Home » Salient Points of PM Narendra Modi’s speech delivered at foundation stone laying ceremony for Dr. B.R. Ambedkar National Memorial
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- कभी हम लोग बाबा साहब को बहुत अन्याय कर देते हैं जी। उनको दलितों का मसीहा बना करके तो घोर अन्याय करते है। बाबा साहब को ऐसे सीमित न करें। वे अमानवीय, हर घटना के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले महापुरूष थे। हर पीढ़ी, शोषित, कुचले, दबे, उनकी वो एक प्रखर आवाज़ थे। उनको भारत की सीमाओं में बांधना भी ठीक है। उनको ‘विश्व मानव’ के रूप में हमने देखना चाहिए। दुनिया जिस रूप से मार्टिन लूथर किंग को देखती है, हम बाबा अम्बेडकर साहब को उससे जरा भी कम नहीं देख सकते। अगर विश्व के दबे-कुचले लोगों की आवाज़ मार्टिन लूथर किंग बन सकते हैं, तो आज विश्व के दबे कुचले लोगों की आवाज़ बाबा साहब अम्बेडकर बन सकते हैं। और इसलिए मानवता में जिस-जिस का विश्वास है उन सबके लिए ये बहुत आवश्यक है कि बाबा साहेब मानवीय मूल्यों के रखवाले थे।
- हमें संविधान में जो कुछ मिला है, वो जाति विशेष के कारण नहीं मिला है। अन्याय की परंपराओं को नष्ट करने का एक उत्तम प्रयास के रूप में हुआ है। कभी इतिहास के झरोखे से मैं देखूं तो मैं दो महापुरूषों को विशेष रूप से देखना चाहूंगा, एक सरदार वल्लभ भाई पटेल और दूसरे बाबा साहब अम्बेडकर।
- बाबा साहब अम्बेडकर ने राजनीतिक-संवैधानिक व्यव्स्था के माध्यम से सामाजिक एकीकरण का बीड़ा उठाया, जो काम राजनीतिक एकीकरण का सरदार पटेल ने किया था, वो काम सामाजिक एकीकरण का बाबा साहब अम्बेडकर जी के द्वारा हुआ।
- हमारे देश में मजदूरी, सिर्फ दलित ही मजदूर थे ऐसा नहीं, जो भी मजदूर थे, बाबा साहेब उन सबके मसीहा थे। आज भी हिन्दुस्तान में जो labour laws है, उसकी अगर मुख्य कोई foundation है, वो foundation के रचियता बाबा साहेब अम्बेडकर थे।
- आप हिन्दुस्तान के 50 प्रमुख नेताओं को ले लीजिए, जिनको देश के निर्णय करने की प्रकिया में हिस्सा लेने का अवसर मिला है, वो कौन से निर्णय है, जिन निर्णयों ने हिन्दुस्तान को एक शताब्दी तक प्रभावित किया। पूरी 20वीं शताब्दी में जो विचार, जो निर्णय, देश पर प्रभावी रहे, जो आज 21वीं सदी के प्रारंभ में भी उतनी ही ताकत से काम कर रहे हैं। अगर आप किस-किस के कितने निर्णय, इसका अगर खाका बनाओगे, तो मैं मानता हूं कि बाबा साहेब अम्बेडकर नम्बर एक पर रहेंगे, कि जिनके द्वारा सोची गई बातें, जिनके द्वारा किए गए निर्णय आज भी relevant हैं।
- बीमारियों का पता बहुतों को होता है, बीमारी से मुक्ति के लिए छोटे-मोटे प्रयास करने वाले भी कुछ लोग होते हैं लेकिन एक स्थाई समाधान, अगर किसी ने दिया तो बाबा साहेब ने दिया, वो क्या? उन्होंने समाज को एक ही बात कही कि भाई शिक्षित बनो, शिक्षित बनो, ये सारी समस्याओं का समाधान शिक्षा में है। और एक बार अगर आप शिक्षित होंगे, तो दुनिया के सामने आप आंख से आंख मिला करके बात कर पाओगे, कोई आपको नीचा नहीं देख सकता, कोई आपको अछूत नहीं कह सकता। ये, ये जो Inner Power देने का प्रयास, ये Inner Power था। उन्होंने बाहरी ताकतें नहीं दी थीं, आपकी आंतरिक ऊर्जा को जगाने के लिए उन्होंने रास्ता दिखाया था। दूसरा मंत्र दिया, संगठित बनो और तीसरा बात बताया मानवता के पक्ष में संघर्ष करो, अमानवीय चीजों के