Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

एक देश एक चुनाव: चुनाव सुधारो और लोकतांत्रिक दक्षता की दिशा में एक कदम

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्रिक देश है जहा पर प्रत्येक 5 वर्ष का समय पूरा होने के उपरांत राज्यों व केंद्र के चुनाव करवाए जाते है। परन्तु ये सभी चुनाव अलग अलग समयों पर करवाए जाते है जिस कारण से आज एक देश, एक चुनाव की अवधारणा भारत के लोकतांत्रिक विमर्श के इतिहास में एक साहसिक प्रस्ताव के रूप में हमारे समक्ष खड़ी है। यह योजना देश के चुनावी परिदृश्य और शासन के ढांचे में क्रांति लाने का वादा करती है। इस योजना के द्वारा केंद्रीय, राज्य व स्थानीय स्तर पर हो रहे चुनावो को एकीकृत चुनावी चक्र में करवाने का विचार समाहित किया गया है, जोकि एक उत्कृष्ट व सरहानीय प्रयास है। इस महत्वाकांक्षी प्रस्ताव का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, तार्किक जटिलताओं को कम करना और यह सुनिश्चित करके राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना है कि पूरे देश का चुनावी जनादेश निर्बाध रूप से रेखांकित हो सके। वर्तमान में हमें भारत सरकार के विभिन्न स्तरों पर चुनावों का एक सतत चक्र देखने को मिलता है, जिसमें राजनीतिक प्रचार, संसाधन जुटाना और प्रशासनिक तनाव की स्थिति देश में बनी रहती है। चुनावों की खंडित प्रकृति न केवल राजकोष पर पर्याप्त वित्तीय बोझ डालती है बल्कि शासन तंत्र के प्रभावी कामकाज को भी कमजोर करती है, जिस कारण से सरकार का ध्यान महत्वपूर्ण नीति निर्माण और कार्यान्वयन से हट जाता है।

एक देश एक चुनाव प्रस्ताव की उत्पत्ति का पता पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न विशेषज्ञ समितियों और राजनीतिक हितधारकों द्वारा दी गई सिफारिशों से लगाया जा सकता है। भारत के विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में चुनावी प्रक्रिया की दक्षता बढ़ाने और लोकतांत्रिक शासन को मजबूत करने के साधन के रूप में एक साथ चुनावों को करवाने की वकालत की। इसी तरह भारत के प्रमुख थिंक टैंक नीति आयोग ने विकासात्मक पहलों को बढ़ावा देने और नीति की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए चुनावी कैलेंडर को संरेखित करने की अनिवार्यता को रेखांकित किया है। भारत की क्रमबद्ध चुनावों की वर्तमान प्रणाली प्रशासनिक संसाधनों पर एक महत्वपूर्ण बोझ डालती है। चुनाव आयोग नियमित रूप से राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर चुनाव आयोजित करता है। भारतीय चुनाव आयोग  के आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में चुनाव कराने की लागत लगातार बढ़ रही है। उदाहरण के लिए सी.एम.एस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव में खर्च का अनुमान लगभग 60,000 करोड़ था जबकि उसी वर्ष राज्य विधानसभा चुनावों में अतिरिक्त लागत आई। इसके अलावा, वैश्विक परिदृश्य को यदि देखा जाए तो वह एक साथ चुनाव प्रणाली को अपनाने के लिए भारत जोकि भविष्य में विश्व शक्ति बनने जा रहा है के समक्ष सम्मोहक मिसालें प्रदान करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा सहित दुनिया भर के कई देश सरकार के विभिन्न स्तरों पर एक साथ चुनाव कराते हैं, जिससे सामंजस्यपूर्ण शासन और संसाधन अनुकूलन की सुविधा मिलती है। इन अंतर्राष्ट्रीय मॉडलों से अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हुए एक देश एक चुनाव योजना से भारत को एक सामंजस्यपूर्ण चुनावी चक्र अपनाने से काफी लाभ होगा।

