साथियो, आयुष्मान भारत का ये पहला वर्ष संकल्प का रहा है, समर्पण का रहा है, सीख का रहा है। ये भारत की संकल्प शक्ति ही है कि दुनिया की सबसे बड़ी Health care scheme हम भारत में सफलता के साथ चला रहे हैं। और इस सफलता के पीछे समर्पण की भावना है, सद्भावना है।
ये समर्पण देश के हर राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश का है, ये समर्पण देश के हजारों सरकारी और निजी अस्पतालों का है, ये समर्पण हर कर्मचारी, हर medical practitioner, आयुष्मान मित्र, आशा वर्कर सामाजिक संगठनों, जन-प्रतिनिधियों, यानी सबका है।
भाइयो और बहनों, इसी समर्पण के कारण ही आज देश विश्वास से कह रहा है, गर्व से कह रहा है- साल एक-आयुष्मान अनेक।
देशभर के गरीब, 46 लाख गरीब परिवारों को बीमारी की निराशा से स्वस्थ जीवन की आशा जगाना, ये बहुत बड़ी सिद्धि है।
इस एक वर्ष में अगर किसी एक व्यक्ति की जमीन, घर, गहने या दूसरा कोई सामान बीमारी के खर्च में बिकने से बचा है, गिरवी रखने से बचा है; तो ये आयुष्मान भारत की बहुत बड़ी सफलता है।
साथियो, थोड़ी देर पहले ऐसे ही कुछ लाभार्थियों से मुझे बात करने का अवसर मिला। बीते एक वर्ष में, यहाँ तक कि चुनाव के दौरान भी मैंने देशभर में ऐसे तमाम साथियों से संवाद करने का लगातार प्रयास किया है।
उनसे बातचीत करने पर ये आपको अनुभव होता है कि आयुष्मान भारत ‘PMJAY’ गरीबों के जीवन में क्या परिवर्तन ला रही है। और एक प्रकार से पीएमजय अब गरीबों की जय बन गई है।
जब गरीब का बच्चा स्वस्थ होता है, जब घर-घर का एकमात्र कमाने वाला स्वस्थ होकर फिर काम पर निकलता है, तब आयुष्मान होने का अर्थ समझ में आता है। और इसलिए आयुष्मान भारत ‘PMJAY’ की सफलता के लिए समर्पण करने वाले, समर्पित हर व्यक्ति, हर संस्था के साथ देश के करोड़ों गरीबों की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ हैं। इस महान कार्य में जुटे हर साथी को मैं बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ, बधाई देता हूँ।
भाइयो और बहनों, संकल्प और समर्पण के साथ-साथ इस पहले वर्ष में हमने अनुभव से बहुत कुछ सीखा है।अभी यहाँ आने से पहले मैंने प्रदर्शनी के माध्यम से एक वर्ष की यात्रा को भी देखा है। कैसे समय के साथ हमने हर चुनौतियों को दूर किया है, तकनीकी रूप से निरंतर विस्तार किया है, हर stake holder से निरंतर संवाद बनाए रखा है, शंकाओं और आशंकाओं को दूर किया है। सीख का, संवाद का, सुधार काये सिलसिला आगे भी निरंतर चलता रहेगा।
साथियो, इस योजना की reach को, monitoring को कैसे प्रभावी बनाया जाए, लाभार्थियों के लिए कैसे इसको सुगम बनाया जाए, अस्पतालों की दिक्कतों को कैसे दूर किया जाए; इसको लेकर यहां दो दिन के दरम्यान विस्तार से चर्चा हुई है। क्वालिटी से लेकर capacity building तक, यहाँ खुलकर विचार रखे गए हैं। विशेषतौर पर universal health care यानी इस योजना का दायरा हर परिवार पर कैसे लागू हो, इसको लेकर देश के कुछ राज्यों ने जो अपने अनुभव साझा किए हैं, उन पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। ये हम सभी का दायित्व है कि हर गरीब के लिए, हर देशवासी के लिए मुश्किल समय में अस्पताल के दरवाजे खुले रहने चाहिए, बेहतर इलाज उपलब्ध होना चाहिए।
भाइयो और बहनों, आयुष्मान भारत New India केक्रांतिकारी कदमों में से एक है। सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि ये देश के सामान्य मानवी के, गरीब के जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभा रहा है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि ये भारत के रूप में 130 करोड़ लोगों के सामूहिक संकल्पों और सामर्थ्य का भी प्रतीक है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि हमारे देश में गरीब को सस्ती और बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के प्रयास पहले भी हुए हैं। हर राज्य, हर केंद्रशासित प्रदेश ने अपने सीमित स्तर पर हर संभव कोशिश की है।
राज्यों की तमाम सद्भावना के बावजूद न तो गरीबों को वो लाभ मिल पा रहा था, और नही medical infrastructure के क्षेत्र में कोई सुधार हो पा रहा था। लेकिन आयुष्मान भारत ने सिद्ध कर दिया कि जब भारत की सामूहिक ताकत अगर कहीं पर भी लग जाती है तो उसका लाभ और शक्ति बहुत व्यापक हो जाती है, विराट हो जाती है।