खिलाफ आवाज उठाओ। ये तीन मंत्र आज भी हमें प्रेरणा देते रहे हैं, हमें शक्ति देते रहे हैं। और इसलिए हम जब बाबा साहेब अम्बेडकर की बात करते हैं तब, हमारा दायित्व भी तो बनता है और दायित्व बनता है, बाबा साहेब के रास्ते पर चलने का। और उसकी शुरुआत आखिरी मंत्र से नहीं होती है, पहले मंत्र से होती है। वरना कुछ लोगों को आखिरी वाला ज्यादा पसंद आता है, संघर्ष करो। पहले वाला मंत्र है शिक्षित बनो, दूसरे वाला मंत्र है संगठित बनो। आखिर में जरूरत ही नहीं पड़ेगी, वो नौबत ही नहीं आयेगी। क्योंकि अपने आप में इतनी बड़ी ताकत होगी कि दुनिया को स्वीकार करना होगा। और बाबा साहेब ने जो कहा, वो जी करके दिखाया था।
- कभी-कभार हमारे देश में बाबा साहेब अम्बेडकर ने जिस भावना से जिन कामों को किया, वो पूर्णतया पवित्र राष्ट्र निष्ठा थी, समाज निष्ठा थी। राज निष्ठा की प्रेरणा से बाबा साहेब अम्बेडकर ने कभी कोई काम नहीं किया। राष्ट्र निष्ठा और समाज निष्ठा से किया और इसलिए हमने भी हमारी हर सोच हमारे हर निर्णय को इस तराजू से तौलने का बाबा अम्बेडकर साहब ने हमें रास्ता दिखाया है कि राष्ट्र निष्ठा के तराजू से तोला जाए, समाज निष्ठा के तराजू से तोला जाए, और तब जा करके वो हमारा निर्णय, हमारी दिशा, सही सिद्ध होगी।
- मुझे बराबर याद है, जब वाजपेयी जी की सरकार बनी तो चारों तरफ हो-हल्ला मचा था अब ये भाजपा वाले आ गए हैं, अब आपका आरक्षण जाएगा। जो लोग पुराने हैं उनको याद होगा। वाजपेयी जी की सरकार के समय ऐसा तूफान चलाया, गांव-गांव, घर-घर, ऐसा माहौल बना दिया जैसे बस चला ही जाएगा। वाजपेयी जी की सरकार रही, दो-टंब रही लेकिन खरोंच तक नहीं आने दी थी। फिर भी झूठ चलाया गया।
- मध्यप्रदेश में सालों से भारतीय जनता पार्टी राज कर रही है, गुजरात में, महाराष्ट्र में, पंजाब में, हरियाणा में, उत्तर प्रदेश में, अनेक राज्यों में, हम जिन विचार को लेकर के निकले है, उस विचार वालों को सरकार चलाने का अवसर मिला, दो-तिहाई बहुमत से अवसर मिला, लेकिन कभी भी दलित, पीडि़त, शोषित, tribal, उनके आरक्षण को खरोंच तक नहीं आने दी है। फिर भी झूठ चलाया जा रहा है, क्यों? बाबा साहेब अम्बेडकर ने जो राष्ट्र निष्ठा और समाज निष्ठा के आधार पर देश को चलाने की प्रेरणा दी थी, उससे हट करके सिर्फ राजनीति करने वाले लोग हैं, वो इससे बाहर नहीं निकल पाते हैं, इसलिए से बातों को झूठे रूप में लोगों को भ्रमित करने के लिए चला रहे हैं और इसलिए मैं, मैं जब Indu Mills के कार्यक्रम के लिए गया था, चैत्य भूमि के पुनर्निर्माण के शिलान्यास के लिए गया था, उस समय मैंने कहा था खुद बाबा साहेब अम्बकेडकर भी आ करके, आपका ये हक नहीं छीन सकते हैं। बाबा साहेब के सामने हम तो क्या चीज हैं, कुछ नहीं हैं जी। उस महापुरुष के सामने हम कुछ नहीं हैं। और इसलिए ये जो भ्रम फैलाए जा रहे हैं, उनकी राजनीति चलती होगी, लेकिन समाज में इसके कारण दरारें पैदा होती हैं, तनाव पैदा होते हैं और समाज को दुर्बल बना करके, हम राष्ट्र को कभी सबल नहीं बना सकते हैं, इस बात को हम लोगों ने जिम्मेवारी के साथ समझना होगा।