एक देश एक चुनाव प्रस्ताव द्वारा समर्थित चुनावों को एक साथ करने की अवधारणा की जड़ें ऐतिहासिक मिसालों और वैश्विक प्रथाओं में पाई जाती हैं। ऐतिहासिक रूप से चुनावी चक्रों को संरेखित करने का विचार प्राचीन सभ्यताओं से मिलता है, जहां एक साथ चुनाव आम प्रथा थी। उदाहरण के लिए लोकतंत्र के जन्मस्थान प्राचीन एथेंस में विभिन्न पदों के लिए चुनाव अक्सर एक साथ होते थे जिससे शासन में एकता और सुसंगतता की भावना को बढ़ावा मिलता था। इसी तरह रोमन गणराज्य में भी निश्चित तिथियों पर चुनाव आयोजित किए जाते थे। आधुनिक समय में प्रतिनिधि लोकतंत्रों के आगमन के साथ चुनावों को एक साथ करने की अवधारणा को बल मिला है। संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति पद और विभिन्न राज्य कार्यालयों के लिए संघीय चुनाव हर चार साल में नवंबर के पहले सोमवार के बाद पहले मंगलवार को एक साथ आयोजित किए जाते हैं। एक साथ चुनावों की यह प्रथा यह सुनिश्चित करती है कि पूरे देश का चुनावी जनादेश एक साथ नवीनीकृत हो, जिससे शासन के लिए एक स्थिर और अनुकूल वातावरण उपलब्ध हो सके। इसी तरह यूनाइटेड किंगडम में हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए आम चुनाव और स्थानीय चुनाव अक्सर एक ही दिन होते हैं जिससे चुनावी प्रक्रिया सुव्यवस्थित होती है और मतदाताओं की भागीदारी अधिकतम होती है। कनाडा में भी एक साथ चुनाव प्रणाली का पालन किया जाता है, जिसमें संसद के लिए संघीय चुनाव और प्रांतीय चुनाव अक्सर एक साथ आयोजित किए जाते हैं। यह प्रथा न केवल चुनावी अधिकारियों पर प्रशासनिक बोझ को कम करती है बल्कि राजनीतिक स्थिरता और नीति निरंतरता को भी बढ़ावा देती है। इसके अलावा फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन समेत कई यूरोपीय देश सरकार के विभिन्न स्तरों पर एक साथ चुनाव आयोजित करते हैं जिससे एकजुट शासन और कुशल संसाधन आवंटन की सुविधा मिलती है। लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा देने और नीतिगत सुसंगतता को बढ़ाने में चुनावी चक्रों को संरेखित करने के संभावित लाभों को पहचानते हुए यूरोपीय संघ ने भी अपने सदस्य राज्यों के बीच एक साथ चुनाव प्रणाली की वकालत की है।

एक देश एक चुनाव प्रणाली वैश्विक परिप्रेक्ष्य में शासन में दक्षता, स्थिरता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में चुनावी चक्रों को संरेखित करने के फायदों को रेखांकित करती है। भारत के संदर्भ में यह प्रस्ताव इन अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से प्रेरणा लेता है और एक सामंजस्यपूर्ण चुनावी कैलेंडर की कल्पना करता है ताकि शासन में सुसंगतता, दक्षता और स्थिरता सुनिश्चित हो  सके। यदि इस एक देश एक चुनाव योजना की बड़ी ही गहराई से समीक्षा की जाए तो इसके काफी महत्वपूर्ण लाभ हमारे समक्ष आते है जोकि भारत को भविष्य में एक विकसित राष्ट्र बनाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग देगे। यह मुख्य लाभ इस प्रकार से है:

संवेदनशील इलाको में शांति और स्थिरता में वृद्धि: संवेदनशील इलाकों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक देश एक चुनाव बहुत बड़ा योगदान दे सकता है। उदाहरण के लिए जम्मू और कश्मीर जैसे क्षेत्र जहां पर बार बार चुनाव होने के कारण सुरक्षा बलो पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और जनता लंबे समय तक राजनीतिक माहौल से प्रभावित होती है। इसी प्रकार, पूर्वोत्तर के राज्यों जैसे मणिपुर, नागालैंड और असम में जातीय और सांप्रदायिक तनाव चुनावी समय में बढ़ जाता है जिसे एक साथ चुनाव कराकर कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल में चुनावों के दौरान राजनीतिक हिंसा की घटनाएं आम बात है और बार बार चुनाव होने से इस अस्थिरता को बढ़ावा मिलता हैं। यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं तो सुरक्षा बलों और प्रशासन का कुशल प्रबंधन इन इलाकों में शांति और स्थिरता बनाए रखने में सहायक होगा। इससे न केवल विभाजनकारी राजनीति पर अंकुश लगेगा बल्कि संवेदनशील इलाकों में लंबे समय तक सामाजिक समरसता बनी रहेगी जोकि भारत की एकता व अखंडता के लिए लाभदायक है।

