Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

PM’s address at the release of Hindi Version of Odisha Itihaas by Dr. Harekrushna Mahtab

  • साथियों, भर्तृहरि जी ने इस पुस्तक के विमोचन के अनुरोध के साथ ही मुझे एक प्रति भी वो आकर के देके गये थे। मैं पढ़ तो नहीं पाया पूरी लेकिन जो सरसरी नजर से मैने उसको देखा तो मन में विचार आया कि इसका हिन्दी प्रकाशन वाकई कितने सुखद संयोगों से जुड़ा हुआ है!
  • ये पुस्तक एक ऐसे साल में प्रकाशित हुई है जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसी साल उस घटना को भी सौ साल पूरे हो रहे हैं जब हरेकृष्ण महताब जी कॉलेज छोड़कर आज़ादी की लड़ाई से जुड़ गए थे।
  • गांधी जी ने जब नमक सत्याग्रह के लिए दांडी यात्रा शुरू की थी, तो ओड़ीशा में हरेकृष्ण जी ने इस आंदोलन को नेतृत्व दिया था।
  • ये भी संयोग है कि वर्ष 2023 में ‘ओड़ीशा इतिहास’ के प्रकाशन के भी 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मुझे लगता है कि, जब किसी विचार के केंद्र में देशसेवा का, समाजसेवा का बीज होता है, तो ऐसे संयोग भी बनते ही चलते हैं।
  • साथियों, इस किताब की भूमिका में भर्तृहरि जी ने लिखा है कि- “डॉ हरेकृष्ण महताब जी वो व्यक्ति थे जिन्होंने इतिहास बनाया भी, बनते हुये देखा भी, और उसे लिखा भी”।
  • वास्तव में ऐसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व बहुत विरले होते हैं। ऐसे महापुरुष खुद भी इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय होते हैं।
  • महताब जी ने आज़ादी की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित किया, अपनी जवानी खपा दी। उन्होंने जेल की जिंदगी काटी। लेकिन महत्वपूर्ण ये रहा कि आज़ादी की लड़ाई के साथ-साथ वो समाज के लिए भी लड़े!
  • जात-पात, छूआछूत के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने अपने पैतृक मंदिर को भी सभी जातियों के लिए खोला, और उस जमाने में आज भी एक स्वयं के व्यवहार से इस प्रकार का उदाहरण प्रस्तुत करना आज शायद इसको हम इसकी ताकत क्या है अंदाज नहीं आएगा।
  • उस यु्ग में देखेंगे तो अंदाज आएगा कि कितना बड़ा साहस होगा। परिवार में भी किस प्रकार के माहौल से इस निर्णय की ओर जाना पडा होगा।
  • आज़ादी के बाद उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में बड़े बड़े फैसले लिए, ओडिशा के भविष्य को गढ़ने के लिए अनेक प्रयास किए।
  • शहरों का आधुनिकीकरण, पोर्ट का आधुनिकीकरण, स्टील प्लांट, ऐसे कितने ही कार्यों में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही है।
  • साथियों, सत्ता में पहुँचकर भी वो हमेशा पहले अपने आप को एक स्वाधीनता सेनानी ही मानते थे और वो जीवन पर्यंत स्वाधीनता सेनानी बने रहे।

 

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