Home » PM’s address at the inauguration of Atal Tunnel in Rohtang, Himachal Pradesh
- आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज सिर्फ अटलजी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है, आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है।
- मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि आज मुझे अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है। और जैसा अभी राजनाथ जी ने बताया, मैं यहां संगठन का काम देखता था.
- यहां के पहाड़ों, यहां की वादियों में अपना बहुत ही उत्तम समय बिताता था और जब अटलजी मनाली में आकर रहते थे तो अक्सर उनके पास बैठना, गपशप करना। और मैं और धूमल जी एक दिन चाय पीते-पीते इस विषय को बड़े आग्रह से उनके सामने रख रहे थे।
- जैसा अटलजी की विशेषता थी, वो बड़े आंखें खोल करके हमें गहराई से पढ़ रहे थे कि हम क्या कह रहे हैं। वो मुंडी हिला देते थे कि हां भई।
- लेकिन आखिरकार जिस बात को लेकर मैं और धूमल जी उनसे लगे रहते थे वो सुझाव अटलजी का सपना बन गया संकल्प बन गया और आज हम उसे एक सिद्धि के रूप में अपनी आंखों के सामने देख रहे हैं। इससे जीवन का कितना बड़ा संतोष हो सकता है, आप कल्पना कर सकते हैं।
- अब ये कुछ मिनट पहले हम सबने एक मूवी भी देखी और मैंने वहां एक पिक्चर गैलरी भी देखी- The making of Atal Tunnel.
- अक्सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं जिनके परिश्रम से ये सब संभव हुआ है। अभेद्य पीर पांजाल उसको भेदकर एक बहुत कठिन संकल्प को आज पूरा किया गया है।
- इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले मेहनतकश जवानों को, इंजीनियरों को, सभी मजदूर भाई-बहनों को आज मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं।
- साथियो, अटल टनल हिमाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से के साथ-साथ नए केंद्रशासित प्रदेश लेह-लद्दाख की भी लाइफ लाइन बनने वाला है। अब सही मायनों में हिमाचल प्रदेश का ये बड़ा क्षेत्र और लेह-लद्दाख देश के बाकी हिस्सों से हमेशा जुड़े रहेंगे, प्रगति पथ पर तेजी से आगे बढ़ेंगे।
- इस टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी।पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है।
- साथियो, लेह-लद्दाख के किसानों, बागवानों, युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजार तक उनकी पहुंच आसान हो जाएगी। उनका जोखिम भी कम हो जाएगा।
- यही नहीं, ये टनल देवधरा हिमाचल और बुद्ध परम्परा के उस जुड़ाव को भी सशक्त करने वाली है जो भारत से निकलकर आज पूरी दुनिया को नई राह, नई रोशनी दिखा रही है। इसके लिए हिमाचल और लेह-लद्दाख के सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई।
- साथियो, अटल टनल भारत के बॉर्डर infrastructure को भी नई ताकत देने वाली है। ये विश्वस्तरीय बॉर्डर connectivity का जीता-जागता प्रमाण है।
- हिमालय का ये हिस्सा हो, पश्चिम भारत में रेगिस्तान का विस्तार हो या फिर दक्षिण और पूर्वी भारत का तटीय इलाका, ये देश की सुरक्षा और समृद्धि, दोनों के बहुत बड़े संसाधन हैं।
- हमेशा से इन क्षेत्रों के संतुलित और सम्पूर्ण विकास को लेकर यहां के infrastructureको बेहतर बनाने की मांग उठती रही है।लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े infrastructureके प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए।
- अटल टनल के साथ भी कभी-कभी तो कुछ ऐसा महसूस भी हुआ है। साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था।
- अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया।हालत ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर यानी डेढ़किलोमीटर से भी कम काम हो पाया था।
- एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से अटल टनल का काम उस समय हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जा करके शायद पूरी होती।
- आप कल्पना करिए, आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिवस आता, उनका सपना पूरा होता।
- जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है।अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। बीआरओ के सामने आने वाली हर अड़चन को हल किया गया।
- नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई।सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।
- साथियो, infrastructure के इतने अहम और बड़े प्रोजेक्ट के निर्माण में देरी से देश का हर तरह से नुकसान होता है। इससे लोगों को सुविधा मिलने में तो देरी होती ही है, इसका खामियाजा देश को आर्थिक स्तर पर उठाना पड़ता है।
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