- बाबा साहेब अम्बेडकर ने अपने आर्थिक चिंतन में एक बात साफ कही थी, वो इस बात को लगातार थे कि भारत का औद्योगिकरण बहुत अनिवार्य है। Industrialisation, उस समय से वो सोचते थे, एक तरफ labour reforms करते थे, labour के हक के लिए लड़ाई लड़ते थे, लेकिन राष्ट्र के लिए औद्योगिकरण की वकालत करते थे। देखिए कितना बढि़या combination है। लेकिन आज क्या हाल है, जो labour की सोचता है वो उद्योग की सोचने को तैयार नहीं, जो उद्योग की सोचता है वो labour की सोचने को तैयार नहीं है। और वहीँ बाबा साहेब अम्बेडकर थे जो दोनों की सोचते थे, क्योंकि राष्ट्र निष्ठा की तराजू से तोलते थे। और इसलिए वो दोनों की सोचते थे, और उसी का परिणाम ये है कि बाबा साहेब औद्योगिकरण के पक्षकार थे और उनका बड़ा महत्वपूर्ण तर्क था, वो साफ कहते थे, कि मेरे देश के जो दलित, पीडि़त, शोषित हैं, उनके पास जमीन नहीं है और हम नहीं चाहते वो खेत मजदूर की तरह अपनी जिंदगी पूरी करें, हम चाहते हैं वो मुसीबतों से बाहर निकलें। औद्योगिकरण की जरूरत इसलिए है कि मेरे दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो जाएं, इसलिए औद्योगिकरण चाहिए। दलित, पीडि़त, शोषितों के पास जमीन नहीं है। खेती उसके नसीब में नहीं है। खेत मजदूर के नाते जिंदगी, क्या यही गुजारा करेगा क्या? और इसके लिए बाबा साहेब अम्बेडकर ने इन बातों को बल दिया। औद्योगिकरण को बल दिया।
- बाबा साहेब अम्बेडकर के लिए सवर्ण भी उनके थे और हमारे दलित, पीडि़त, शोषित भी, दोनों ही उनके लिए बराबर थे, और इसलिए बदले का नामो-निशान नहीं था, कटुता का नामो-निशान नहीं था। बदले के भाव को जन्म न देने का और समाज को साथ ले के चलने की प्रेरणा देने वाला प्रयास बाबा साहेब अम्बेडकर की हर बात में झलकता है और ये देश, सवा सौ करोड़ का देश बाबा साहेब अम्बेडकर का हमेशा-हमेशा ऋणी रहेगा, जिसने देश की एकता के लिए अपने जुल्मों को दबा दिया, गाढ़ दिया। भविष्य भारत का देखा और बदले की भावना के बिना समाज को एक करने की दिशा में प्रयास किया है।
- राजनीतिक कारणों से इस महापुरुष के योगदान को अगर सही रूप में उनके जीवनकाल से ले करके अब तक अगर हमने प्रस्तुत किया होता तो आज भी समाज में कहीं-कहीं-कहीं तनाव नजर आता है, कभी-कभी टकराव नजर आता है, कभी-कभी खंरोच हो जाती है। मैं दावे से कहता हूं, अगर बाबा साहेब अम्बेडकर को हमने भुला न दिया होता, तो ये हाल न हुआ होता। अगर बाबा साहेब अम्बेडकर को फिर से एक बार हम उसी भाव के साथ, श्रद्धा के साथ जनसामान्य तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे तो ये जो कमियां हैं वो कमियां भी दूर हो जाएंगी, तो ताकत उस नाम में है, उस काम में है, उस समर्पण में है, उस त्याग में है, उस तपस्या में है, उस महान चीजें जो हमें दे करके गए हैं उसके अंदर पड़ा हुआ है और उसकी पूर्ति के लिए हम लोगों का प्रयास होना बहुत आवश्यक है।
- बाबा साहेब मानवता के पक्षकार थे। अमानवता की हर चीज को वो नकारते थे। उसका परिमार्जन का प्रयास करते थे और हर चीज संवैधानिक तरीके से करते थे। लोकतांत्रिक मर्यादाओं के साथ करते थे। बाबा साहेब के साथ क्या-क्या अन्याय किया, किस-किसने अन्याय किया, ये हम सब भली-भांति जानते हैं। हमारा संकल्प ये ही रहे दलित हो, पीडि़त हो, शोषित हो, जो गण वंचित हो, गरीब हो, आदिवासी हो, गांव में रहने वाला हो, झुग्गी-झोंपड़ी में जीने वाला हो, शिक्षा के अभाव में तरसने वाला हो, इन सबके लिए अगर कुछ काम करना है तो बाबा साहेब अम्बेडकर हमारे लिए सदा-सर्वदा एक प्रेरणा हैं और वो ही प्रेरणा हमें काम करने के लिए ताकत देती है।
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