न्यायपालिका में चुनाव संबंधी याचिकाओं की संख्या में कमी:  भारत में हर वर्ष किसी न किसी राज्य में विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनाव होते हैं जो चुनावी याचिकाओं का भारी बोझ न्यायपालिका पर डालते हैं। चुनावों में आचार संहिता उल्लंघन, मतदाता सूची में अनियमितता, उम्मीदवारों की अयोग्यता और चुनावी धांधली जैसे मुद्दों पर हजारों याचिकाएं दाखिल की जाती है। उदाहरण के तौर पर 2024 के लोकसभा व कुछ राज्य विधानसभाओ के चुनावो के दौरान देशभर में विभिन्न राज्यों में मतदान प्रक्रिया से जुड़े मुद्दों पर सैकड़ों याचिकाएं दर्ज की गईं। इन याचिकाओं में प्रमुख रूप से हरियाणा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में चुनाव परिणाम को चुनौती देने की बात की गई, जिसमे मतदान मशीन की कार्यक्षमता पर सवाल और मतदाता सूची में कथित छेड़छाड़ जैसे मामले शामिल थे। इसी वर्ष राजस्थान और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान भी ऐसे कई विवाद सामने आए। इन मामलों ने न्यायपालिका पर याचिकाओ का भारी बोझ डाला जिससे राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा हुई। यदि एक देश एक चुनाव की अवधारणा लागू होती है तो आगमी  लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते है। इससे चुनाव प्रक्रिया अधिक संगठित होगी और चुनावी विवादों को कम करने में भी काफी मदद मिलेगी। इसके परिणाम स्वरूप न्यायपालिका पर चुनावी याचिकाओं का बोझ बहुत कम हो जाएगा और चुनावी विवादों का निपटारा तेज़ी से किया जा सकता है। इससे न्यायिक प्रणाली की दक्षता बढ़ेगी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता का विश्वास और मजबूत होगा।

देश में एक समान रूप से नीति निर्माण और क्रियान्वयन: भारत जैसे विविध और बड़े देश में केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों का तालमेल और उनका प्रभावी क्रियान्वयन राष्ट्रीय विकास के लिए बेहद आवश्यक है। जब चुनाव अलग अलग समय पर होते हैं तो केंद्र और राज्य अपने-अपने चुनावी अभियानों और स्थानीय प्राथमिकताओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। इससे विकास योजनाओं और नीतियों के समन्वय में असमानता उत्पन्न होती है। एक देश एक चुनाव लागू होने से केंद्र और राज्य सरकारें एक साथ अपनी प्राथमिकताओं और नीतियों को निर्धारित कर सकती हैं। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना या जन धन योजना जैसी पहलें शुरू की हैं तो सभी राज्य सरकारें इन्हें एकसमान समयसीमा में लागू कर सकती हैं। इससे देशभर में योजनाओं के समान रूप से लाभ पहुंचाने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा एक देश एक चुनाव सरकारों को अपने पूरे कार्यकाल में दीर्घकालिक और प्रभावी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर देगा। इससे प्रशासनिक ढांचा मजबूत होगा और जनता को अधिक संगठित और समयबद्ध विकास कार्य देखने को मिलेंगे। यह प्रणाली पूरे देश में एकरूपता और समृद्धि लाने की दिशा में लाभदायक साबित हो सकती है।

प्रशासनिक दक्षता में बढ़ोतरी: भारत में चुनावों का निरंतर चक्र अक्सर प्रशासनिक व्यवधानों का कारण बनता है। सरकारी मशीनरी अक्सर चुनाव-संबंधी कर्तव्यों और नियमित शासन कार्यों के बीच परिवर्तन करती रहती है। यह निरंतर परिवर्तन न केवल प्रशासनिक संसाधनों को भटकाता है बल्कि सार्वजनिक सेवाओं के प्रभावी वितरण और नीति कार्यान्वयन में भी बाधा उत्पन्न करता है। एक देश एक चुनाव योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और प्रशासनिक व्यवधानों को कम करके निर्वाचित प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी ऊर्जा को ठोस नीति निर्माण और सार्वजनिक सेवा वितरण पर केंद्रित करने में सक्षम बनाना भी है। इस योजना से सरकार को लगातार चुनाव चक्रों के कारण होने वाली रुकावटों के बिना अधिक प्रभावी ढंग से नीतियों की योजना बनाने और निष्पादित करने में बल मिलेगा। इससे प्रशासनिक संसाधनों पर दबाव भी कम होगा। जिससे सरकारी अधिकारियों को जनता की जरूरतों और चिंताओं को दूर करने के लिए अधिक समय और ध्यान देने की अनुमति मिलेगी। इसके अतिरिक्त सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा जिससे केंद्र प्रायोजित योजनाओं और पहलों के सुचारू कार्यान्वयन में सुविधा प्राप्त होगी।

