुरुआत की है। इसमें स्कूली बच्चों में Innovation की प्रवृत्ति बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है
- हमारी सरकार शिक्षा जगत में निवेश पर भी ध्यान दे रही है।
- शिक्षा का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर बनाने के लिए RISE यानि Revitalisation of Infrastructure and Systems in Education कार्यक्रम शुरु किया गया है।
- इसके जरिए वर्ष 2022 तक एक लाख करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है
- सरकार ने HEFA- यानि HIGHER EDUCATION FUNDING AGENCY की स्थापना भी की है जो उच्च शिक्षण संस्थाओं के गठन में आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी।
- सरकार ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान का बजट भी बढ़ाने का निर्णय लिया है
- हमने IIM जैसे संस्थानों को स्वायत्ता देकर इसकी शुरुआत कर दी है।
- अब IIM को अपने कोर्स करिकुलम, टीचर अपाइंटमेंट, बोर्ड मेंबर अपाइंटमेंट, एक्सपेंशन, खुद तय करने की शक्ति मिल गई है।
- सरकार की इनमें अब कोई भूमिका नहीं होगी। भारत में उच्च शिक्षा से जुड़ा ये एक अभूतपूर्व फैसला है
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