- गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी है, उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुड़ना मेरे लिए प्रेरक भी है, आनंददायक भी है और एक नई ऊर्जा भरने वाला है।
- अच्छा होता मैं इस पवित्र मिट्टी पर खुद आ करके आपके बीच शरीक होता। लेकिन जिस प्रकार के नए नियमों में जीना पड़ रहा है और इसलिए मैं आज रूबरू न आते हुए, दूर से ही सही, आप सबको प्रणाम करता हूं, इस पवित्र मिट्टी को प्रणाम करता हूं।
- इस बार तो कुछ समय के अंतराल पर मुझे दूसरी बार ये मौका मिला है। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता-पिता को, गुरुजनों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।
- साथियों, आज एक और बहुत ही पावन अवसर है, बहुत ही प्रेरणा का दिन है। आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म जयंती है।
- मैं सभी देशवासियों को, छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
- यानि एक शताब्दी से भी पहले, किसी एक अनाम दिन, मैं उस दिन को आज नहीं जानता किसी पर्वत की ऊंची चोटी से, किसी घने वन में, ओह राजा शिवाजी, क्या ये विचार आपको एक बिजली की रोशनी की तरह आया था?
- क्या ये विचार आया था कि छिन्न-भिन्न इस देश की धरती को एक सूत्र में पिरोना है? क्या मुझे इसके लिए खुद को समर्पित करना है?
- इन पंक्तियों में छत्रपति वीर शिवाजी से प्रेरणा लेते हुए भारत की एकता, भारत को एक सूत्र में पिरोने का आह्वान था। देश की एकता को मजबूत करने वाली इन भावनाओं को हमें कभी भूलना नहीं है।
- पल-पल, जीवन के हर कदम पर देश की एकता-अखंडता के इस मंत्र को हमें हमें याद भी रखना है, हमें जीना भी है। यही तो टैगोर का हमें संदेश है।
- साथियों, आप सिर्फ एक विश्विद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा के वाहक भी हैं।
- गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसको Global University या कोई और नाम भी दे सकते थे।
- लेकिन उन्होंने, इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया। उन्होंने कहा था- ‘’Visva-Bharati acknowledges India’s obligation to offer to others the hospitality of her best culture and India’s right to accept from others their best.’’
- गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सीखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा।