- मैं राष्ट्रपति जी के प्रेरक उदबोधन पर आभार प्रस्ताव की चर्चा में शरीक होने के लिए और राष्ट्रपति जी का धन्यवाद करने के लिए कुछ बातें प्रस्तुत करुंगा।
- राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के 130 करोड़ नागरिकों की संकल्प शक्ति का परिचायक है। विकट और विपरित काल में भी यह देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर achieve करता हुआ आगे बढ़ता है।
- ये सारी बातें विस्तार से राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कही है। उनका एक एक शब्द देशवासियों में एक नया विश्वास पैदा करने वाला है और हर किसी के दिल में देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाने वाला है।
- इसलिए हम जितना उनका आभार व्यक्त करें उतना कम है। इस सदन में भी 15 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई है।
- रात को 12-12 बजे तक हमारे सभी माननीय सांसदों ने इस चेतना को जगाये रखा है। चर्चा को जीवन्त बनाया है, अधिक्षारपन किया है।
- इस चर्चा में भाग लेने वाले सभी माननीय सदस्यों का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। मैं विशेष रूप से हमारी महिला सांसदों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं।
- क्योंकि इस चर्चा में उनकी भागीदारी भी ज्यादा थी, विचारों की धार भी थी, Research करके बाते रखने का उनका प्रयास था और अपने आपको इस प्रकार से तैयार करके उन्होंने इस सदन को समृद्ध किया है।
- चर्चा को समृद्ध किया है और इसलिए उनकी ये तैयारी, उनके तर्क और उनके सूझबूझ इसके लिए मैं विशेष रूप से महिला सांसदों का अभिनन्दन करता हूं उनका आभार व्यक्त करता हूं।
- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, भारत आजादी के 75वे वर्ष में एक प्रकार से हम अभी दरवाजे पर दस्तक दे ही रहे हैं। 75 वर्ष का पड़ाव हर हिन्दुस्तानी के लिए गर्व का है और आगे बढ़ने के पर्व का भी है।
- इसलिए समाज व्यवस्था में हम कहीं पर भी हो, देश के किसी भी कोने में हो, सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था में हमारा स्थान कहीं पर भी हो लेकिन हम सबने मिलकर के आजादी के इस पर्व से एक नई प्रेरणा प्राप्त करके, नए संकल्प लेकर के 2047, जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा।
- हम उस 100 साल की भारत की आजादी की यात्रा के 25 साल हमारे सामने हैं। उन 25 साल को हमे देश को कहां ले जाना है, दुनियां में इस देश के मौजूदगी कहां करनी है ये संकल्प हर देशवासी के दिल में हो।
- ये वातावरण का काम इस परिसर का है, इस पवित्र धरती का है, इस पंचायत का है। आदरणीय अध्यक्ष जी, देश जब आजाद हुए और आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे वो यहां से जब गए तो आखिर में वो ये ही कहते रहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र कभी नहीं बना पाएगा।
- ये घोषणाएं हुई थी लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। जिनके मन में ये प्रकार के शक थे उसको समाप्त कर दिया और हम हमारी अपनी जिजीविक्षा, हमारी सांस्कृतिक एकता, हमारी परंपरा आज विश्व के सामने एक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं और विश्व के लिए आशा का किरण बनके के खड़े हुए हैं।