Home » PM’s inaugural address at the National Conference on Vigilance and Anti-Corruption
- नमस्कार! आज से vigilance awareness सप्ताह की भी शुरुआत हो रही है। कुछ ही दिनों में देश सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मजयंती मनाने की तैयारी कर रहा है।
- सरदार साहब ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के साथ ही देश के administrative systems के architect भी थे। देश के पहले गृहमंत्री के रूप में उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जो देश के सामान्य मानवी के लिए हो, जिसकी नीतियों में नैतिकता हो।
- लेकिन बाद के दशकों में हमने देखा कि कुछ अलग ही परिस्थितियां बनीं। आप सभी को याद होगा, हजारों करोड़ के घोटाले, शेल कंपनियाँ का जाल, टैक्स harassment, टैक्स चोरी, ये सब बरसों तक चर्चा के केन्द्र में रहा।
- साथियों, 2014 में जब देश ने एक बड़े परिवर्तन का फैसला लिया, जब देश एक नई दिशा में आगे बढ़ा, बहुत बड़ा challenge था इस माहौल को बदलना।
- क्या देश ऐसे ही चलेगा, देश में ऐसे ही होता रहेगा, इस सोच को बदलना। शपथग्रहण के बाद, इस सरकार के पहले 2-3 आदेशों में कालेधन के खिलाफ कमेटी बनाने का भी फैसला शामिल था।
- सुप्रीम कोर्ट के कहने के बावजूद इस कमेटी का गठन लटका हुआ था। इस फैसले ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का कमिटमेंट दिखा दिया।
- बीते वर्षों में देश इसी तरह corruption पर zero tolerance की approach के साथ आगे बढ़ा है। वर्ष 2014 से अब तक देश की प्रशासनिक व्यवस्थाओं में, बैंकिंग प्रणाली में, हेल्थ सेक्टर में, एजुकेशन सेक्टर में, लेबर, एग्रीकल्चर, हर सेक्टर में रिफॉर्म हुए।
- ये पूरा दौर बड़े सुधारों का रहा। इन सुधारों को आधार बनाकर आज भारत, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सफल बनाने में पूरी शक्ति से जुटा हुआ है।
- हमारा ध्येय है कि हम भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति वाले देशों में लेकर जाएं। लेकिन साथियों, विकास के लिए जरूरी है कि हमारी जो प्रशासनिक व्यवस्थाएं हैं वो transparent हों, responsible हों, accountable हों, जनता के प्रति जवाबदेह हों।
- इन सभी व्यवस्थाओं का सबसे बड़ा शत्रु भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार केवल कुछ रुपयों की ही बात नहीं होती।
- एक तरफ, भ्रष्टाचार से देश के विकास को ठेस पहुँचती है तो साथ ही भ्रष्टाचार, सामाजिक संतुलन को तहस-नहस कर देता है।
- और सबसे अहम, देश की व्यवस्था पर जो भरोसा होना चाहिए, एक अपनेपन का जो भाव होना चाहिए, भ्रष्टाचार उस भरोसे पर हमला करता है।
- और इसलिए, भ्रष्टाचार का डटकर मुकाबला करना सिर्फ एक एजेंसी या संस्था का दायित्व नहीं बल्कि इससे निपटना एक collective responsibility है।
- साथियों, इस कॉन्फ्रेंस में सीबीआई के साथ साथ अन्य एजेंसियां भी हिस्सा ले रही हैं। एक तरह से इन तीन दिनों तक लगभग वो सभी एजेंसियां एक प्लेटफ़ार्म पर रहेंगी जिनकी ‘सतर्क भारत समृद्ध भारत’ में बहुत बड़ी भूमिका है।
- ये तीन दिन हमारे लिए एक अवसर की तरह हैं। क्योंकि corruption अपने आप में एक stand-alone challenge नहीं है। जब देश का प्रश्न आता है तो vigilance का दायरा बहुत व्यापक होता है।
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