राजनीतिक स्थिरता: चुनावों की क्रमबद्ध प्रकृति के कारण अक्सर सरकार और गठबंधन की गतिशीलता में बार बार बदलाव होता है, जिससे शासन में अनिश्चितताएं और व्यवधान पैदा होते हैं। इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करके इसका समाधान करना है कि पूरे देश के चुनावी जनादेश को एक साथ नवीनीकृत किया जाए जिससे दीर्घकालिक नीति योजना और कार्यान्वयन के लिए एक स्थिर और अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सके। आज देश के आर्थिक विकास निवेशकों के विश्वास और समग्र सामाजिक एकजुटता के लिए राजनीतिक स्थिरता बहुत आवश्यक है। चुनावों को एक साथ  करके सरकार में बार बार होने वाले बदलावों, गठबंधन पुनर्गठन और राजनीतिक अनिश्चितता के कारण होने वाले व्यवधानों को कम करने में पूर्ण रूप से मदद मिलेगी। यह निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी नीतियों को लागू करने और अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए एक अच्छा कार्यकाल प्रदान करेगा, जिससे राजनीतिक प्रक्रिया में जवाबदेही और विश्वास में बढ़ोतरी होगी।

मतदाता सहभागिता में बढ़ोतरी: भारत में चुनावों का निरंतर चक्र अक्सर मतदाताओं की थकान और उदासीनता का कारण बनता है, जिससे लगातार चुनावों में मतदान प्रतिशत में गिरावट आती है। इस योजना का लक्ष्य चुनावों की आवृत्ति को कम करके यह सुनिश्चित करना है कि सरकार के विभिन्न स्तरों पर एक साथ चुनाव हों। इससे मतदाताओं के लिए चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना आसान हो जाएगा क्योंकि उन्हें एक निश्चित चुनावी चक्र में केवल एक बार ही वोट डालने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा मतदाताओं की सहभागिता और राजनितिक जागरूकता में भी बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इससे चुनाव अधिक केंद्रित और प्रमुख कार्यक्रम बन जाएंगे। इस योजना से राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के पास मतदाताओं के साथ जुड़ने, अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने और समर्थन जुटाने के लिए अधिक समय होगा जिससे अधिक सूचित मतदाता और एक स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त यह योजना चुनावों में धन और बाहुबल के प्रभाव को कम करने में भी मदद कर सकती है।

आदर्श आचार संहिता का उन्मूलन: भारत में चुनावों के दौरान भारत का चुनाव आयोग निष्पक्षता को सुनिश्चित करने और चुनावी लाभ के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक आदर्श आचार संहिता लागू करता है। जिस कारण से सरकार की नई नीतियों और योजनाओं की घोषणा करने की क्षमता सीमित हो जाती है। इस योजना के साथ जहां चुनाव एक साथ होगे वही आचार सहिंता को लम्बे समय तक लागू करने की आवश्यकता कम हो जाएगी, जिससे सरकार को अपने कार्यकाल के दौरान अधिक स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति मिल जाएगी।

राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा: इस योजना से पूरे देश में चुनावी कैलेंडर को संरेखित करके राष्ट्रीय एकता और एकीकरण की भावना को बढ़ावा मिलने की पूर्ण रूप से उम्मीद है। एक साथ चुनाव राजनीतिक दलों और नेताओं को क्षेत्रीय व राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। जिससे नागरिकों के बीच राष्ट्रीय पहचान और एकजुटता की भावना में वृद्धि होगी। जोकि भारत की जनता को एक साथ जोड़कर उनमे एकता की भावना को लाने का एक अच्छा प्रयास हो सकता है।

विकसित भारत की संकल्पना के पक्ष में: एक देश एक चुनाव योजना का कार्यान्वयन विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने का एक परिवर्तनकारी अवसर प्रस्तुत करता है। देश के शासन के प्रति यह सुव्यवस्थित दृष्टिकोण भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं में दक्षता, स्थिरता और प्रगति प्राप्त करने की अपार संभावनाएं रखता है। इस योजना से जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं का विकेंद्रीकरण भी होगा जोकि विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इससे स्थानीय स्तर पर नागरिक भागीदारी, जवाबदेही और प्रभावी सेवा वितरण को बढ़ावा भी मिलेगा। इस योजना को अपनाकर भारत एक समृद्ध, समावेशी और विकसित राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करते हुए निरंतर प्रगति के मार्ग की और अग्रसर होकर भविष्य में विशव शक्ति निश्चित रूप से बनेगा जोकि हम सभी के लिए बड़े ही गौरव की बात होगी।