आयुष्मान भारत देश के किसी भी हिस्से के मरीज को देश के किसी भी कोने में लाभ सुनिश्चित करती है और जो पहले असंभव था। यही कारण है कि बीते एक वर्ष में करीब 50 हजार लाभार्थियों ने अपने राज्य के बाहर दूसरे राज्यों में इस योजना का लाभ लिया है, यानी अच्छे अस्पताल में माना।
भाइयो और बहनों, देश का कोई भी व्यक्ति इलाज के लिए अपने घर, अपने जिले, अपने राज्य से दूर नहीं जाना चाहता, ये कदम मजबूरी में ही उठाना पड़ता है। देश के हर नागरिक को घर के पास ही बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलें, इसके लिए हर राज्य प्रयास कर रहे हैं। ये भी सच है कि देश के उन हिस्सों में, जहाँ स्वास्थ्य सुविधाएँ बेहतर हैं, वहाँ दबाव जरा अधिक है, लेकिन ये हर भारतीय का दायित्व है कि देश का कोई नागरिक आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित नहीं रहना चाहिए। आयुष्मान भारत इसी भावना को मजबूत कर रही है।
साथियो, आयुष्मान भारत संपूर्ण भारत के लिए सामूहिक समाधान के साथ-साथ स्वस्थ भारत के समग्र समाधान की भी योजना है। सरकार की उस सोच का विस्तार है जिसके तहत हम भारत की समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए टुकड़ों में सोचने की बजाय समग्रता में काम कर रहे हैं।
कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र में Universal Health Care को लेकर एक कार्यक्रम हुआ था, जिसमें मुझे भारत की बात बताने का अवसर मिला। भारत में Health Care को लेकर जिस प्रकार holistic approach के साथ काम हो रहा है, जिस scale पर काम हो रहा है, और दुनिया के लिए एक अजूबा है, हैरान हैं दुनिया।
भाइयो और बहनों, संयुक्त राष्ट्र में मौजूद दुनियाभर के प्रतिनिधियों को मैंने बताया कि कैसे हम स्वस्थ भारत को चार मजबूत स्तंभों पर खड़ा कर रहे हैं। पहला- Preventive Health Care, दूसरा- Affordable Health Care,तीसरा-सप्लाई साइडका सुधार और चौथा-राष्ट्रीय पोषण अभियान जैसे Mission Mode Interventions का है।
पहले स्तंभ की अगर बात करें तो आज स्वच्छता, योग, आयुष, टीकाकरण और फिटनेस पर बल दिया जा रहा है, ताकि लाइफ लाइन से जुड़ी बीमारियाँ कम से कम हों।
इतना ही नहीं, पशुओं के कारण भी फैलने वाली बीमारियाँ मनुष्य को परेशान करती हैं। और इसलिए इस बार हमने एक मिशन मोड में काम उठाया है- पशुओं में Foot to Mouth जो disease हैं, उस बीमारी से हिन्दुस्तान को मुक्त करना। यानी पुशओं की भी चिंता, उसको भी हम भूले नहीं हैं।
मैंने वहाँ दूसरे स्तंभ की बात की। दूसरा स्तंभ यानी देश के सामान्य जन को उत्तम और सस्ता इलाज मिले, इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
भाइयो और बहनों, इन दो स्तंभों को आयुष्मान भारत योजना बहुत मजबूती दे रही है। चाहे वो देशभर में डेढ़ लाख से अधिक Health and Wellness Centre का निर्माण हो या फिर हर वर्ष पाँच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा, आयुष्मान भारत ही की भूमिका अहम है।
साथियो, आयुष्मान भारत हमारे तीसरे स्तंभ यानी सप्लाई साइडकी मजबूती भी ठोस आधार बना रही है। आयुष्मान भारत से देश में स्वास्थ्य सेवाओं की demand में बढ़ोत्तरी हो रही है।
अब वो गरीब मरीज भी अस्पताल पहुँच रहा है जो कभी इलाज के बारे में सोचता तक नहीं था। प्राइवेट अस्पतालों में तो इलाज की वो कल्पना तक नहीं कर सकता था। आज PM-JAY की सेवा देने वाले 18 हजार से अधिक अस्पतालों में से करीब 10 हजार, यानी ऐसे आधे से अधिक अस्पताल प्राइवेट सेक्टर में हैं। आने वाले समय में ये भागीदारी और बढ़ाने वाली है।
साथियो, जैसे-जैसे demand बढ़ रही है, वैसे-वैसे देश में छोटे शहरों में आधुनिक medical infrastructure का जाल बिछ रहा है। आने वाले समय में अनेक नए अस्पताल बनने वाले हैं। रोजगार के नए अवसर मिलने वाले हैं।
एक अनुमान के अनुसार आने वाले पांच-सात वर्षों में सिर्फ आयुष्मान भारत योजना से पैदा हुई demand के कारण ही करीब 11 लाख नए रोजगार निर्मित होंगे। ये कितना बड़ा आँकड़ा है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ रेलवे ही इससे रोजगार का ज्यादा निर्माण करता है।