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पीएम-श्री योजना : स्कूली शिक्षा में सुधार की पहल

किसी भी देश की शिक्षा व्यवस्था का आधार उसके स्कूल होते हैं। बेहतर स्कूली शिक्षा की बुनियाद पर ही योग्य और प्रतिभावान युवक तैयार होते हैं, जो आगे चलकर एक बेहतर नागरिक के रूप में देश की प्रगति में अपना योगदान देते हैं। लेकिन भारत के संदर्भ में स्कूली शिक्षा की स्थिति सदैव से चिंताजनक और प्रश्नों के घेरे में रही है। देश के अधिकांश सरकारी स्कूल किसी न किसी प्रकार बदहाली का शिकार हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप संपन्न लोग तो अपने बच्चों को महँगी फीस देकर निजी स्कूलों में भेज देते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे कहीं न कहीं अपने शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं। अगर सरकारी शिक्षण संस्थानों की बुनियादी सुविधाओं व शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार आए  तो संदेह नहीं कि अभिभावकों की पहली पसंद अब भी वही होंगे। इस स्थिति के मद्देनजर ही नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में सुधार पर जोर दिया गया है और अब इस दिशा में प्रयास भी शुरू हो गए हैं। पीएम-श्री योजना इसी की एक कड़ी है।

गत सितम्बर में शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया’ यानी पीएम-श्री योजना की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत प्रस्तावित स्कूलों को खोलने की तैयारी अब शुरू हो गई है। इस योजना के अंतर्गत पहले से मौजूद 14500 सरकारी स्कूलों को अपग्रेड किया जाएगा। प्रत्येक प्रखंड में दो पीएम-श्री स्कूल तैयार किए जाने की योजना है, जिसमें एक प्राथमिक और एक माध्यमिक स्कूल होगा। यह योजना उन स्कूलों को बेहतर बनाएगी जिन्हें केंद्र या राज्य सरकार अथवा स्थानीय निकायो की मदद से चलाया  जा रहा है।

इस योजना के तहत चयनित स्कूल को नई शिक्षा नीति की अपेक्षाओं के अनुरूप ढांचागत सुविधाओं आदि के निर्माण के लिए दो करोड़ की धनराशि दिए जाने का प्रावधान किया गया है। लेकिन इसमें केवल उन्हीं राज्यों के स्कूलों को शामिल किया जाएगा जो अपने यहाँ नई शिक्षा नीति को लागू करने का भरोसा देंगे। इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों से एमओयू पर हस्ताक्षर भी करवाए जा रहे हैं। चूंकि इस समय देश के ज्यादातर बड़े राज्यों में भाजपा व उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं, तो हस्ताक्षर में सरकार को अधिक समस्या नहीं आनी है। अबतक केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय संगठन के साथ-साथ 13 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा हस्ताक्षर किए भी जा चुके हैं।

वर्ष 2022 से 2027 तक पांच वर्षों के लिए पीएम-श्री योजना के तहत 27360 करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान है, जिसमें से 18,128 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा तथा शेष राशि राज्यों द्वारा वहन की जाएगी। पीएम-श्री स्कूलों को पर्यावरण अनुकूल रूप देते हुए हरित स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें सोलर पैनल, एलईडी लाइट, प्राकृतिक खेती, कचरा प्रबंधन, जल संरक्षण और संचयन, पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित परंपराओं या प्रथाओं का अध्ययन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित हैकाथॉन आदि के साथ-साथ एक स्थायी जीवन शैली अपनाने के लिए जागरूकता पैदा करना शामिल होगा।

यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये स्कूल, शिक्षा से सम्बंधित अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त हों और इनमें दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता भी बहुत बेहतर हो। इनमें सभी कक्षा के बच्चों में रटने के बजाए सीखने का कौशल विकसित करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा दी जाएगी। ‘खेल-खेल में शिक्षा’ की अवधारणा को साकार करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा एनसीटीई और राज्यों के साथ मिलकर विशेष प्रशिक्षण कोर्स तैयार किया जा रहा है।

स्पष्ट है कि पीएम-श्री योजना के तहत विकसित ये स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा निर्धारित कसौटियों के अनुरूप स्वयं को एक उदाहरण की तरह प्रस्तुत करते हुए अपने आसपास के स्कूलों को भी अपनी व्यवस्थाएं सुधारने के लिए प्रेरित करेंगे। अनुमान है कि इस योजना से देश के लगभग अट्ठारह लाख बच्चे लाभान्वित होंगे।

पीएम-श्री योजना का एक बेहतर पहलू इसकी चयन की कसौटी भी है। ख़बरों के मुताबिक़ इस योजना के तहत चयनित होने के लिए स्कूलों को कुछ न्यूनतम अर्हताएं पूरी करनी होंगी, जिसमें स्कूल का मजबूत पक्का भवन होना, विद्युतीकरण, अग्निशमक की उपलब्धता, सुरक्षा की व्यवस्था, बालक-बालिका के लिए अलग शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था, पुस्तकालय व खेल-कूद की व्यवस्था आदि बातें शामिल हैं। इन कसौटियों को पूरा करने वाले स्कूलों को चयन के लिए निर्मित डिजिटल पोर्टल के माध्यम से आवेदन देते हुए अपने यहाँ मौजूद सुविधाओं की जानकारी देनी होगी।

आवेदन में दी गई जानकारी की जांच के लिए पहले जिला, फिर राज्य स्तर की टीम स्कूलों का दौरा करेगी। जो स्कूल निर्धारित कसौटियों पर खरे उतरेंगे, उनके नाम केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे। अंत में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति सभी नामों पर विचार करके अंतिम निर्णय लेगी। जो स्कूल चयनित होंगे, उन्हें पीएम श्री स्कूल नाम देकर तदनुरूप विकसित किया जाएगा।

स्पष्ट है कि इस योजना के अंतर्गत चयनित होने के लिए स्कूलों को अपने यहाँ बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त रखना होगा। ऐसे में संभव है कि बहुत से स्कूल जो अबतक लापरवाही के कारण बदहाली का शिकार पड़े होंगे, वे संभवतः इस योजना में चयन की उम्मीद में अपनी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने पर ध्यान देंगे। इस तरह पीएम-श्री योजना स्कूलों के बीच बेहतर होने का एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक माहौल पैदा कर सकती है, जो कि संभवतः इस योजना का एक अतिरिक्त लाभ होगा।

कुल मिलाकर पीएम-श्री योजना देश की स्कूली शिक्षा में सुधार की दिशा में एक बड़ी पहल साबित हो सकती है, बशर्ते कि इसके प्रावधान कागज पर जैसे हैं उसी के अनुरूप धरातल पर भी क्रियान्वित हों। यदि पूरी पारदर्शिता के साथ इस योजना का क्रियान्वयन  होता है, तो निश्चित रूप से यह भारत की स्कूली शिक्षा में एक युगांतकारी परिवर्तन ला सकती है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)

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