भारत में युवा सशक्तिकरण के पक्ष में: एक देश एक चुनाव योजना भारत में युवाओ के विकास को बढ़ावा देने के लिए अति महत्वपूर्ण  है। सभी चुनावों को एक एकीकृत चक्र में समन्वित करके दीर्घकालिक नीति नियोजन और कार्यान्वयन के लिए अधिक अनुकूल वातावरण तैयार होगा, जो युवाओं की आकांक्षाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। चुनावों की आवृत्ति में कमी से शासन में व्यवधान कम होगा और इससे नीति निर्माताओं को युवा सशक्तिकरण, शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार सृजन के लिए व्यापक रणनीति तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त चुनावी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने से युवाओं के बीच अधिक नागरिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलेगा जिससे उनकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जिम्मेदारी, भागीदारी और स्वामित्व की भावना को बढ़ावा मिलेगा। कुल मिलाकर यह योजना भारत में युवाओं के विकास, सशक्तिकरण और राष्ट्र-निर्माण प्रयासों में भागीदारी के लिए एक स्थिर, अनुकूल और समावेशी वातावरण बनाकर महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता रखती है।

एक  देश, एक चुनाव योजना के द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों की भयावहता को देखते हुए  इसके कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन करना अनिवार्य है। इसमें विधान सभाओं की अवधि, चुनाव आयोग की शक्तियां और सरकार के विभिन्न स्तरों पर चुनावों के समय निर्धारण से संबंधित प्रावधानों में संशोधन शामिल हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह योजना संघवाद, लोकतंत्र और शासन के सिद्धांतों के अनुरूप है इसके लिए संवैधानिक ढांचे की सावधानीपूर्वक और व्यापक समीक्षा करनी भी आवश्यक है। यह योजना एक बहुआयामी पहल भी है जिसमें राजनीतिक दलों, राज्य सरकारों, नागरिक समाज संगठनों और चुनावी अधिकारियों सहित विभिन्न हितधारकों की भागीदारी और सहयोग की आवश्यकता पूर्ण रूप से पड़ेगी। इसके साथ ही जनता से फीडबैक मांगने, चिंताओं को दूर करने और इस योजना के कार्यान्वयन के तौर-तरीकों पर आम सहमति बनाने के लिए हितधारक परामर्श राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर आयोजित किए जाने चाहिए। सभी चुनावों को एक ही एकीकृत चक्र में करवाने से जुड़ी तार्किक और प्रशासनिक चुनौतियों को देखते हुए इस योजना को बड़ी ही सटीकता से लागू करने की आवश्यकता है।

अंत में निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि एक देश एक चुनाव योजना भारत में चुनाव सुधार के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है जो क्रमबद्ध चुनावों की वर्तमान प्रणाली से उत्पन्न चुनौतियों का व्यापक समाधान पेश करता है। सभी चुनावों को एक एकीकृत चक्र में समन्वित करके यह योजना चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, शासन दक्षता बढ़ाने और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद करेगी। आर्थिक बचत, प्रशासनिक दक्षता, राजनीतिक स्थिरता, बढ़ी हुई मतदाता भागीदारी, सुव्यवस्थित शासन सहित इस योजना के लाभ आकर्षक और दूरगामी हैं। हालाँकि इस योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए सावधानीपूर्वक योजना, हितधारक परामर्श और चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीतियों की आवश्यकता पड़ सकती है। आज नीति निर्माताओं की चिंताओं को दूर करने, आम सहमति बनाने और इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता है। इस तरह से यह योजना भारत के चुनावी परिदृश्य और शासन के ढांचे में क्रांति लाने, दक्षता, जवाबदेही और राजनीतिक स्थिरता के एक नए युग की शुरुआत करने के लिए लाभदायक है। यह योजना भविष्य में भारत के लिए  अधिक समावेशी, पारदर्शी और उत्तरदायी लोकतंत्र का मार्ग प्रशस्त करेगी। जिससे भारत आने वाले समय में विश्व में विकास की दृष्टि से सभी देशो से आगे निकलकर विश्व शक्ति बनेगा जोकि हम सभी भारत के नागरिको के लिए बड़े ही गर्व की बात होगी।

Author

  • सरताज सिंह, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के द्वारा प्रधानमंत्री युवा लेखक पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। वे एक रचनात्मक शैक्षिक शोध लेखक व युवा राजनीतिक चिंतक के रूप में प्रसिद्ध हैं और इन्होने भारत के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की लेखन प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त किए हैं। वर्तमान में सरताज सिंह पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में राजनीति विज्ञान के पी.एच.डी शोधार्थी है। यह लेखक के अपने निजी विचार है।

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